Air Pollution in Delhi NCR : दिल्ली के गैस चैंबर बनने पर UP के CM चिंतित, पराली को बताया सांसों की दुश्मन
Air Pollution in Delhi NCR - यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ दिल्ली-NCR में बढ़ते प्रदूषण को लेकर चिंतित दिखे। उन्होंने, कहा राजधानी दिल्ली गैस चैंबर बनती जा रही है। इसके लिए पराली जलाना सबसे बड़ा कारण है।
दिल्ली के गैस चैंबर बनने पर UP के CM चिंतित
गोरखपुर: दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का लेवल हाई पर है। यहां AQI खतरनाक श्रेणी से भी ऊपर निकल चुका है। खासकर, पंजाब में लगातार पराली जलाने की वजह से इसका प्रभाव दिल्ली और उसके पड़ोसी जिलों में पड़ रहा है। इसको लेकर जहां दिल्ली सरकार नए कदम उठा रही है, वहीं अब यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी चिंतित नजर आ रहे हैं। शुक्रवार को गोरखपुर स्थित दिग्विजय नाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय में 'पर्यावरण, प्रौद्योगिकी और सतत ग्रामीण विकास' विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन के मौके पर उन्होंने कहा कि दिल्ली गैस चैंबर बनती जा रही है। ये काफी चिंतित करने वाली बात है। इसे हमें सामूहिक तौर पर प्रयास कर रोकने की जरूरत है।
सुप्रीम कोर्ट ने इतने राज्यों को जारी की नोटिस
वहीं, पराली जलाने की समस्या पर चिंता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पांच-छह राज्यों को नोटिस जारी की है। पराली जलाने की समस्या से दिल्ली गैस चैंबर बनती जा रही है। उन्होंने, कहा कि कृषि क्षेत्र में विकास व समय के अनुरूप तकनीकी न विकसित करने से पराली पर्यावरण और धरती की उर्वरा शक्ति के लिए खतरा बन गई। यदि कम्बाइन के साथ राइपर भी लगा दिया जाता तो पराली के छोटे-छोटे टुकड़े मिट्टी में ही सड़कर ग्रीन कम्पोस्ट बन जाते।
पीएम मोदी का विजन 2050
सीएम योगी ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2070 तक भारत में जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है। उनका स्वच्छ भारत मिशन भी पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता का प्रतीक है, जिसमें ग्रामीणों को स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के प्रति आग्रही बनाया गया। इसके अलावा सीएम ने जल संचयन के लिए तालाबों के संरक्षण के प्राचीन पद्धति का उल्लेख करते हुए कहा कि गांवों में तालाब आदि का जल प्रदूषित होने से इंसेफेलाइटिस जैसी बीमारी सामने आई। इससे 40 वर्ष में करीब 50 हजार बच्चों की असामयिक मृत्यु हो गई।
संत सींचेवाल के मॉडल पर बोले योगी
सीएम ने जल प्रदूषण पर नियंत्रण और जल संरक्षण के लिए नमामि गंगे परियोजना और पंजाब के संत सींचेवाल मॉडल का भी विस्तार पूर्वक उल्लेख किया। कहा कि 2016 में नमामि गंगे परियोजना लागू होने के बाद गंगा जल की शुद्धता, अविरलता और निर्मलता बढ़ी है। गांगेय डॉल्फिन जैसे जलीय जीव फिर से दिखाई दे रही हैं। गंगा नदी में स्नान करने से अब चकत्ते नहीं पड़ रहे हैं। कुल मिलाकर गंगा नदी का प्रदूषण काफी हद तक कम हुआ है। इसी तरह संत सींचेवाल के मॉडल से जल की शुद्धि का देसी और प्रभावी तरीका एक बार फिर सबके सामने आया है।
आपको बता दें कि हाल ही सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने कानपुर से फतेहुपर के बीच बहने वाली गंगा की धारा के पानी का पीएच मान 8 बताया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि गंगाजल नहाने के लिए ही नहीं, बल्कि आचमन के लिए भी खतरनाक हो सकता है। ऐसे में सीएम ने गंगा की अविरलता का बखान किया है।
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Pushpendra kumar author
पुष्पेंद्र यादव यूपी के फतेहुपुर जिले से ताल्लुक रखते हैं। बचपन एक छोटे से गांव में बीता और शिक्ष...और देखें
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