दिल्ली के 47 वर्षीय शख्स का दुर्लभ ऑपरेशन, अब शरीर में अब कुल 5 गुर्दे, कैसे हुआ ये चमत्कार?

चूंकि पिछली सर्जरी में पहले से ही मानक रक्त वाहिकाओं का उपयोग किया गया था, इसलिए नए गुर्दे को पेट की सबसे बड़ी रक्त वाहिकाओं से जोड़ना पड़ा, जिससे यह एक अत्यधिक जटिल प्रक्रिया बन गई थी।

Kidney Operation

किडनी ट्रांसप्लांट ( File Photo- Pixabay)

Man With Five Kidneys: दिल्ली के एक 47 वर्षीय व्यक्ति का एक निजी अस्पताल में तीसरी बार अत्यंत दुर्लभ गुर्दा प्रत्यारोपण किया गया है, जिससे अब इस व्यक्ति के शरीर में कुल पांच गुर्दे हो गए हैं। देवेंद्र बारलेवर की अमृता अस्पताल, फरीदाबाद में एक सर्जरी की गई थी। बारलेवर 15 साल से गंभीर गुर्दे की बीमारी से जूझ रहे थे और 2010 और 2012 में दो असफल प्रत्यारोपण से गुजरे थे। यूरोलॉजी के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. अहमद कमाल ने कहा कि 2022 में कोविड-19 जटिलताओं के बाद रोगी की स्थिति खराब हो गई।

ब्रेन डेड घोषित शख्स से मिली किडनी

हालांकि, जब ब्रेन डेड घोषित 50 वर्षीय एक किसान के परिवार ने उनकी किडनी दान करने का फैसला किया तो बारलेवर को उम्मीद की किरण दिखाई दी। डॉ. कमाल ने एक बयान में कहा कि पिछले महीने की गई चार घंटे की लंबी सर्जरी काफी चुनौतीपूर्ण थी क्योंकि बारलेवर के शरीर में उनके अपने दो और बाद में प्रत्यारोपित दो गुर्दे पहले से ही मौजूद थे। इन चार खराब गुर्दों के कारण महत्वपूर्ण चिकित्सा चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उन्होंने बताया कि मौजूदा गुर्दों ने प्रतिरक्षा अस्वीकृति के जोखिम को बढ़ा दिया था। इस प्रक्रिया से पहले विशेष ‘इम्युनोसप्रेशन प्रोटोकॉल’ (किसी अन्य व्यक्ति से लिए गए अंग को स्वीकार करने में मदद करने के लिए चिकित्सीय विधि) की आवश्यकता होती है।

अत्यधिक जटिल प्रक्रिया रही

डॉ. अनिल शर्मा, वरिष्ठ सलाहकार, यूरोलॉजी ने सर्जिकल जटिलताओं पर प्रकाश डाला। डॉ. शर्मा ने कहा कि रोगी का पहले भी ऑपरेशन हो चुका था और पहले से मौजूद गुर्दों के कारण हमें जगह की कमी का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा, चूंकि पिछली सर्जरी में पहले से ही मानक रक्त वाहिकाओं का उपयोग किया गया था, इसलिए हमें नए गुर्दे को पेट की सबसे बड़ी रक्त वाहिकाओं से जोड़ना पड़ा, जिससे यह एक अत्यधिक जटिल प्रक्रिया बन गई थी।

प्रत्यारोपण के 10 दिन के भीतर छुट्टी दी

उन्होंने कहा कि चुनौतियों के बावजूद प्रत्यारोपण सफल रहा और रोगी की स्थिति सामान्य रही, इसलिए प्रत्यारोपण के दस दिन के भीतर उसे छुट्टी दे दी गई। रोगी की स्थिति के बारे में शर्मा ने कहा कि बारलेवर के क्रेटेनिन का स्तर दो सप्ताह के भीतर सामान्य हो गया, जिससे अब उन्हें डायलिसिस की जरूरत नहीं रही। अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हुए बारलेवर ने कहा कि दो असफल प्रत्यारोपण के बाद वह उम्मीद खो चुके थे। उन्होंने कहा कि डायलिसिस ने उनके जीवन पर गंभीर असर डाला था। उन्हें कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही थी लेकिन अमृता अस्पताल ने उन्हें एक नया जीवन दिया। उन्होंने कहा कि आज वह खुद अपना रोजमर्रा का काम कर सकते हैं और इससे उनकी पूरी स्वास्थ्य स्थिति में भी सुधार हुआ है।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। शहर (Cities News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।

End of Article

© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited