कोरोना के बाद दिल्ली के डॉक्टरों के सामने बड़ी चुनौती, बदल गया है वायु प्रदूषण का असर, फेल हो रही हैं पारंपरिक दवाएं

दिवाली की रात लोगों द्वारा पटाखों पर लगे प्रतिबंध का उल्लंघन किए जाने के बाद हवा और खराब हो गई है। जिसके कारण कई लोगों को सांस संबंधी परेशानियों के लिए अस्पताल भी जाना पड़ गया है।

दिल्ली में प्रदूषण का स्तर फिर हुआ खराब

कोरोना के बाद दिल्ली में वायु प्रदूषण से लोगों पर जो असर पड़ रहा है, उसके इलाज में पारंपरिक दवाएं फेल हो रही हैं। दिल्ली में हाल के सालों में हर साल अक्टूबर से लेकर दिसंबर तक हवा जहरीली होने लगी है। पराली से लेकर पटाखों तक के कारण हवा का स्तर इतना खराब हो जाता है कि लोग कई तरह की बीमारियों से ग्रसित हो जाता है, जिसमें सबसे ज्यादा है सांस से संबंधी परेशानियां। पिछले कुछ हफ्तों में दिल्ली की वायु गुणवत्ता में गिरावट देखी गई है, जिसका मुख्य कारण पराली जलाना और हवा का धीमा होना है।

वायु प्रदूषण के कारण दिल्लीवासियों का स्वास्थ्य खराब

इंडियास्पेंड की रिपोर्ट के अनुसार इस साल भी वायु प्रदूषण के कारण अस्पतालों में वैसे मरीज काफी संख्या में आ रहे हैं, जिन्हें सांस संबंधी परेशानियां हैं। जैसे कफ आना, खांसी होना। रिपोर्ट में डॉक्टरों के हवाले से कहा गया है कि मरीज एक बार में ठीक नहीं हो रहे हैं, उन्हें कई बार अस्पताल आना पड़ रहा है। पहले जो बीमारी, पहले ही राउंड में खत्म हो जाती थी, पारंपरिक दवाईयों का असर होता था, अब वो नहीं हो रहा है। पहली बार में जो दवाईयां लिखी जाती हैं, वो बेअसर हो रही है, जिसके बाद दवाईयां बदली जा रही हैं। कई बार वो भी बेअसर देखने को मिल रहा है।

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