चुन्नामल हवेली : यहां मसकली बन आसपास घूमता है 200 साल का इतिहास

घुमक्कड़ी के लिए दिल्ली में कई ऐतिहासिक स्थल मशहूर हैं। लेकिन बहुत से ऐसे नाम भी हैं, जिनके बारे में उनके आसपास रहने वाले लोग भी नहीं जानते। ऐसी ही जगहों के बारे में हम आपको जानकारी देते हैं। चलिए जानते हैं पुरानी दिल्ली के चुन्नामल हवेली के इतिहास के बारे में -

दिल्ली की चुन्नामल हवेली का इतिहास

हवेली नाम से आजकल या तो होटल-रेस्त्रां दिखते हैं या यह नाम फिल्मों में सुनाई देता है। लेकिन पुरानी दिल्ली में एक पुरानी हवेली आज भी ज्यों की त्यों खड़ी है। यह हवेली सिर्फ हवेली नहीं है, बल्कि इतिहास के आंगन में खुलने वाला झरोखा है। जो इतिहास को ऐसे बयां करती है, जैसे सर्दियों की रातों में दादी-नानी कहानियां सुनाया करती थीं। दिल्ली में आपने तमाम जगहें देखी होंगी और घूमने गए होंगे, लेकिन चुन्नामल हवेली जैसी जगह आपने आज तक नहीं देखी होगी। चलिए घुमक्कड़ी में आज चलते हैं चुन्नामल हवेली के सफर पर और इस झरोखे से इतिहास के पन्नों में गोता लगाते हैं -

हवेली का नाम और किसकी हवेली

चुन्नामल हवेली का पूरा नाम राय चुन्नामल की हवेली है। पुरानी दिल्ली में यह अपनी तरह की अकेली हवेली है, जो अब भी अच्छी स्थिति में खड़ी है। 19वीं सदी में जब अंग्रेज पूरे भारत पर कब्जा कर रहे थे। उस समय पुरानी दिल्ली के चादनी चौक में एक बहुत ही अमीर व्यापारी रहते थे, जिनका नाम राय चुन्नीमल था। वह एक पंजाबी व्यापारी परिवार के थे। 1848 में उन्होंने यह हवेली बनवाई थी।

ब्रिटिश भारत के पहले म्युनिसिपल कमिश्नर थे चुन्नामल। उस समय वह दिल्ली के सबसे अमीर शख्स थे और कहते हैं कि दिल्ली में सबसे पहले टेलीफोन और गाड़ी उनके पास ही थी। कमिश्नर के पद से रिटायर होने के बाद ही उन्होंने दिल्ली के चांदनी चौक में बिजनेस करना शुरू किया और यहीं पर बस गए। उनके ही परिवार ने देश की पहली टेक्सटाइल मिल की नींव भी रखी थी।

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