उन गुरु को समर्पित है ये स्मारक, जिन्हें हिंद की चादर कहा जाता है; एक बार जरूर देखें

गुरु तेग बहादुर ने हिंदुओं को औरंगजेब के आतंक और जबरन धर्म परिवर्तन से बचाने के लिए अपनी शहादत दी थी। उन्हीं गुरु तेग बहादुर के नाम पर दिल्ली में एक मेमोरियल है, जिसके बारे में ज्यादा लोग नहीं जानते। घुमक्कड़ी में जानिए इसी मेमोरियल की खास बातें और कैसे पहुंचें।

Ghumakkdi GuruTegbahadur Memorial.

गुरु तेग बहादुर मेमोरियल

घुमक्कड़ी : अपने शहर दिल्ली को कितना जानते हैं आप? दिल्ली के बड़े-बड़े किले, मकबरे और अन्य पर्यटन स्थलों के बारे में तो आपको पता है। लेकिन जो जगहें आप नहीं जानते, जो चकाचौंध से दूर रह गईं... उनकी सुध लेना भी जरूरी है। Now Your City Better के उद्देश्य के साथ हम घुमक्कड़ी में आपको आपके ही शहर की ऐसी जगहों के बारे में बताते हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं या उन्हें भुला दिया गया है। ऐसी ही एक जगह है गुरु तेग बहादुर मेमोरियल। सिख पंथ के नौवें गुरू को समर्पित इस मेमोरियल के बारे में आज सब कुछ जानते हैं। यह भी जानेंगे कि यह कब बना और यहां तक कैसे पहुंचना है। तो फिर देर किस बात की... चलिए आगे बढ़ते हैं।

कब बना मेमोरियल

गुरु तेग बहादुर को समर्पित इस मेमोरियल को साल 2011 में आम लोगों के लिए खोला गया था। 11.87 एकड़ में बने इस मेमोरियल को बनाने में उस समय लगभग 26 करोड़ रुपये की लागत आई थी। इस मेमोरियल को दिल्ली सरकार ने बनाया था। आज दिल्ली पर्यटन विभाग इसकी देखरेख करता है। गुरु तेग बहादुर को हिंद की चादर कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने हिंदुओं को औरंगजेब के अत्याचारों से बचाने के लिए अपने प्राणों की शहादत दे दी थी।

कहां है गुरु तेग बहादुर मेमोरियल

गुरु तेग बहादुर मेमोरियल दिल्ली के सिंघू बॉर्डर (GT Karnal Road) राष्ट्रीय राजमार्ग (NH)- 1 पर है। उस समय दिल्ली सरकार की योजना थी कि दिल्ली के सभी एंट्री प्वाइंट को सुंदर ठंग से सजाया जाए। इसी कड़ी में सिंघू बॉर्डर पर गुरु तेग बहादुर मेमोरियल की स्थापना की गई थी।

मेमोरियल में क्या है खास

करीब 12 एकड़ में फैले गुरु तेग बहादुर मेमोरियल में 24 मीटर का सेंट्रल स्ट्रक्चर है, जो गुरु और उनकी ताकत को दर्शाता है। इसके अलावा यहां अंग्रेजी के अक्षर C आकर के तीन आर्च हैं, जो गुरु तेग बहादुर के तीन अनुयायियों को दर्शाते हैं। सेंट्रल स्ट्रक्चर के पास 10 मोनोलिथ भी हैं, जो 10 गुरुओं को दर्शाते हैं। दोनों तरफ 5-5 मोनोलिथ बनाए गए हैं। यहां पर शाम को लाइट एंड साउंड शो का भी आयोजन किया जाता था, जो फिलहाल बंद है। लाइट एंड साउंड शो की थीम पंचतत्व (ध्वनि, अग्नि, हवा, जल और पृथ्वी) होती थी।
लाइट एंड साउंड शो साल 2019 से बंद है और कब तक दोबारा शुरू होगा इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। इस संबंध में जानकारी के लिए हमने दिल्ली टूरिज्म से बात भी की, लेकिन उनका कहना भी है कि इसे फिर शुरू करने का प्लान तो है, लेकिन कब तक शुरू होगा, इसका जवाब वे नहीं दे पाए।

ये सुविधाएं भी हैं

यहां बहुत बड़ा हरा-भरा लॉन हैं, जिसमें लोग पिकनिक मनाने पहुंचते हैं। यहां पर मीटिंग्स के लिए भी रूम उपलब्ध है, जिसमें करीब 100 लोग आसानी से आ सकते हैं। इसके अलावा यहां आने वाले लोग कॉफी हाउस में गर्मागरम कॉफी का लुत्फ ले सकते हैं। यहां पर जन्मदिन, एनिवर्सरी आदि की पार्टियां और धार्मिक आयोजन भी कराए जाते हैं।

कब जाएं, कितना किराया

गुरु तेग बहादुर मेमोरियल में एंट्री के लिए सिर्फ एडल्ट को सिर्फ 10 रुपये का किराया देना होता है। जबकि 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को सिर्फ 5 रुपये का टिकट लेना होता है। जब यहां पर शाम को लाइट एंड साउंड शो होता था, उस समय विशेषतौर पर इस लाइट एंड साउंड शो के लिए बच्चों का 30 रुपये और बड़ों का 60 रुपये किराया लगता है। पार्किंग बिल्कुल फ्री है और यहां काफी गाड़ियां खड़ी हो सकती हैं। गुरु तेग बहादुर मेमोरियल मार्च से अक्टूबर तक रोज सुबह 8 से शाम 6 बजे तक खुला रहता है, जबकि नवंबर से फरवरी तक इसके खुलने का समय सुबह 8 से शाम 5.30 तक है।

कैसे पहुंचें गुरु तेग बहादुर मेमोरियल

जैसा कि आप जानते ही हैं कि यह मेमोरियल जीटी करनाल रोड स्थित सिंघू बॉर्डर पर है। यहां आप सड़क मार्ग से पहुंच सकते हैं। यह सिंघू बॉर्डर से करीब 1.5 किमी दूर है। अगर आप मेट्रो से आ रहे हैं तो आपको समयपुर बादली मेट्रो स्टेशन पर उतरना पड़ेगा, यहां से मेमोरियल की दूरी 16 किमी है। इंदिरा गांधी एयरपोर्ट से यहां की दूरी 39 किमी है।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | दिल्ली (cities News) और बजट 2024 (Union Budget 2024) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |

लेटेस्ट न्यूज

Digpal Singh author

खबरों की दुनिया में लगभग 19 साल हो गए। साल 2005-2006 में माखनलाल चतुर्वेदी युनिवर्सिटी से PG डिप्लोमा करने के बाद मीडिया जगत में दस्तक दी। कई अखबार...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited