मनीष सिसोदिया का इमोशनल तड़का-सियासी शब्दजाल के बीच नई आबकारी नीति पर नजर

सीधे तौर पर समझें तो सीबीआई ने दिल्ली की नई आबकारी नीति के संबंध में कहा है कि इससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ और जिस तरह ठेकों को आवंटित किया गया उसमें बड़े पैमाने पर रिश्वत ली गई है।इस मामले में दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया से पूछताछ की जा रही है।

What is Delhi new Excise Policy: दिल्ली की नई आबकारी नीति कभी अमल में लाई जा रही थी। लेकिन एलजी वी के सक्सेना को जब सीबीआई ने रिपोर्ट पेश की तो आम आदमी पार्टी की सरकार ने नई आबकारी नीति को हटा पुरानी आबकारी नीति को दोबारा से लागू कर दिया। सीबीआई की चार्जशीट में वैसे तो दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया का नाम अब तक नहीं है। लेकिन सीबीआई ने क्लीन चिट भी नहीं दिया। इसका मतलब लो जांच एजेंसी के घेरे में हैं। रविवार को सीबीआई पूछताछ का हिस्सा बनने से पहले उन्होंने अपनी मां का आशीर्वाद लिया। महात्मा गांधी के समाधि स्थल गए और रोड शो की शक्ल में इमोशन के तड़के और सियासी आरोपों के बीच सीबीआई के दफ्तर पहुंचे। इन सबके बीच हम बताएंगे कि दिल्ली की नई आबकारी नीति क्या थी।

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क्या थी नई आबकारी नीति

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  • आबकारी नीति का मतलब राष्ट्रीय राजधानी में खुदरा शराब कारोबार से दिल्ली सरकार का बाहर निकलना था। नई नीति के तहत, दिल्ली में 32 ज़ोन में 849 शराब की दुकानें खोली जानी थीं।
  • प्रत्येक जोन को 8-10 वार्डों में विभाजित किया गया था जिसमें 27 शराब की दुकानें होंगी। दिल्ली आबकारी नीति ने नियमों और विनियमों के अधीन मॉल, वाणिज्यिक क्षेत्रों, स्थानीय शॉपिंग कॉम्प्लेक्स आदि में शराब की दुकानों को खोलने की अनुमति दी।
  • आबकारी नीति पिछले साल 17 नवंबर 2021 को लागू की गई थी जब अनिल बैजल दिल्ली के उपराज्यपाल थे।
  • दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आरोप लगाया कि बैजल ने नीति के कार्यान्वयन से दो दिन पहले 15 नवंबर को अनधिकृत क्षेत्रों में शराब के ठेके खोलने पर अपना रुख बदल दिया। सिसोदिया ने आरोप लगाया कि तत्कालीन एल-जी ने 'अनधिकृत' क्षेत्रों में शराब के ठेके खोलने के प्रस्ताव पर आपत्ति नहीं जताई थी, लेकिन बाद में ठेके खोलने के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) और दिल्ली नगर निगम से अनुमति लेने की शर्त रखी। .
  • दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने नियमों के कथित उल्लंघन और प्रक्रियागत खामियों को लेकर केजरीवाल सरकार की आबकारी नीति, 2021-22 की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। उन्होंने कहा कि जुलाई में दायर दिल्ली के मुख्य सचिव की रिपोर्ट पर सीबीआई जांच की सिफारिश की गई थी, जिसमें जीएनसीटीडी अधिनियम 1991, व्यापार नियम (टीओबीआर) -1993, दिल्ली उत्पाद शुल्क अधिनियम -2009 और दिल्ली उत्पाद शुल्क नियम -2010 का प्रथम दृष्टया उल्लंघन दिखाया गया था।
बीजेपी का विरोध और सीबीआई जांच

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