MCD में स्टैंडिंग कमेटी पर यूं ही नहीं भिड़े बीजेपी-आप पार्षद, मेयर से भी ज्यादा शक्ति
दिल्ली एमसीडी में स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव को लेकर हंगामा यूं ही नहीं हो रहा। एमसीडी के संविधान के मुताबिक स्थायी समिति के पास आर्थिक और प्रशासनिक फैसलों के लेने का अधिकार होता है।
एमसीडी में स्टैंडिंग कमेटी पर टकराव
विवाद स्टैंडिंग कमेटी या स्थाई समिति के सदस्यों के चुनाव को लेकर है। स्थाई कमेटी में चार उम्मीदवार आप के और तीन उम्मीदवार बीजेपी के हैं। कुल 6 सदस्यों का चुनाव होना है। दरअसल विवाद की शुरुआत डिप्टी मेयर के चुनाव को लेकर हुई। मतदान के दौरान आप के कुछ वोट खारिज हो गए थे और क्रॉस वोटिंग भी हुई थी। इस तरह के हालात से बचने के लिए मेयर शैली ओबेरॉय ने मतदान क्षेत्र में मोबाइल ले जाने की अनुमति दी थी और विवाद वहीं से शुरू हुआ। आप ने कहा कि मोबाइल ले जाने का फैसला इसलिए लिया गया ताकि किसी को शक ना हो। क्रॉस वोटिंग की आशंका भी ना हो। कुछ पार्षदों ने अपने मतपत्र के फोटो भी खींचे जिसका बीजेपी ने विरोध किया और तब तक 47 वोट डाले जा चुके थे। 47 वोटों के बाद मेयर ने फैसला किया कि अब कोई मोबाइल नहीं ले जाएगा। बीजेपी का विरोध है कि जब गुप्त मतदान करने की व्यवस्था है तो नियम के मुताबिक जो 47 मत डाले गए हैं उन्हें खारिज कर दिया जाए। लेकिन मेयर ने कहा कि जिनका मतदान हो चुका है दोबारा से वोटिंग नहीं करायी जाएगी। उन्होंने कम मतपत्रों का हवाला दिया।
स्टैंडिंग कमेटी क्यों है अहम
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दरअसल एमसीडी के प्रोविजन के हिसाब ने मेयर और डिप्टी मेयर के पास फैसले लेने की शक्ति कम है। सभी महत्वपूर्ण फैसले स्टैंडिंग कमेटी करती है। खास तौर से आर्थिक और प्रशासनिक फैसलों में स्टैंडिंग कमेटी की भूमिका सर्वोपरि है। इस समिति में कुल 18 सदस्य होते हैं। अगर किसी विषय पर स्टैंडिंग कमेटी फैसला करती है तो उसे सदन में पारित कराने के लिए भेजा जाता है। स्टैंडिंग कमेटी के 18 सदस्यों का चुनाव दो तरीके से होता है। सदन की पहली बैठक में 6 सदस्यों का चुनाव होता है। और इसे सीक्रेट वोटिंग के तहत संपन्न कराया जाता है। इनका चुनाव वरीयता क्रम के आधार पर होता है। इसका अर्थ यह है कि पार्षद उम्मीदवारों के नाम पर नंबर देते हैं। अगर कोई उम्मीदवार नंबर 1 वरीयता कोा वोट पचास फीसद से अधिक पाता है तो उसे चुन लिया जाता है। अगर ऐसा नहीं होता तो दूसरे और तीसरे वरीयता के मतों की गिनती की जाती है।
स्टैंडिंग कमेटी में कुल 18 सदस्य
- 6 सीटों पर सदन के जरिए चुनाव
- आप की तरफ से चार उम्मीदवार
- बीजेपी की तरफ से तीन उम्मीदवार
- 12 का चयन जोन के जरिए
- जोन के जरिए चुनाव में एल्डरमैन को वोट देने का अधिकार
- आर्थिक प्रशासनिक फैसले लेने का अधिकार
आप के डर की वजह
अब आप को डर इसलिए सता रहा है क्योंकि डिप्टी मेयर के चुनाव में क्रॉस वोटिंग की खबर थी। दूसरा डर यह है कि आप के चार उम्मीदवारों के लिए पहले वरीयता के मतों की कमी है। आप को डर है कि अगर यहां क्रॉस वोटिंग हुई तो सारा खेल खराब हो जाएगा।कुल 18 में से 12 सदस्यों का चुनाव 12 जोन से किया जाता है। जोन की मीटिंग में मनोनीत सदस्यों को मत देने का अधिकार है। अगर एल्डरमैन को वोट देने का अधिकार नहीं होता तो आप को 12 में से 8 जोन आसानी से मिल जाते और बीजेपी को चार। लेकिन एलजी ने जो नोटिफिकेशन जारी किया है उसके हिसाब से एल्डरमैन को सिर्फ तीन जोन में अप्वाइंट किया गया है। इस तरह से बीजेपी चार की जगह सात जोन से अपने सदस्यों को स्टैंडिंग कमेटी में भेज सकती है। अब यदि बीजेपी सदन के जरिए तीन सीट जीतने में कामयाब होती है तो सात जोन मिलाकर उसके पास 10 सदस्य हो जाएंगे और वो स्टैंडिंग कमेटी में बहुमत हासिल कर लेगी। ऐसी सूरत में आप के पास मेयर, डिप्टी मेयर का पद होते भी हाथ कुछ नहीं लगेगा।
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