Delhi Pollution: दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण पर CAG रिपोर्ट ने खोली पिछली सरकार की पोल, बोले पर्यावरण मंत्री सिरसा
CAG Report on Delhi Air Pollution: मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता द्वारा पेश की गई 'दिल्ली में वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण' पर रिपोर्ट में राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण की स्थिति बिगड़ने के पीछे प्रमुख कारणों के रूप में प्रमुख नीतिगत कमियों और कमजोर क्रियान्वयन तथा एजेंसियों के बीच खराब समन्वय को उजागर किया गया है।

CAG Report on Delhi Air Pollution: दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति बिगड़ने की वजह प्रदूषण नियंत्रण तंत्र में खामियां हैं। मंगलवार को विधानसभा में पेश की गई सीएजी की रिपोर्ट (CAG Report ) में यह जानकारी सामने आयी।रिपोर्ट के अनुसार, पीयूसी प्रमाणपत्र जारी करने में अनियमितताएं, वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली का अविश्वसनीय होना और प्रदूषण नियंत्रण उपायों को खराब तरीके से लागू करना सहित अन्य कारणों से दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति बिगड़ी।
दिल्ली सरकार के मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने विधानसभा में कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण की भयावह स्थिति को लेकर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में पिछली सरकार की लापरवाही और अनियमितताओं का खुलासा हुआ है।
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दिल्ली विधानसभा में पेश की गई इस रिपोर्ट पर चर्चा के दौरान पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि पिछली सरकार ने सिर्फ सोशल मीडिया पर प्रदूषण नियंत्रण के दावे किए, लेकिन जमीनी हकीकत में दिल्ली की हवा को और प्रदूषित बना दिया।
कैग रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष:
1. वाहन प्रदूषण नियंत्रण में लापरवाही: रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि 1.08 लाख से अधिक अनफिट वाहनों को प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र (PUC) जारी किया गया, जबकि उनकी प्रदूषण सीमा तय मानकों से अधिक थी।
2. पीयूसी प्रक्रिया में अनियमितता: 76,865 वाहनों की प्रदूषण जांच और पीयूसी प्रमाण पत्र मात्र एक मिनट में जारी कर दिए गए, जो व्यावहारिक रूप से असंभव है। इसके अलावा, 7,643 मामलों में एक ही सेंटर पर एक समय में दो वाहनों को प्रमाण पत्र दिए गए।
3. डीटीसी बसों की कमी: डीटीसी बसों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई, जिससे लोगों को निजी वाहन अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिससे वायु प्रदूषण में वृद्धि हुई।
4. इलेक्ट्रिक बसों की खरीद में देरी: जून 2021 में 380 इलेक्ट्रिक बसों की खरीद के लिए टेंडर निकाला गया था, लेकिन इसे रोक दिया गया। 2022 में सिर्फ दो इलेक्ट्रिक बसें डीटीसी के बेड़े में शामिल की गईं।
5. रूट रेशनलाइजेशन योजना अधूरी: इस योजना के लिए 3 करोड़ रुपये खर्च किए गए, लेकिन इसे अधूरा छोड़ दिया गया।
6. निजी वाहनों की संख्या में वृद्धि: मार्च 2021 तक दिल्ली में दोपहिया वाहनों की संख्या 81 लाख हो गई, जबकि कुल पंजीकृत वाहनों की संख्या 1.30 करोड़ तक पहुंच गई।
7. स्मोक टावर परियोजना विफल: इस परियोजना पर 22 करोड़ रुपये खर्च किए गए, लेकिन यह वायु प्रदूषण को कम करने में कारगर साबित नहीं हुई।
8. ऑड-ईवन स्कीम बेअसर: इस योजना के प्रचार पर 53 करोड़ रुपये खर्च किए गए, लेकिन इससे वाहन प्रदूषण में कोई ठोस कमी नहीं आई।
पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में दिल्ली सरकार प्रदूषण नियंत्रण के लिए ठोस और प्रभावी नीतियां लागू करने जा रही है। सरकार आधुनिक तकनीकों और वैज्ञानिक उपायों को अपनाकर दिल्ली की वायु गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए प्रतिबद्ध है।
दिल्ली के लोगों को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त वातावरण प्रदान करने के लिए सरकार जल्द ही नए कदम उठाने की घोषणा करेगी।
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