मनीष सिसोदिया की और बढ़ेंगी मुश्किलें, सीबीआई चार्जशीट में पहली बार नाम शामिल
इस मामले में कुल मिलाकर 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया था और सिसोदिया को छोड़कर सभी जमानत पर बाहर हैं।
मनीष सिसोदिया की और बढ़ेंगी मुश्किलें
Liquor Policy Case: दिल्ली शराब नीति मामले में दायर सीबीआई चार्जशीट में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को आरोपी बनाया गया है। आज दायर पूरक चार्जशीट में भारत राष्ट्र समिति की नेता के कविता के पूर्व ऑडिटर बुच्ची बाबू, अर्जुन पांडे और अमनदीप ढल का भी नाम है। पिछले हफ्ते दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से सीबीआई ने इस मामले में गवाह के तौर पर करीब नौ घंटे तक पूछताछ की थी। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी बीआरएस नेता कविता से भी मामले में पूछताछ की गई है।
26 फरवरी को गिरफ्तार हुए थे सिसोदिया
शराब नीति मामले को मनगढ़ंत बताते हुए केजरीवाल ने पूछताछ के बाद कहा था कि केंद्र सरकार आप को निशाना बना रहा है क्योंकि वह एक राष्ट्रीय पार्टी बन गई है। उन्होंने कहा कि वे हमें और हमारे विकास कार्यों को बदनाम करने के लिए यह सब कर रहे हैं। सिसोदिया ने भी किसी तरह के भ्रष्टाचार से इनकार किया है और अपनी जमानत अर्जी में एक अदालत से कहा है कि केंद्रीय एजेंसी के पास उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है। सिसोदिया को 26 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना की ओर से हरी झंडी दिखाने के बाद मामले में पहली रिपोर्ट दर्ज किए जाने के छह महीने बाद सिसोदिया गिरफ्तार हुए थे।
सिसोदिया को छोड़ सभी जमानत पर
इस मामले में कुल मिलाकर 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया था और सिसोदिया को छोड़कर सभी जमानत पर बाहर हैं। आप ने कहा है कि सिसोदिया की गिरफ्तारी दिल्ली मॉडल शासन पर हमला है। पार्टी ने एक संवाददाता सम्मेलन में सवाल उठाते हुए कहा था कि आपको (भाजपा को) उनके घर या बैंक खातों से कुछ भी नहीं मिला। वे उनके खिलाफ कोई आरोप साबित नहीं कर पाए।
सिसोदिया पर भ्रष्टाचार के आरोप
सिसोदिया और अन्य पर दिल्ली सरकार की 2021 की शराब नीति से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोप हैं। इस नीति को बाद में रद्द कर दिया गया था। सीबीआई का तर्क है कि नीति बनाने में शराब कंपनियां शामिल थीं, जिससे शराब कंपनियों को 12 फीसदी का मुनाफा होता। एजेंसी ने आरोप लगाया कि एक शराब लॉबी "साउथ ग्रुप" ने इसके लिए भुगतान किया था। एजेंसी ने दावा किया कि प्रस्तावित 12 फीसदी मुनाफे में से छह फीसदी सरकारी कर्मचारियों को बिचौलियों के जरिए पहुंचाया गया। प्रवर्तन निदेशालय ने भी घूसखोरी का आरोप लगाते हुए एक जांच शुरू की है। शराब नीति को रद्द किए जाने के बाद भाजपा ने कहा कि दिल्ली सरकार भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने के लिए पुरानी शराब नीति पर वापस आ गई है।
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