जाओ चाहे जहां, पहचाने जाओगे वहां; बदमाशों के लिए दिल्ली पुलिस की खास तैयारी

दिल्ली के लोगों की सुरक्षा और हो रही आपराधिक वारदातों को रोकने के लिए और आरोपियों को पकड़ने के लिए पुलिस मुख्यालय द्वारा एफआरएस सॉफ्टवेयर वाले कैमरों का जाल बिछाने की तैयारी की जा रही है। इस प्रकार से अपराधियों की पहचान की जा सकती है और उन्हें पकड़ने में पुलिस को आसानी होगी।

Delhi CCTV

बदमाशों के लिए दिल्ली पुलिस की खास तैयारी

Delhi: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए और आपराधिक वारदातों को अंजाम देने वाले अपराधियों धर दबोचना के लिए पुलिस द्वारा खास तैयारी की जा रही है। पुलिस अब दिल्ली के कई इलाकों में एफआरएस यानी फेस रिकॉग्नाइजेशन सिस्टम से लैस कैमरों का जाल बिछाने की तैयारी कर रही है। बता दें कि गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस व अन्य प्रकार के बड़े कार्यक्रमों में सुरक्षा के लिए पुलिस द्वारा एफआरएफ तकनीक के कैमरे का इस्तेमाल किया जाता है। अब दिल्ली के अलग-अलग स्थानों पर सुरक्षा के लिए एफआरएस सॉफ्टवेयर वाले कैमरों का इस्तेमाल किए जाने की तैयारी की जा रही है।

कैमरों में डाला जाएगा एफआरएस सॉफ्टवेयर

बता दें कि दिल्ली के प्रत्येक थानाध्यक्ष से उनके इलाकों के कैमरों की जानकारी निकालकर सूची बनाने को कहा गया था, जिसमें एफआरएस सॉफ्टवेयर डाला जा सकता है। यह सूची पुलिस मुख्यालय को भेजी दी गई है। बता दें कि पहले से ही दिल्ली के प्रमुख बाजारों और सड़कों पर लगे सीसीटीवी कैमरों में एफआरएस का इस्तेमाल किया जा रहा है। अब अन्य क्षेत्रों में भी इसे लगाने की तैयारी की जा रही है, ताकि कोई भी अपराधी बच न सके। चप्पे-चप्पे पर पुलिस की नजर रहेगी, जिससे दिल्ली के लोगों की सुरक्षा भी बनी रहेगी।

एसआरएफ की मदद से सुलझाए गए कई मामले

बता दें कि दिल्ली पुलिस ने एसआरएफ की तकनीक से कई मामले सुलझाए हैं व कई बड़े अपराधियों को गिरफ्तार किया है। जानकारी के लिए बता दें कि दिल्ली के चांदनी चौक में पिस्तौल के बल पर 80 लाख की लूट करने वाले को भी एफआरएस तकनीक के माध्यम से गिरफ्तार किया गया था। इसके साथ ही सरोजनी नगर में महिला की चेन-स्नेचिंग का मामला और नौरोजी नगर इलाके में बाइक से चोरी कर फरार होने वाले बदमाश को भी इसी तकनीक की सहायता से गिरफ्तार किया गया। इसलिए उम्मीद की जा रही है कि पूरी दिल्ली में इस सॉफ्टवेयर से लैस कैमरे की सहायता से अपराध को कम किया जा सकता है और अपराधियों को पकड़ा जा सकता है।

कैसे काम करता है एफआरएस

फेस रिकॉग्नाइजेशन सिस्टम यानी एफआरएफ सॉफ्टवेयर को एक अच्छी क्वालिटी के सीसीटीवी कैमरे में डाला जाता है। इसमें अपराधियों का डाटा होता है। ऐसे में जब कोई अपराधी कैमरे के सामने आता है तो इसका अलर्ट तुरंत कंट्रोल रूप में जाता है। जिसके बाद पुलिस एक्शन लेते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है।

इतनी ऊंचाई के कैमरे में करता है एफआरएस बेहतर काम

जानकारी के अनुसार, बीते दिनों सेफ सिटी प्रोजेक्ट के अतिरिक्त आयुक्त मनोज सी द्वारा जिला पुलिस के उपायुक्त को एक पत्र लिखा था। इस पत्र में बताया गया था की एफआरएस सॉफ्टवेयर 15 से 20 फुट की ऊंचाई पर लगे कैमरों में काम नहीं करता है। यह 8 से 10 फुट की ऊंचाई पर लगे सीसीटीवी कैमरों में बेहतर ढंग से काम करता है, इसलिए ऐसे कैमरे चिह्नित किया जाए, जिसकी ऊंचाई 8 से 10 फीट की हो और उनमें सॉफ्टवेयर डाला जा सके।

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varsha kushwaha author

वर्षा कुशवाहा टाइम्स नाऊ नवभारत में बतौर कॉपी एडिटर काम कर रही हैं। नवबंर 2023 से Timesnowhindi.com के साथ करियर को आगे बढ़ा रहे हैं। वह इंफ्रा, डे...और देखें

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