दिल्ली-मुंबई पर मंडरा रहा गंभीर खतरा, तबाही के मुहाने पर खड़े देश के दो सबसे बड़े शहर
दिल्ली और मुंबई देश के दो सबसे बड़े महानगर हैं और यही दो शहर आने वाले 25 वर्षों में सबसे बड़े खतरे में भी हैं। जैसे हालात अभी हैं, अगर यह उसी तरह बिगड़ते रहे तो 2050 तक दिल्ली और मुंबई में न सिर्फ प्रचंड गर्मी के दिनों की संख्या बढ़ेगी, बल्कि गंभीर बाढ़ का खतरा भी बढ़ जाएगा।
दिल्ली-मुंबई को जलवायु परिवर्तन का बड़ा खतरा
अभी भले ही सर्दियों ने दस्तक दे दी हो और आप दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की समस्या से जूझ रहे हों। लेकिन आपको इसी साल पड़ी प्रचंड गर्मी भी अच्छी तरह से याद होगी। लगातार कई दिनों तक दिल्ली-एनसीआर के इलाके लू की चपेट में रहे। दिल्ली के मुंगेशपुर में तो तापमान का रिकॉर्ड भी टूट गया था। बुरी खबर ये है कि दिल्ली-मुंबई जैसे देश के प्रमुख शहरों के ऊपर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। यह खतरा कुछ और नहीं, बल्कि जलवायु परिवर्तन से ही है।
जलवायु परिवर्तन का असर अब दुनियाभर में दिखने लगा है। ऐसे इलाकों में प्रचंड गर्मी पड़ रही है, जहां के लोगों ने कभी गर्मी का एहसास तक नहीं किया था। सर्दियों में ठंड भी प्रचंड रूप में सामने आ रही है। सऊदी अरब और यूएई सहित मिडल ईस्ट के देशों में बारिश और बाढ़ का कहर देखने को मिल रहा है, जहां कभी एक बूंद पानी नहीं बरसता था।
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ऊटपटांग मौसम की मार
लगातार बढ़ती गर्मी, बेमौसम और मूसलाधार बारिश, बाढ़ के रूप में जलवायु परिवर्तन का असर दिख रहा है। माना जा रहा है कि अगर हालात ऐसे ही रहे तो अगले 25 वर्षों में देश की राजधानी दिल्ली और आर्थिक राजधानी मुंबई सहित दुनियाभर के कई बड़े शहर प्रचंड गर्मी और बाढ़ के संकट से जूझ रहे होंगे।
लंदन स्टॉक एक्सचेंज ने नेट-जीरो एटलस के नाम से एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें यह तमाम दावे किए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार साल 2050 तक दुनियाभर के 59 महानगरों को गंभीर जलवायु खतरों का सामना करना पड़ेगा। इन शहरों में प्रचंड गर्मी और लू के साथ ही मूसलाधार बारिश व बाढ़, तूफान के साथ ही जल संकट का जोखिम भी कई गुना बढ़ जाएगा।
30 दिन प्रचंड गर्मी में उबलेंगे दिल्ली वाले
रिपोर्ट के अनुसार आशंका है कि दिल्ली में लू के दिनों में 168 फीसद की बढ़ोतरी हो सकती है। राष्ट्रीय राजधानी में प्रचंड गर्मी के दिन जो अभी 11 दिन हैं, वो बढ़कर 30 हो सकते हैं। दिल्ली के लोगों को गर्मी में पानी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ता है और अगर ऐसा ही चलता रहा तो शहर में 33 फीसद और पानी की कमी हो सकती है।
यही नहीं मानसून के दौरान भारी बारिश के चलते बाढ़ का खतरा भी 46 फीसद तक बढ़ने की आशंका है। बात करें मुंबई की तो यह एक तटीय नगर है और अरब सागर के किनारे बसा है। यहां पर 2050 तक लू के दिनों में 208 फीसद का इजाफा हो सकता है। सिर्फ गर्मी ही नहीं बढ़ेगी, बल्कि गर्मियों में 30 फीसद पानी की कमी भी हो सकती है।
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इन शहरों का हाल भी होगा बेहाल
जलवायु परिवर्तन के खतरे के लिए मिडल ईस्ट और साऊथ ईस्ट एशिया के देश बहुत ज्यादा संवेदनशील हैं। पड़ोसी देश इंडोनेशिया के जकार्ता में गर्मी के दिनों में चार गुना बढ़ोतरी होने की आशंका है। रियाद, जेद्दा, सुरबाया और सिंगापुर में भी लू के दिन बढ़ जाएंगे। इसकी वजह से इन शहरों में पानी का गंभीर संकट पैदा हो सकता है। लंदन में लू के दिनो में 133 फीसद इजाफे के साथ ही पानी की भी 22 फीसद कमी हो सकती है। मैनचेस्टर में लू के दिन 93 फीसद बढ़ सकते हैं और 45 फीसद तक पानी की कमी होगी। स्पेन की राजधानी मैड्रि़ड में न सिर्फ लू बढ़ेगी, बल्कि पानी की कमी भी 93 फीसद तक हो सकती है।
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