अब दिल्ली एम्स में आसानी से मिल जाएगा बेड, खास फैसले पर खास नजर

एम्स पर बोझ कम करने के लिए दिल्ली सरकार के दो सरकारी अस्पतालों को अपने यहां मरीजों की संख्या के बारे में बताना होगा। इसका मकसद यह है कि एम्स में भर्ती क्रिटिकल लेकिन स्टेबल मरीज को रेफर किया जा सके।

दिल्ली एम्स

Delhi AIIMS: दिल्ली के दो सरकारी अस्पतालों को अब अपने पेशेंड लोड के बारे में एम्स दिल्ली को जानकारी देनी होगी। पहला अस्पताल दिल्ली सरकार का इंदिरा गांधी अस्पताल द्वारका और दूसरा अस्पताल एनडीएमसी के जरिए संचालित चरक पालिका है। इसे अगले महीने से प्रयोग के तौर पर शुरू किया जाएगा। इस संबंध में दिल्ली के एलजी वी के सक्सेना ने फैसला लिया। इसका मकसद है कि दूसरे सरकारी अस्पतालों से एम्स रेफर किए जाने वाले मामले में पारदर्शिता लाई जाए। इसका मकसद यह है कि सरकारी अस्पतालों में जो बेड खाली रह जाते हैं उनका अधिकतम उपयोग किया जा सके। इसके पीछे दूसरा मकसद यह भी है कि एम्स में ऐसे मरीज जो क्रिटिकल लेकिन हालत स्थिर है उन्हें इन अस्पतालों में भेजा जा सके। इस फैसले से एम्स दिल्ली पर जो दबाव पड़ रहा है उसे कम करने में मदद मिलेगी।

अधिकारियों के मुताबिक पिछले साल एम्स के निदेशक डॉ एम श्रीनिवास ने दिल्ली के दूसरे सरकार अस्पतालों के साथ बैठक की थी और इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की। एक दूसरे अधिकारी ने कहा कि बैठक का मकसद यह भी था कि इस तरह के प्रोटोकॉल बनाए जाएं जिसके जरिए ना सिर्फ सरकारी अस्पतालों में लोगों का भरोसा बने बल्कि किसी भी एक अस्पताल पर पूरा बोझ ना हो।दिल्ली के दूसरे सरकार अस्पताल जब अपने यहां मरीजों की संख्या के बारे में जानकारी देंगे तो उसका बड़ा फायदा यह होगा कि दिल्ली एम्स में क्रिटिकल और गंभीर रोगों का सामना कर रहे मरीजों को पर्याप्त संख्या में बेड सुलभ हो सकेगा। इसके जरिए मरीजों को एक जगह से दूसरी जगह भटकना भी नहीं होगा। बता दें कि पिछले साल एक 75 साल की महिला मरीज की मौत एम्स के इमरजेंसी के सामने हो गई थी। उस दौरान उसे सफदरजंग से लाया जा रहा था।

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ललित राय author

खबरों को सटीक, तार्किक और विश्लेषण के अंदाज में पेश करना पेशा है। पिछले 10 वर्षों से डिजिटल मीडिया म...और देखें

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