अब दिल्ली एम्स में आसानी से मिल जाएगा बेड, खास फैसले पर खास नजर
एम्स पर बोझ कम करने के लिए दिल्ली सरकार के दो सरकारी अस्पतालों को अपने यहां मरीजों की संख्या के बारे में बताना होगा। इसका मकसद यह है कि एम्स में भर्ती क्रिटिकल लेकिन स्टेबल मरीज को रेफर किया जा सके।
दिल्ली एम्स
दिल्ली एम्स पर बोझ होगा कम
अधिकारियों के मुताबिक पिछले साल एम्स के निदेशक डॉ एम श्रीनिवास ने दिल्ली के दूसरे सरकार अस्पतालों के साथ बैठक की थी और इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की। एक दूसरे अधिकारी ने कहा कि बैठक का मकसद यह भी था कि इस तरह के प्रोटोकॉल बनाए जाएं जिसके जरिए ना सिर्फ सरकारी अस्पतालों में लोगों का भरोसा बने बल्कि किसी भी एक अस्पताल पर पूरा बोझ ना हो।दिल्ली के दूसरे सरकार अस्पताल जब अपने यहां मरीजों की संख्या के बारे में जानकारी देंगे तो उसका बड़ा फायदा यह होगा कि दिल्ली एम्स में क्रिटिकल और गंभीर रोगों का सामना कर रहे मरीजों को पर्याप्त संख्या में बेड सुलभ हो सकेगा। इसके जरिए मरीजों को एक जगह से दूसरी जगह भटकना भी नहीं होगा। बता दें कि पिछले साल एक 75 साल की महिला मरीज की मौत एम्स के इमरजेंसी के सामने हो गई थी। उस दौरान उसे सफदरजंग से लाया जा रहा था।
दूसरे अस्पतालों को भी जोड़ा जाएगा
एलजी दफ्तर के अधिकारियों का कहना है कि धीरे धीरे इस व्यवस्था में दूसरे अस्पतालों को भी जोड़ा जाएगा। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि एम्स पर लोड में कमी आएगी। इस समय एम्स के इमरजेंसी विभाग में हर दिन 866 मरीज आते हैं। इसके साथ ही दूसरे अस्पतालों के रेफरल मरीजों को भी एडमिट करना होता है। मौजूदा समय में एम्स 866 मरीजों में से सिर्फ 50 मरीज को भर्ती कर सकता है। पहली कोशिश में एलजी का आदेश है कि सबसे पहले सरकारी अस्पतालों में बेड और मरीजों की संख्या के अंतर के बारे में गहराई से अध्ययन किया जाए। इसके बाद रीयल टाइम विश्लेषण किया जाएगा ताकि मरीज को तत्काल दूसरे अस्पताल भेजा जा सके।
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