चांदनी चौक: आखिर क्यों बनाया गया यह बाजार, जानिए शाहजहां ने क्या रखा था इसका नाम
आपने दिल्ली के चांदनी चौक के बारे में तो जरूर सुना होगा। यहां शॉपिंग के लिए भी गए होंगे। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि यह बाजार लगना कब शुरू हुआ। इसे किसने किसने बसािया और इसका नाम कैसे पड़ा ? आइए आज चांदनी चौक के बारे में जानते हैं-
चांदनी चौक
Chandni Chowk: दिल्ली के चांदनी चौक का नाम तो सभी जानते हैं। पूरे भारत में यह बाजार मशहूर है। यह दिल्ली का काफी पुराना बाजार है। देश-विदेश सभी जगह के लोग यहां घूमने, शॉपिंग करने और जायके का आनंद लेने आते हैं। यहां के छोटी-छोटी गलियों में आपको कई दुकानें मिलेंगी। जहां आप बहुत ही कम बजट में जरूरत का लगभग हर सामान खरीद सकते हैं। दूर-दराज से व्यापारी यहां थोक रेट में सामान खरीदने के लिए आते हैं। और शॉपिंग करके जब थक जाते हैं तो यहां मिलने वाले टेस्टी व्यंजनों का लुत्फ उठाते हैं। आपने चांदनी चौके के पराठों का नाम तो सुना ही होगा। यहां जैसे पराठों का स्वाद आपको दिल्ली में कहीं और खाने को नहीं मिलता है।
इसलिए तो कहते हैं अगर दिल्ली गए और आपने यहां के चांदनी चौक का दीदार नहीं किया तो फिर क्या ही क्या। आपने चांदनी चौक के बारे में पहले भी सुना ही होगा। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि चांदनी चौक की शुरुआत कैसे हुई ? इसे किसने बसाया और इसका चांदनी चौक से पहले क्या नाम रखा गया ? अगर नहीं तो आइए आज इस फेमस बाजार के बारे में सबकुछ जानते हैं।
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इसलिए बनाया गया था चांदनी चौक
आपको पता ही होगा कि पॉपुलर चांदनी चौक पुरानी दिल्ली में है। कहा जाता है कि शाहजहां की बेटी जहांआरा को खरीदारी का बड़ा ही शौक था। वह दिल्ली के अलग-अलग बाजारों में जाती और वहां से रंग-बिरंगे सामानों की खरीदारी कर लाती थी। इस बात का पता जब शाहजहां को चला तो उन्होंने एक ऐसा बाजार बनाना चाहा, जहां जरूरत का हर सामान मिलता हो। फिर इस बाजार को बनाया गया, जिसे आज चांदनी चौक के नाम से दुनिया जानती है। इसे साल 1650 में बनवाया गया था।
कैसे पड़ा चांदनी चौक का नाम ?
ऐसा कहा जाता है कि शाहजहां ने पहले इसका नाम शाहजहानाबाद रखा था। इसे बनवाते समय इसे चौकोर डिजाइन के बीच की जगह को खाली रखा गया था। जिससे कि यमुना नदी का पानी आता था। और इस पानी पर जब चांद की रौशनी पड़ती थी तो वह बहुत खूबसूरत दिखता था। इसलिए इसका नाम चांदनी चौक पड़ गया।
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ये भी रही है एक वजह
इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि जब व्यापारियों ने यहां दुकानें लगानी शुरू की तो यहां अधिकतर चांदी के गहने बेचे जाते थे। इसलिए धीरे-धीरे इसे चांदनी चौक कहा जाने लगा।
चांदनी चौक का दरीबा कला
अब जब चांदनी चौक की बात तो यहां के चांदनी सड़क की बात तो होगी ही। यहां जाते ही आपको एक सड़क पर काफी भीड़ नजर आएगी। इसे दरीबा कला के नाम से जाना जाता है। कहते हैं कि पहले यहां चीन और तुर्की से कारोबारी आते थे। जिस वजह से इस सड़क अलग पहचान मिली। यहां कई तरह के स्वादिष्ट व्यंजन भी मिलते हैं। यहां आप कई तरह की मिठाइयों, जलेबी और कचौड़ी का स्वाद ले सकते हैं।
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