यमुना में प्रदूषण को लेकर दिल्ली सरकार गंभीर, STP इंजीनियरों के खिलाफ करेगी कार्रवाई
दिल्ली में यमुना नदी में बढ़ते प्रदूषण को लेकर दिल्ली सरकार ने सख्ती दिखाई है। दिल्ली सरकार एसटीपी के मुख्य अभियंताओं को दंडित करने की योजना बना रही है।
फाइल फोटो।
दिल्ली सरकार का प्रदूषण नियंत्रण निकाय उन अवजल शोधन संयंत्रों (एसटीपी) के मुख्य अभियंताओं को दंडित करने की योजना बना रहा है, जहां निर्धारित मानकों के अनुसार अपशिष्ट जल का शोधन नहीं होता है। यह जल यमुना नदी में जल प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है।
निर्धारित काम नहीं हो पाया पूरा
उपचारित अपशिष्ट जल में ‘बॉयोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड’ (बीओडी) और ‘टोटल सस्पेंडेट सॉलिड्स’ (टीएसएस) 10 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम होना चाहिए। दिल्ली में यमुना की सफाई के लिए यह महत्वपूर्ण है। राष्ट्रीय राजधानी में दिसंबर 2023 तक निर्धारित मानकों के अनुसार समूचे अवजल के उपचार का काम पूरा नहीं हो पाया।
लक्ष्य नहीं हो सका हासिल
जल शक्ति मंत्रालय को भेजी गई यमुना नदी के पुनरुद्धार पर मासिक प्रगति रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) को छह महीने का विस्तार मिला था, लेकिन वह लक्ष्य पूरा करने में विफल रहा। इस साल मार्च में दिल्ली ने अपनी अवजल शोधन क्षमता को बढ़ाकर 814 मिलियन गैलन प्रतिदिन करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन यह भी हासिल नहीं हो सका।
जल शक्ति मंत्रालय को सौंपी गई नवीनतम मासिक प्रगति रिपोर्ट के अनुसार, अब डीजेबी का लक्ष्य दिसंबर 2024 तक 922 एमजीडी और मार्च 2025 तक 964.5 एमजीडी की अवजल शोधन क्षमता तक पहुंचना है। पर्यावरण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हम डीजेबी को लगातार काम में तेजी लाने और समय सीमा में पूरा करने का अनुरोध करते रहे हैं। हमने डीजेबी पर जुर्माना भी लगाया है। अब हमने मौजूदा एसटीपी के उन्नयन और नए एसटीपी के निर्माण की देखरेख करने वाले मुख्य अभियंताओं को जवाबदेह बनाने का फैसला किया है।
अधिकारी ने कहा कि यदि विशिष्ट अवजल शोधन संयंत्रों के लिए जिम्मेदार मुख्य अभियंता मानकों का पालन नहीं करते हैं तो हम उन पर व्यक्तिगत दंड लगाएंगे।
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देवशंकर चौधरी मार्च 2024 से Timesnowhindi.com के साथ करियर को आगे बढ़ा रहे हैं और बतौर कॉपी एडिटर...और देखें
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