Delhi NCR Pollution: दिल्‍ली की हवा 20 सिगरेट पीने के बराबर, प्रदूषण से बढ़ रहा गंभीर बीमारियों का खतरा

Delhi-NCR Pollution: वैज्ञानिकों ने वायु प्रदूषण के स्‍वास्‍थ्‍य पर प्रभाव पर आधारित जो रिसर्च की थी उसमें काफी हैरतअंगेज बात सामने आई थी। उस रिसर्च में बताया गया था एक सिगरेट एक दिन के लिए 21.6 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के वायु प्रदूषण के बराबर हानिकारक है।

दिल्‍ली प्रदूषण।

Delhi-NCR Pollution: देश की राजधानी दिल्‍ली समेत आसपास के कई इलाकों में प्रदूषण का स्तर बेहद खतरनाक हो चला है। 27 अक्‍टूबर के बाद से लगातार AQI खतरनाक लेवल पर जा रहा है। वहीं, धुंध की चादर भी बनी हुई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, इन दिनों में दिल्ली की हवा उतनी ही नुकसानदेह हो चुका है जितना 20 या इससे अधिक सिगरेट पीने के बराबर नुकसान होता है। दरअसल, बर्कले अर्थ के दो वैज्ञानिकों रिचर्ड मुलर और उनकी बेटी एलिजाबेथ मूलर ने वर्ष 2015 में वायु प्रदूषण (पीएम 2.5) का एक फॉर्मूला निकाला था। ये फॉर्मूला प्रदूषण के स्‍वास्‍थ्‍य पर असर को देखते हुए निकाला गया था।

रिजल्‍ट में सामने आई हैरतअंगेज बात

उपरोक्‍त वैज्ञानिकों ने वायु प्रदूषण के स्‍वास्‍थ्‍य पर प्रभाव पर आधारित जो रिसर्च की थी उसमें काफी हैरतअंगेज बात सामने आई थी। उस रिसर्च में बताया गया था एक सिगरेट एक दिन के लिए 21.6 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के वायु प्रदूषण के बराबर हानिकारक है। वहीं, पीएम 2.5 आंकड़ों के औसत और सिगरेट की संख्या प्राप्त करने के लिए इसे 21.6 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से भाग करते हैं। अगर दिल्‍ली के वर्तमान वायु प्रदूषण से इसकी तुलना की जाए तो कई क्षेत्रों का 450 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर वायु प्रदूषण दिन में 21 सिगरेट पीने के बराबर है। वहीं, शुक्रवार की बात करें तो ओखला से ग्रेटर नोएडा तक की आबोहवा इतनी खराब थी कि यहां दिनभर हवा में सांस लेना 21 सिगरेट पीने के बराबर था।

विशेषज्ञों की भी सुनें

AIIMS के मेडिसन विभाग के प्रोफेसर नवल विक्रम ने भी एक रिपोर्ट साझा की है। उन्‍होंने रिसर्च में बताया है कि, एक दिन में 20 सिगरेट या बीड़ी पीना स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बेहद हान‍िकारक होता है। इतनी बड़ी मात्रा में सिगरेट का धुआं इनहेल करना दिमाग के दौरे का कारक बनता है। दौरे से मरने वालों में 11 फीसद लोग स्‍मोक करने के आदी होते हैं। यही वजह है कि लोगों को धूम्रपान से बचना चाहिए क्‍योंकि इससे सांस व दिल की समस्‍या भी काफी बढ़ती है। इसका बच्चों और बुजुर्गों पर इसका सबसे अधिक असर पड़ता है और उनकी हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। वहीं प्रेग्‍नेंसी में कोख में पल रहे बच्‍चे को भी इससे हानि होती है।

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