Road Safety: सड़क सुरक्षा को लेकर दिल्ली पुलिस अलर्ट, ट्रैफिक कर्मियों को खास ट्रेनिंग

Road Safety Training Session:बारिश का मौसम ख़ुशहाली तो लाता ही है, साथ ही इसके साथ-साथ सड़क पर चलने वालों के लिए कई बार जानलेवा हादसों की भी वजह बनता है।

Delhi Road Safety Training Session

दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने एक स्पेशल ट्रेनिंग सेशन का आयोजन किया

Road Safety Training Session: मॉनसून के मौसम में हर साल सड़क हादसों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी हो जाती है। इसकी बड़ी वजह कुछ लापरवाहियाँ हैं। अगर इन लापरवाहियों की अनदेखी न की जाए तो ज़्यादातर हादसे टाले जा सकते हैं। इन्हीं जानलेवा हादसों को टालने के मक़सद से दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने एक स्पेशल ट्रेनिंग सेशन का आयोजन किया। दिल्ली पुलिस मुख्यालय में हुए इस ट्रेनिंग सेशन में बड़ी संख्या में दिल्ली ट्रैफ़िक पुलिस के जवान और बच्चे शामिल हुए।दिल्ली ट्रैफ़िक पुलिस ने ऑटोमेटिक ऑटोमोटिव टायर मैन्युफैक्चरर्स असोसिएशन (ATMA) और इंडियन टायर टेक्निकल एडवाइजरी कमेटी (ITTAC) के साथ इस ट्रेनिंग सेशन का आयोजन किया। कार्यक्रम में दिल्ली पुलिस में स्पेशल कमिश्नर (ट्रैफिक) एच.जी.एस. धालीवाल बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए।

इन हादसों की ज़िम्मेदार बारिश को नहीं ठहराया जा सकता। एक आँकड़े के मुताबिक़ साल 2022 में देश में हर दिन औसतन 462 लोगों की मौत सड़क हादसे में हुई। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की। 'भारत में सड़क दुर्घटनाएं- 2022' नाम से प्रकाशित इस रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022 में भारत में कुल 4,61,312 सड़क हादसे हुए। इन हादसों में 1,68,491 लोगों ने अपनी जान गंवाई और कुल 4,43,366 लोग घायल हुए। यानी हर बीतते साल के साथ ही सड़क हादसों में जान गंवाने वालों की संख्या बेतहाशा बढ़ती जा रही है, जिस पर काबू पाने की जरूरत है। इन्हीं हादसों को क़ाबू में करना इस स्पेशल ट्रेनिंग सेशन का मक़सद रहा।

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हादसों की बड़ी वजह टायर सेफ़्टी की अनदेखी को बताया

ट्रैफ़िक पुलिस के जवानों को सेशन के दौरान ITTAC के चेयरमैन सेफ़्टी अवेयरनेस ग्रुप सुदर्शन एस. गुसाईं ने मॉनसून के मौसम में होने वाले हादसों की बड़ी वजह टायर सेफ़्टी की अनदेखी को बताया। सुदर्शन एस. गुसाईं के मुताबिक़ जिस तरह अपनी सेहत की सही देखभाल जान बचाने के लिए जरूरी है, उसी तरह गाड़ी की ठीक तरह से देखभाल भी जिंदगी के लिए जरूरी है। कई हादसे टायर सेफ्टी और मेंटेनेंस से जुड़ी सावधानियां बरत कर टाले जा सकते हैं।

टायरों में एक निश्चित गहराई बेहद जरूरी है

अब सवाल उठता है कि टायर की सेफ़्टी हादसों को टालने के लिए किस तरह जरूरी है। इसमें सुदर्शन एस. गुसाईं का पहला जोर ट्रेड डेप्थ पर रहा। बताया गया कि टायरों में एक निश्चित गहराई बेहद जरूरी है, क्योंकि ट्रेड डेप्थ कम होने पर टायर के नीचे का पानी मोड़ने ( और ब्रेक लगने में) में दिक्कत आती है। इससे ट्रैक्शन में सुधार नहीं हो पाता और हादसे का जोखिम बढ़ जाता है। ट्रेड डेप्थ से ये पता चलता है कि वाहन गीली सड़कों पर हाइड्रोप्लानिंग से बच पाएंगे या नहीं। मॉनसून के मौसम में गीली, कीचड़ वाली और गड्ढे वाली सड़कों पर टायर की पकड़ बनाए रखने के लिए ट्रेड डेप्थ बेहद ज़रूरी है। सुदर्शन ने लोगों से सुरक्षा के लिहाज़ से आईएसआई निशान वाले टायर ख़रीदने की अपील की, ताकि जानलेवा हादसों से बचा जा सके।

अनईवन ट्रेड वियर की तरफ भी ट्रैफिक पुलिसकर्मियों का ध्यान खींचा

ट्रेनिंग सेशन में एक्सपर्ट्स ने अनईवन ट्रेड वियर की तरफ भी ट्रैफिक पुलिसकर्मियों का ध्यान खींचा। बताया गया कि अलाइनमेंट की समस्याओं या रोटेशन में खराबी के कारण टायरों में अनियमित घिसाव आ जाता है। कंपनियों द्वारा सुझाए गए निर्देश यूजर मैनुअल में पाए जाते हैं। घिसे-पिटे सस्पेंशन और गलत इंफ्लेशन प्रेशर के साथ लंबे समय तक टायरों का अगर इस्तेमाल किया जाए तो इसके चलते भी अनियमित ट्रेड वियर होता है। यह पैच के निशान या एक साइड की टायर घिसाई के रूप में हो सकता है। मॉनसून के मौसम में हादसों से बचने के लिए टायरों से जुड़ी इन छोटी-छोटी चीजों पर धयान देने की अपील की गई।

ट्रेनिंग के दौरान टायर सेफ्टी और मेंटेनेंस को लेकर ट्रैफिक पुलिस को खास तकनीकी पहलुओं के बारे में बताया गया। आईटेक के विशेषज्ञों ने दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के जवानों को उन तकनीकी पहलुओं के बारे में बताया जिससे वो आम लोगों को भी टायर केयर और सेफ्टी के बारे में जागरुक कर सकें। ट्रेनिंग सेशन में आईटेक के एक्सपर्ट ने टायर प्रेशर, अलाइनमेंन, रोटेशन और ट्रेड डेप्थ को लेकर सभी भ्रांतियों को दूर करने की कोशिश की। जैसे अक्सर लोग हाईवे पर चलते समय टायर के प्रेशर को कम कर देतें हैं। एक्सपर्ट ने बताया की हाईवे पर चलते समय टायर प्रेशर हमेशा वाहन मैनिफैक्चरर द्वारा दिए गए मानक के अनुसार ही रखें। हमेशा जब टायर ठंडे हों तभी टायर में हवा डलवाएं। यही नहीं, टायर प्रेशर कम होने से इंधन की खपत ज्यादा होती है, जिसकी वजह से कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन ज्यादा होता है। ऐसा होने से वायु प्रदूषण भी बढ़ता है। इसके अलावा जब टायर में हवा का प्रेशर कम रहता है तो इससे पंचर होने का भी ख़तरा बढ़ जाता है।

एक सवाल अक्सर पूछा जाता है कि गाड़ियों में सामान्य हवा की जगह नाइट्रोजन भरवाना चाहिए या नहीं। इस सवाल के जवाब में सुदर्शन एस. गुसाईं ने कहा कि नाइट्रोजन भरवाने के दो फ़ायदे तो हैं ही। पहला ये कि सामान्य हवा की तुलना में ये टायरों। से देरी से बाहर निकलता है। इसलिए लंबी यात्रा पर टायरों में नाइट्रोजन भरवाना ज़्यादा अच्छा है। इसके अलावा नाइट्रोजन सामान्य हवा की तरह रिम एवं टायर के अंदर की ट्टील की तारों में जंग लगने की वजह नहीं बनता। इससे टायर की उम्र बढ़ जाती है।

ट्रेनिंग सेशन में टायर पर अंकित टीडीआई टीडब्लूआई इंडिकेटर की पहचान कर टायर को बदलने का समय जानने की अपील की गई। बता दें कि ऑटोमोटिव टायर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन सभी टायर मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाली शीर्ष राष्ट्रीय संस्था है। आईटेक इसकी तकनीकी सहयोगी संस्था है। इस मौके पर जॉइंट कमिश्नर (ट्रैफ़िक) के कैमिंग, एडिश्नल कमिश्नर (ट्रैफ़िक) गीता रानी वर्मा, डिप्टी कमिश्नर (ट्रैफ़िक, रोड सेफ़्टी) शिवे केशरी सिंह मौजूद थे। इनके अलावा ATMA के एडीजी संजय चटर्जी, ITTAC के डायरेक्टर नीतेश कुमार शुक्ला और डिप्टी डायरेक्टर विनय विजयवर्गीय भी मौजूद थे।

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रवि वैश्य author

मैं 'Times Now नवभारत' Digital में Assistant Editor के रूप में सेवाएं दे रहा हूं, 'न्यूज़ की दुनिया' या कहें 'खबरों के संसार' में काम करते हुए करीब...और देखें

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