Delhi Services Bill को राष्ट्रपति से मंजूरीः बन गया कानून, समझें- अब क्या होगा फेरबदल
Delhi Services Bill Latest News: हालांकि, आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली सेवा अध्यादेश का स्थान लेने वाले विधेयक को संसद में पेश अब तक का सबसे ‘‘अलोकतांत्रिक’’ दस्तावेज़ करार देते हुए कहा कि यह लोकतंत्र को ‘‘बाबूशाही’’ में तब्दील कर देगा।
तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। (फाइल)
Delhi Services Bill Latest News: संसद के दोनों सदनों (उच्च सदन राज्यसभा और निचले सदन लोकसभा) से पारित होने के बाद दिल्ली सेवा बिल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दे दी। उन्होंने इस इस बिल से जुड़े दस्तावेजों पर शनिवार (12 अगस्त, 2023) को अपने साइन किए, जिसके बाद इस बिल ने कानून का रूप ले लिया। केंद्र सरकार ने इसके बाद गर्वनमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ डेल्ही (अमेंडमेंट) एक्ट, 2023 से जुड़ा राजपत्र भी जारी किया, जो कि नीचे है:
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यह विवादास्पद विधेयक संसद में पेश किया था और कहा कि इस विधेयक का मकसद राष्ट्रीय राजधानी के लोगों के हितों की रक्षा करना है। हालांकि, आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली सेवा अध्यादेश का स्थान लेने वाले विधेयक को संसद में पेश अब तक का सबसे ‘‘अलोकतांत्रिक’’ दस्तावेज़ करार देते हुए कहा था कि यह लोकतंत्र को ‘‘बाबूशाही’’ में तब्दील कर देगा।
दरअसल, केंद्र सरकार ने दिल्ली में समूह-ए के अधिकारियों के स्थानांतरण और पदस्थापना के लिए एक प्राधिकरण बनाने के लिए 19 मई, 2023 को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश, 2023 लागू किया था। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 में उपराज्यपाल को शहर की सरकार के अधिकारियों के स्थानांतरण व पदस्थापना पर अंतिम अधिकार प्रदान करने का प्रावधान है।
हालांकि, सेवानिवृत्त और सेवारत नौकरशाहों के एक वर्ग ने उम्मीद जताई थी कि विधेयक पारित होने से स्पष्टता आएगी और शासन में बाधा डालने वाला कोई भी भ्रम खत्म हो जाएगा। राष्ट्रीय राजधानी के पूर्व मुख्य सचिव पी.के.त्रिपाठी ने बिल पर समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा था कि शासन के मामलों में स्पष्टता होनी चाहिए। अगर नौकरशाही के बीच आधिकारिक कमान को लेकर कोई भ्रम हुआ तो शासन को नुकसान होगा। स्पष्टता का अभाव शासन में बाधा डालता है।
त्रिपाठी के मुताबिक, "हालांकि, तथ्य यह है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री के पास कभी भी नौकरशाही पर अधिकार नहीं रहा। ऐसा इसलिए है क्योंकि... दिल्ली अब भी केंद्र शासित प्रदेश है।" वैसे, दिल्ली सरकार में सेवारत एक नौकरशाह ने इस बात पर जोर दिया कि दिल्ली देश की राजधानी है और प्रशासनिक सेवाओं पर अंतिम नियंत्रण केंद्र सरकार का होना चाहिए।
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