घुमक्कड़ी : दिल्ली की 500 साल पुरानी मस्जिद, जिसकी कहानी एक दाल से शुरू होती है

घुमक्कड़ी में आज उस मस्जिद की कहानी, जिसे सिकंदर लोदी के समय पर बनाया गया था। एक ऐसी मस्जिद जिसकी कहानी एक मोठ यानी दाल से शुरू हुई और उस समय की सबसे भव्य मस्जिदों में से एक बनकर तैयार हुई। आज यह मोठ मस्जिद वीरान पड़ी है, पर्यटक भी यहां का रास्ता भूल गए हैं।

घुमक्कड़ी

तो क्या दाल के दाने से हुआ था इस मस्जिद का निर्माण? ये प्रश्न इसलिए क्योंकि जिस मस्जिद की बात आज हम कर रहे हैं उसका नाम ही मोठ मस्जिद है। दाल को मोठ भी कहा जाता है, इसलिए यह प्रश्न स्वाभाविक है। दिल्ली में घूमने-फिरने की काफी जगहें हैं। पर्यटन के लिहाज से दिल्ली की ऐतिहासिक विरासत का कोई मुकाबला नहीं है। लेकिन इसके बावजूद कुछ ऐसी ऐतेहासिक जगहें हैं, जिनके बारे में लोग कम जानते हैं। शायद वजह यह भी हो सकती है कि इन ऐतिहासिक जगहों ने अपनी वो भव्यता खो दी है, जो एक समय हुआ करती थी। या लोगों को इन जगहों के बारे में बताया नहीं जाता है। वजह चाहे जो हो... मोठ मस्जिद भी ऐसी ही एक जगह देश की राजधानी दिल्ली में मौजूद है। चलिए जानते हैं मोठ मस्जिद के बारे में सब कुछ -

किसने बनाई मोठ मस्जिदमोठ मस्जिद को मोठ की मस्जिद भी कहा जाता है और इसे 1505 में लोदी वंश के शासन काल में बनाया गया था। उस समय यहां सिकंदर लोदी का शासन था और उनके वजीर मियां भोईया ने इसे बनाया था। उस समय यह नए तरह की मस्जिद थी, जिसका लेआउट स्क्वायर शेप में था। यहां कुरान की आयतों को इरानी डिजाइन में लगाया गया है, जो देखने में बड़े खूबसूरत लगते हैं।

मोठ मस्जिद को बलुआ पत्थर के ऊंचे चबूतरे पर बनाया गया है। चौकोर लेआउट पर बनी इस मस्जिद के गुंबदों के डिजाइन में हिंदू और इस्लामिक वास्तुकला का अनोखा नमूना देखने को मिलता है। मस्जिद दो मंजिला बनाई गई है, जिसमें 3 गुंबद हैं।

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