क्रूर हैं वो लोग जो अपने पार्टनर को बच्चे के प्यार से रखते हैं दूर, अदालत ने कही ये बड़ी बात

Delhi High Court On Life Partner: दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि जीवन साथी को बच्चे के प्यार से वंचित करना क्रूरता के समान है। अदालत ने पारिवारिक अदालत के 2018 के उस आदेश के खिलाफ पत्नी की अपील खारिज कर दी जिसमें उसने तलाक मंजूर किया था। जानें पूरा विवाद,

फाइल फोटो।

Delhi News: दिल्ली उच्च न्यायालय ने अलग रह रहे एक जोड़े के तलाक को बरकरार रखते हुए कहा है कि पति या पत्नी में से किसी एक द्वारा दूसरे जीवनसाथी को बच्चे के प्यार से वंचित करना मानसिक क्रूरता के समान है। अदालत ने पारिवारिक अदालत के 2018 के उस आदेश के खिलाफ पत्नी की अपील खारिज कर दी जिसमें उसने तलाक मंजूर किया था। अदालत ने कहा कि मौजूदा मामले में, बेटी 'पूरी तरह से अलग-थलग' हो गई और उसका इस्तेमाल पति के खिलाफ किया गया जो सेना के एक अधिकारी हैं।

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'दम्पति के विवाद में बच्चे को लाना उचित नहीं'

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न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने हाल के एक आदेश में कहा, 'पारिवारिक अदालत के प्रधान न्यायाधीश सही निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि बच्ची का इस तरह से अलगाव एक पिता के प्रति मानसिक क्रूरता का चरम कृत्य है, जिसने बच्ची की कभी उपेक्षा नहीं की।' अदालत ने कहा कि कलह और विवाद दम्पति के बीच था, जिन्होंने 1996 में हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार विवाह किया था और रिश्ते में कितनी भी कड़वाहट क्यों न हो, बच्चे को इसमें लाना या उसका इस्तेमाल पिता के खिलाफ करना उचित नहीं है।

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