होकर बेफिक्र, हाईवे पर दौड़ाएं इलेक्ट्रिक कार : जगह जगह लगेंगे e charging station

सरकार के विजन 2047 में देश में नेशनल हाईवे का जाल बिछाने के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक वाहन चार्जिंग स्टेशनों का बुनियादी ढ़ाचा तैयार किया जाएगा। इसके तहत हाईवे पर ई-चार्जिंग स्टेशनों को बनाया जाएगा। हाईवे पर 12 हजार नए इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशनों को खोलने का लक्ष्य रखा गया है।

ev charging station

हाईवे पर जगह-जगह लगेंगे चार्जिंग स्टेशन

EV Charging Station: हाईवे पर इलेक्ट्रिक वाहन चलाने पर अब आपको चार्जिंग की चिंता करने की जरूरत नहीं होगी। दरअसल सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्गो पर जगह जगह ई-चार्जिंग स्टेशन खोलने की योजना बनाई है। सरकार के विजन 2047 में राष्ट्रीय राजमार्गों के विस्तार के साथ हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने पर जोर दिया जा रहा है। इसके तहत प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेस-वे पर इलेक्ट्रॉनिक वाहनों के चार्जिंग स्टेशन का बुनियादी ढ़ांचा बनाया जाएगा। इसके लिए 12 हजार नए इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशनों को राजमार्गों पर खोलने का लक्ष्य तय किया गया है। जिसके बाद चार्जिंग की टेंशन लिए बिना इलेक्ट्रिक वाहनों से लंबी दूरी तय की जा सकेगी।

चार्जिंग स्टेशनों का बुनियादी ढ़ाचा होगा तैयार

सरकार के विजन 2047 के तहत देश में राष्ट्रीय राजमार्गों का जाल बिछाने के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक वाहन चार्जिंग स्टेशनों का बुनियादी ढ़ाचा तैयार किया जाएगा। ई-वाहन और हरित ऊर्जा वाहनों को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई मोर्चों पर काम कर रही है। सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इसके लिए नई नीति लागू कर दी गई है। जिसमें ई-वाहनों की बैठरी को सस्ता करने का प्रावधान है, साथ ही चार्जिंग स्टेशनों पर कम समय में चार्जिंग की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने बताया कि नेशनल हाईवे पर चार्जिंग स्टेशनों की कमी के कारण ई-वाहन लंबी दूरी के सफर के लिए अव्यवहारिक हैं। लेकिन चार्जिंग स्टेशनों का बुनियादी ढांचा बनने के बाद लंबी दूरी का सफर ई-वाहनों से किया जा सकेगा।

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कार्बन उत्सर्जन में आएगी कमी

वर्तमान में इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल करने वाले लोगों की बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। इसके साथ ही इसकी ब्रिकी में भी बढ़ोत्तरी हुई है। ई-वाहनों के बढ़ते इस्तेमाल से आने वाले समय में कार्बन उत्सर्जन में बड़ी मात्रा में कमी आएगी। सरकार पेट्रोल-डीजल पर 85 फीसदी खपत की निर्भरता को 2030 तक 60 फीसदी करना चाहती है। इससे दस साल में अनुमानित 60 अरब डालर के डीजल-पेट्रोल की बचत हो सकेगी। इसके अलावा एक अरब टन तक कार्बन उत्सर्जन भी कम किया जा सकेगा। सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय ग्रीन एनर्जी को पहले मानक बना चुका है। वर्तमान में अमेरिका, कनाडा जैसे कई देश ग्रीन एनर्जी की दिशा में कदम आगे बढ़ा रहे हैं।

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Pooja Kumari author

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