वैवाहिक संबंधों से जुड़े केस में दिल्ली हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, FIR नियमित तरीके से रद्द नहीं की जा सकती

Delhi News: दिल्ली उच्च न्यायालय ने पत्नी को प्रताड़ित करने के आरोप में एक व्यक्ति के खिलाफ दायर मामले को रद्द करने से मना कर दिया। उन्होंने यह कहते हुए इनकार किया कि वैवाहिक संबंधों से जुड़ी एफआईआर को “नियमित तरीके से रद्द नहीं किया जाना चाहिए”, खासकर तब, जब पीड़ित पक्ष इसका विरोध करे-

वैवाहिक संबंधों से जुड़े केस में दिल्ली हाई कोर्ट का बड़ा फैसला

Delhi News: दिल्ली उच्च न्यायालय ने पत्नी को प्रताड़ित करने के आरोप में एक व्यक्ति के खिलाफ दायर मामले को रद्द करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि वैवाहिक संबंधों से जुड़ी प्राथमिकी को “नियमित तरीके से रद्द नहीं किया जाना चाहिए”, खासकर तब, जब पीड़ित पक्ष इसका विरोध करें। न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह ने कहा कि एक-दूसरे से अलग रह रहे दंपति ने शुरू में भले ही आपसी सहमति से तलाक लेने और सभी विवादों को सुलझाने का फैसला किया था, लेकिन बाद में महिला ने अपने पति के खिलाफ दायर मामलों को वापस लिए जाने का विरोध किया और दावा किया कि उसके पति ने समझौता राशि वापस ले ली है और उसे प्रताड़ित भी किया है।

मामलों में समझौते के बाद रद्द किए जाते है एफआईआर

उच्च न्यायालय ने इसे “पाठ्य पुस्तकों में दिया जाने वाला उदाहरण” करार दिया कि कैसे एक संपन्न व्यक्ति ने आपराधिक कृत्य होने के बावजूद पीड़ित पक्ष को विवाद के निपटारे के लिए मजबूर करके कानून का उल्लंघन करने की कोशिश की और सुलह दस्तावेजों के साथ अदालत का रुख किया। उच्च न्यायालय ने कहा कि जिन मामलों में समझौता हो जाता है, उन्हें रद्द करना पड़ता है, क्योंकि ऐसे मामलों में मुकदमे को आगे बढ़ाने के कोई मायने नहीं होते हैं।

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