Air Pollution: आखिर क्या होता है ग्रैप सिस्टम, जानिए प्रदूषण कम करने में किस तरह देगा योगदान
दिल्ली में लगातार बढ़ रहे वायु प्रदूषण को रोकने के लिए ग्रैप का तीसरा चरण लागू किया जा चुका है। ग्रैप के कुल चार चरण होते है ये वायु गुणवत्ता सूचकांक के अनुसार लागू होता है। जब वायु की गुणवत्ता एक तय सीमा तक पहुंच जाती है तो इसे लागू किया जाता है ताकि वायु गुणवत्ता में और गिरावट न हो।
प्रदूषण कंट्रोल करने के लिए ग्रैप-3 लागू (फोटो साभार - ट्विटर)
जानें ग्रैप के बारे में
ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान आपातकालीन उपायों का एक समूह है जब दिल्ली-एनसीआर की हवा की गुणवत्ता एक निश्चित सीमा तक पहुंच जाती है तो इसमें और गिरावट को रोकने के लिए इसे लागू किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में एमसी मेहता बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में इसे मंजूरी दी थी। ग्रैप के कुल चार चरण होते है, इनमें पहला चरण तब लागू होता है जब वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई 201-301 होता है। ग्रैप का दूसरा चरण एक्यूआई के 301-400 पहुंचने पर लागू किया जाता है। जब एक्यूआई 401-450 पहुंच जाता है तो ग्रैप का तीसरा चरण लागू कर दिया जाता है, वर्तमान में दिल्ली में ग्रैप का तीसरा चरण लागू हो चुका है। ग्रैप का आखिरी चरण चौथा चरण होता है ये तब लागू होता है जब एक्यूआई 450-500 तक पहुंच जाता है। ग्रैप को लागू करने की जिम्मेदारी वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग यानी सीएक्यूएम पर होती है।
ग्रैप-3 में लागू होने वाली पाबंदियां
ग्रैप लागू होने के बाद कई चीजों पर पाबंदी लग जाती है। ग्रैप के तीसरे चरण के लागू होने के बाद गैर जरूरी निर्माण और तोड़फोड़ के कार्यों पर रोक रहती है। इस दौरान जरूरी सरकारी परियोजनाओं के निर्माण पर छूट रहेगी। सार्वजनिक परिवहन की सेवाओं जैसे मेट्रो और बस की संख्या को बढ़ाया जाता है ताकि लोग अधिक से अधिक सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करें। सड़कों की मशीन से होने वाली सफाई की अवधि को बढ़ाया जाता है और धूल को रोकने के लिए सुबह-शाम पानी का भी छिड़काव होता है। ग्रैप के तीसरे चरण के दौरान पहले और दूसरे चरण की पाबंदियां भी लागू रहती है, इस दौरान दिल्ली एनसीआर में बीएस-3 पेट्रोल और बीएस-4 डीजल एलएमवी पर रोक लगी रहती है। इसके अलावा प्राइमरी स्कूल के बच्चों की क्लास ऑनलाइन मोड में चलाए जाने का भी विकल्प रहता है। ग्रैप के चौथे चरण में सभी तरह के निर्माण और तोड़फोड़ के काम पर पाबंदी रहती है। ऐसे समय में स्कूल के छात्रों की ऑनलाइन क्लास और सरकारी और निजी ऑफिस के लिए वर्क फ्रॉम होम के बारे निर्णय राज्य सरकारें ले सकती हैं।
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Pooja Kumari author
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