Air Pollution: आखिर क्या होता है ग्रैप सिस्टम, जानिए प्रदूषण कम करने में किस तरह देगा योगदान

दिल्ली में लगातार बढ़ रहे वायु प्रदूषण को रोकने के लिए ग्रैप का तीसरा चरण लागू किया जा चुका है। ग्रैप के कुल चार चरण होते है ये वायु गुणवत्ता सूचकांक के अनुसार लागू होता है। जब वायु की गुणवत्ता एक तय सीमा तक पहुंच जाती है तो इसे लागू किया जाता है ताकि वायु गुणवत्ता में और गिरावट न हो।

प्रदूषण कंट्रोल करने के लिए ग्रैप-3 लागू (फोटो साभार - ट्विटर)

Delhi Air Pollution: दिल्ली की हवा इस समय बेहद जहरीली बनी हुई है, आसमान में स्मॉग की चादर छाई हुई है। आज दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 के पार दर्ज किया गया। राजधानी में वायु प्रदूषण में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है। हर साल अक्टूबर और नवंबर के महीने में राजधानी में प्रदूषण बढ़ जाता है। इस साल भी यहां की हवा बेहद खतरनाक हो गई है। दिल्ली में प्रदूषण को कम करने के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान का तीसरा चरण लागू किया जा चुका है। इससे पहले ग्रैप का दूसरा चरण लागू किया गया था। ग्रैप लागू होने के साथ ही इससे जुड़े सवाल भी लोगों के जहन में उठने लगे हैं कि ये ग्रैप आखिर होता क्या है और इससे प्रदूषण को कम करने में कैसे मदद मिलेगी। आइए आपके इन्हीं सवालों का जवाब जानते हैं।
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जानें ग्रैप के बारे में

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ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान आपातकालीन उपायों का एक समूह है जब दिल्ली-एनसीआर की हवा की गुणवत्ता एक निश्चित सीमा तक पहुंच जाती है तो इसमें और गिरावट को रोकने के लिए इसे लागू किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में एमसी मेहता बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में इसे मंजूरी दी थी। ग्रैप के कुल चार चरण होते है, इनमें पहला चरण तब लागू होता है जब वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई 201-301 होता है। ग्रैप का दूसरा चरण एक्यूआई के 301-400 पहुंचने पर लागू किया जाता है। जब एक्यूआई 401-450 पहुंच जाता है तो ग्रैप का तीसरा चरण लागू कर दिया जाता है, वर्तमान में दिल्ली में ग्रैप का तीसरा चरण लागू हो चुका है। ग्रैप का आखिरी चरण चौथा चरण होता है ये तब लागू होता है जब एक्यूआई 450-500 तक पहुंच जाता है। ग्रैप को लागू करने की जिम्मेदारी वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग यानी सीएक्यूएम पर होती है।
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