Delhi News: जिंदगी की स्टेयरिंग अपने हाथों में रखती हैं ये महिलाएं, इस महिला दिवस पर हुई सम्मानित

हाईवे हीरो ट्रस्ट ने इस इंटरनेशनल महिला दिवस पर महिला चालकों को सम्मानित किया। ये महिलाएं ऐसे क्षेत्रों में काम कर रही है, जहां पर लोग सिर्फ पुरुषों के होने की ही कल्पना करते हैं।

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महिला चालकों को किया गया सम्मानित

Delhi News: महिलाएं पुरुष से कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं, पर कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहां आप महिलाओं की कल्पना तक नहीं कर सकते, लेकिन जहां हकीकत में महिलाओं ने अपना लोहा मनवाया है। जब महिलाओं की आत्मनिर्भर होने की तरफ बढ़ते क़दमों की पहचान हुई तो भला सम्मान कैसे नहीं। लिहाज़ा हाईवे हीरो ट्रस्ट ने इनको सम्मानित करने की तरफ कदम बढ़ाया है। इस संस्था ने इन महिलाओं को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर सम्मानित किया।

देशभर से दिल्ली में जुटीं सैकड़ों में से चार उन महिलाओं की ज़िंदगी मे झांकने की हमारी कोशिश की है जो हजारों और लाखों के लिए एक सीख दे रही हैं। सीख अगर ले ली तो जिंदगी में चाहे कितनी भी मुश्किलें और तकलीफें हों, अगर आपमें जज़्बा और हिम्मत है तो रास्ते बनते जाते हैं। मुश्किलें आसान होती जाती हैं। यह कहानियां उन महिलाओं की हैं, जो हजारों, लाखों के लिए हीरो हैं।

सुमित्रा - बस चालक

कार्यक्रम में सबसे ज्यादा चर्चा सुमित्रा की रही जो दिल्ली से चंडीगढ़ बस चलाती हैं। सुमित्रा ने बताया कि बस ड्राइविंग शुरू करने से पहले आठ साल तक कैब चलाती रहीं। इस दौरान सुमित्रा पुरुषों को ड्राइविंग करते देखती और मन में विचार आता कि पुरुष और महिला की बराबरी की बात तो होती है लेकिन क्या सच मे ज़मीनी स्तर पर ये समानता है। वहीं से बस ड्राइविंग की शुरुआत की। रोज़ाना दिल्ली से चंडीगढ़ बस चलाकर ले जाती हैं। उस बस में महिलाओं के साथ पुरुष सवारियां होती हैं। बस चलाते एक साल हो गया। आज भी बहुत से लोग बिना मांगे सलाह देते हैं कि बस चलाना लड़कियों का काम नहीं। लेकिन समाज के तमाम तानों को अनसुना कर देती हैं। कई बार मन में डर का भाव भी आता है लेकिन फिर हिम्मत कर जिंदगी का सफर आगे बढ़ जाता है।

सुनीता-कैब चालक

सुनीता कैब चालक हैं, पिछले वर्षों से एक होटल में लक्ज़री गाड़ियां चलाती हैं। जिसमें बीएमडब्ल्यू से लेकर ऑडी और ना जाने कौन-कौन सी महंगी गाड़ियों की फेहरिस्त है। सुनीता कहती हैं कि सिंगल मदर हैं तो उनके सामने परिवार चलाने की बड़ी चुनौती है। पूरे परिवार को चलाने का जरिया यही ड्राइविंग है।

श्रद्धा सीकरी- कैब ड्राइवर

श्रद्धा सीकरी भी कैब ड्राइवर हैं। दिल्ली सरकार की तरफ से महिलाओं को हैवी ड्राइविंग के लाइसेंस का मौका मिला तो फायदा उठाकर उन्होंने लाइसेंस ले लिया है. अब इनका लक्जरी बस चलाने की ख्वाहिश है। इसके लिए श्रद्धा ने अप्लाई भी कर दिया है। श्रद्धा कहती हैं कि कैब हो या बस, ये सभी मशीन हैं। मशीन ये नहीं देखतीं कि चलाने वाला पुरुष है या महिला। स्किल है तो कोई भी चला सकता है। मन से डर निकल गया तो कोई भी किसी तरह का काम कर सकता है।

शर्मिला सांगवान- ट्रक ड्राइवर

वहीं इस कार्यक्रम में पुरस्कृत होने वाली शर्मिला सांगवान ट्रक चलाती हैं। हरियाणा की रहने वालीं शर्मिला के पति का देहांत 16 साल पहले एक सड़क हादसे में हो गया था। इसके बाद शर्मिला ने घर और परिवार की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली। दो बेटियों की मां शर्मिला कहती हैं कि हाउसवाइफ से लेकर कामकाजी महिला बनने का उनका सफर कठिन रहा है। शर्मिला कहती हैं कि ट्रक चलाते हुए उन्हें कभी भी एहसास तक नहीं हुआ कि यह काम मर्दों का है। शर्मिला ने अपने कंधों पर परिवार की जिम्मेदारी ली तो उसका फल भी मिल रहा है। उनकी बड़ी बेटी पायलट की ट्रेनिंग ले रही है। उम्मीद है कि जल्द बेटी की ट्रेनिंग पूरी हो जाएगी तो उनके सपनों को पंख लग जाएंगे।

हाईवे हीरो ट्रस्ट का अहम रोल

सड़कों पर राज करने वाली इन महिलाओं को सम्मानित करने और प्रोत्साहन देने में हाईवे हीरो ट्रस्ट के चेयरमैन बलवंत भुल्लर का सबसे बड़ा रोल है। भुल्लर ने बताया इन महिलाओं में से कई को उनकी संस्था की तरफ से ट्रेनिंग दी गई है। भविष्य में एक ऐप भी लांच करने वाले है। जिससे कि फीमेल सवारियों की तरफ से आने वाली महिला चालकों की डिमांड पूरी की जा सके। इससे रोजगार का बड़ा साधन भी मिल जाएगा।

प्रियंका सूद की भी अहम भूमिका

भुल्लर की तरह बहादुर महिलाओं को सम्मानित करने में महिला कारोबारी प्रियंका सूद की पर्दे के पीछे अहम भूमिका है। प्रियंका कहती हैं कि वे खुद महिला हैं तो महिलाओं का दर्द, तक़लीफ़, ज़रूरत.. ये सब समझ सकती हैं। महिलाओं के हित में काम करके उन्हें अच्छा लगता है। प्रियंका कहती हैं कि इस कार्यक्रम के ज़रिए परिवार और निजी ज़िंदगी मे तकलीफों से जूझ रही लड़कियों और महिलाओं का मनोबल बढ़ता है और आत्मनिर्भर बनने में मदद मिल रही है.

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