जानिए दिल्ली में क्यों मशहूर है जमाली-कमाली की मस्जिद और मकबरा, कैसे पहुंचें?
देश की राजधानी दिल्ली में घूमने-फिरने की कई जगहों के बारे में आप जानते होंगे। लेकिन जमाली-कमाली की मस्जिद जाकर आप मध्य कालीन इतिहास के दर्शन करने के साथ ही हॉन्टेंड प्लेस का लुत्फ ले सकते हैं।
मुगल वास्तुकला यहां देखने को मिलेगी
- कहते हैं कि जमाली एक सूफी संत थे
- 16वीं सदी में बनी थी जमाली-कमाली की मस्जिद और मकबरा
- कुतुब मिनार मेट्रो स्टेशन से बहुत ही करीब है जमाली-कमाली की मस्जिद
New Delhi: देश की राजधानी दिल्ली ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है। कहते हैं कि दिल्ली के हर कोने में इतिहास बिखरा पड़ा है। इंडिया गेट (India Gate), लाल किला (Red Fort), पुराना किला, कुतुब मीनार (Qutub Minar) जैसे कई ऐतिहासिक स्थल तो लोगों को पता हैं, लेकिन कुछ ऐसी जगहें भी हैं, जो इतिहास में तो दर्ज हैं, लेकिन लोगों को उनके बारे में पता नहीं है। ऐसी ही एक जगह है जमाली-कमाली की मस्जिद (Jamali Kamali Mosque)।
जमाली कमाली की मस्जिद को लेकर FAQअब आपके मन में कुछ स्वाभाविक का प्रश्न यह उठ सकते हैं कि जमाली कमाली कौन थे? जमाली कमाली की मस्जिद कहां है? जमाली-कमाली की मस्जिद व मकबरा किसने बनावाया? जमाली-कमाली की मस्जिद और मकबरा के पास नजदीकी मेट्रो स्टेशन? यह मस्जिद और मकबरा देखने के लिए जाने का सबसे अच्छा समय कब है?
जमाली कमाली कौन थे?दिल्ली टूरिज्म की वेबसाइट पर जमाली-कमाली की मस्जिद के बारे में लिखा गया है कि शेख जमाली कम्बोह को जमाली के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि वह एक बहुत ही जाने-माने सूफी संत थे। कहा जाता है कि सिकंदर लोदी के दरबार में उनका बड़ा सम्मान था। यही नहीं मुगल बादशाह बाबर और हुमायूं के दरबार में भी जमाली का रुतबा काफी ऊंचा था। दिल्ली टूरिज्म ने जमाली के बारे यह जानकारी विभिन्न इतिहाकारों के हवाले से दिया है। हालांकि, दिल्ली टूरिज्म को भी कमाली के संबंध में कोई जानकारी नहीं है। दिल्ली टूरिज्म ने अपनी वेबसाइट पर कमाली के बारे में सिर्फ इतना लिखा है कि वह इतिहास के पन्नों में कहीं खो गए थे।
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इस बारे में कुछ लोगों का मानना है कि जमाली सूफी संत मानते हैं, तो कुछ के अनुसार वह एक कवि और अच्छे व्यक्ति थे। माना जाता है कि उनका नाम कुछ और था, लेकिन वह जमाली नाम से लिखते थे। यही नहीं यह भी माना जाता है कि कमाली उनका ही कोई शिष्य या शागिर्द था।
जमाली कमाली की मस्जिद और मकबरा कहां है?जमाली कमाली की मस्जिद और मकबरा दक्षिण दिल्ली में महरौली पुरातात्विक उद्यान (Mehrauli Archaeological Park) में है। जमाली कमाली की मस्जिद (Jamali Kamali Mosque in Mehrauli) महरौली में है, यह तो आप जान गए। लेकिन यहां जाने का प्लान बनाने से पहले जान लें कि इसे कुछ लोग डरावनी जगह (Haunted Place in Delhi) भी मानते हैं। लोगों ने इस बात की शिकायत की है कि जब वह यहां अकेले थे तो उन्होंने आसपास फुसफुसाने और चहलकदमी की आवाज सुनी है। यहां तक कि कुछ लोगों ने यहां मकबरे के अंदर परछायी देखने का भी दावा किया है। लोगों का कहना है कि यहां दो जिन्न या भूत रहते हैं। ऐसे दावों के बाद लोग जमाली कमाली मस्जिद को डरावनी जगह मानने लगे। हॉन्टेड प्लेस के तौर पर कुख्यात होने के बावजूद बड़ी संख्या में लोग यहां की खूबसूरती और इतिहास से रूबरू होने के लिए आते हैं।
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जमाली-कमाली की मस्जिद व मकबरा किसने बनवाया?जमाली कमाली की मस्जिद व मकबरा वास्तुकला (Architectural Gem) का अद्भुत नमूना है। यहां हर तरफ इतिहास और खूबसूरती बिखरी हुई है। यह मस्जिद मुगल वास्तुकला के अनुसार बनी है। इस मस्जिद व मकबरे को सिकंदर लोदी के शासन काल में 16वीं सदी में बनाया गया था। बाद में मशहूर सूफी संत शेख फजलुल्लाह ने इसका जीर्णोद्धार करवाया. सूफी संत शेख फजलुल्लाह को भी जमाली कंबोह के नाम से जाना जाता था। यहां दो मेन स्ट्रक्चर हैं एक मस्जिद और दूसरा मकबरा।
यह मस्जिद और मकबरा इंडो-इस्लामिक आर्किटेक्टर का एक जीता-जाता उदाहरण है। इन मकबरे और मस्जिद की वास्तुकला मुगल कला की भव्यता को दर्शाते हैं। मकबरे में एक सेंट्रल चैंबर है, जिसे नीले और फिरोजा (Blue and Turquoise Tiles) टाइल से सजा है। जमाली का मतलब खूबसूरत होता है, जबकि कमाली मकबरे को बनाने वाले के नाम को दर्शाता है।
जमाली-कमाली की मस्जिद और मकबरा के पास नजदीकी मेट्रो स्टेशन?जमाली कमाली की मस्जिद महरौली में कुतुब मीनार के बहुत ही करीब है। यहां जाने के लिए सबसे नजदीकी मेट्रो स्टेशन कुतुब मीनार और साकेत हैं। इसके अलावा कुतुब मीनार तक दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों से डीटीसी की बस सेवा भी उपलब्ध है। अगर आप किसी अन्य शहर या देश से आ रहे हैं तो इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट भी यहां के काफी नजदीक है।
यह मस्जिद और मकबरा देखने के लिए जाने का सबसे अच्छा समय कब है? जमाली कमाली की मस्जिद और मकबरा देखने के लिए आप सालभर कभी भी आ सकते हैं। सुबह सूर्योदय से शाम सूर्यास्त तक यहां पर्यटक आते रहते हैं।
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