JP Nadda के जिम्मे फिर BJP की कमान: कभी Narendra Modi संग घूमते थे स्कूटर पर; ऐसी है दोनों की ट्यूनिंग
JP Nadda in Aap ki Adalat India TV Interview: वैसे, कम ही लोग यह बात जानते हैं कि स्कूल के दिनों में जेपी नड्डा की खेल में काफी दिलचस्पी थी। वह तब स्विमिंग पूल या फिर मैदान में अधिकतर मिल जाया करते थे।
नड्डा सियासी गलियारों में बाजी पलटने वाले राजनेता माने जाते हैं। यह उनकी साफ छवि, मेहनत-लगन और काम ही था, जो वह मोदी के चहेतों सिपाहसलारों में गिने जाते हैं। हालांकि, मोदी के साथ उनका रिश्ता काफी पुराना है। वह कभी उनके साथ स्कूटर पर घूमा करते थे। मोदी के साथ उनकी ट्यूनिंग (ताल-मेल) इस कदर था कि वह नड्डा से खूब मेहनत कराते थे और एक बार बोले थे कि वह उन्हें दुबला कर के छोड़ेंगे। नड्डा उन्हें तेज-तर्रार आइडिया देने वाले नेता मानते हैं, जिनसे उन्होंने काफी कुछ सीखा है।
ये सारी बातें दुनिया की सबसे बड़ी पॉलिटिकल पार्टी (बीजेपी) के चीफ ने हाल ही में इंडिया टीवी के आप की अदालत शो में पत्रकार रजत शर्मा से बातचीत के दौरान बताईं। उन्होंने इस दौरान मोदी के साथ अपने रिश्तों, बीजेपी में किए काम और विपक्षी दलों से लेकर विभिन्न मुद्दों पर खुलकर अपनी राय जाहिर की। वह बोले- यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे युवा दिनों से ऐसी शख्सियत के साथ काम करने का मौका मिला। बहुत कुछ सीखने का मौका मिला। आज मैं जो कुछ भी हूं, उनकी छोटी-छोटी बताई बातों से सीखते हुए बना हूं और यहां तक पहुंचा हूं। वह हमारे महामंत्री और प्रभारी थे। मैं युवा मोर्चा (बीजेपी) का अध्यक्ष था। उन दिनों उन दिनों गाड़ियां होती नहीं थीं...मिलती नहीं थीं। स्कूटर हुआ करता था, हम किक मारते थे और चल दिया करते थे।
नरेंद्र मोदी तब भी इतने ही तेज और शॉर्प हुआ करते थे। चीजों को गहराई में पकड़ना उनकी आदत है। मैं उनको बोल भी देता था कि जहां हमारी सोच की शक्ति खत्म हो जाती है, वहां के आगे से आप (मोदी) शुरू होते हो। वह एंगल ही मुझे समझ नहीं आता था, जो बताते थे। बहुत सारी चीजें बनाकर मैं जब ले जाता था, जिस पर वह कहते थे कि यह भी देखो और वह भी समझो। इसके बाद ऐसा लगता था कि मैं आखिरकार उनके पास वह पेपर लेकर क्यों गया था?
नड्डा के मुताबिक, मोदी एक साथ इतने सारे आइडिया देते हैं कि सच में उनके साथ काम करने में मजा आता है। एक बड़े के नाते छोटे की कमियों को देखते हुए उससे काम लेना...यह चीज नरेंद्र मोदी से सीखी जानी चाहिए। वह मेरी कमजोरियों को जानते हुए भी...एक बार वह बोले भी थे कि "नड्डा मैं तुमको दुबला कर के छोड़ूंगा। वह मेहनत बहुत कराते हैं।"
बकौल नड्डा, "हमें लगा था कि मैनेजमेंट की परीक्षा में धांधली हुई। बाद में आंदोलन हुआ, जो सफल हुआ। कुछ छात्र धरने पर बैठ गए। मैं वीसी साहब के पास गया और बोला कि कुछ लोग आपसे मिलना चाहते हैं। वह बोले कि मैं नहीं मिलूंगा। वह ड्राइंग रूम में थे। साफ बोले कि नहीं मिलूंगा। मेरे साथ तब 10-12 छात्र थे और तब मैंने कहा कि उठाओ इनकी कुर्सी और ले चलो। हम बड़े अदब से सोफा के साथ उठाकर उन्हें छात्रों के पास ले गए और तब उन्होंने छात्रों से बात की थी।"
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अभिषेक गुप्ता author
छोटे शहर से, पर सपने बड़े-बड़े. किस्सागो ऐसे जो कहने-बताने और सुनाने को बेताब. कंटेंट क्रिएशन के साथ नजर से खबर पकड़ने में पारंगत और "मीडिया की मंडी" ...और देखें
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