PM मोदी का कमाल: नेता मजबूत,नीयत ठीक हो तो सरकारी योजनाएं ऐसे जमीन पर उतरती हैं

EWS flats at Kalkaji : मनमोहन सिंह के राज में झुग्गी वालों के लिए जो फ्लैट्स बनाए गए थे, वो फ्लैट्स खंडहर में क्यों बदल गए। इसकी वजह भी है। ये खंडहर में इसलिए बदले क्योंकि वोट वाली पॉलिटिक्स के चलते फ्लैट्स तो बना दिए गए लेकिन ऐसे प्रोजेक्ट्स के पीछे कोई सोच नहीं थी।

भारत वो देश है जहां 1947 से नेता गरीबी हटाने का सपना बेचे जा रहे हैं। दुनिया आज जाकर रिसायकेबल एनर्जी पर काम कर रही है, हमारे यहां के नेता 60-70 साल से रिसायकेबल वादे बेचे चले आ रहे हैं। वादा करो, वोट लो, भूल जाओ... वादा करो.. वोट लो.. भूल जाओ.. ये साइकल चलता चला आ रहा था लेकिन अगर नेता मजबूत हो और नीयत ठीक हो तो सरकारें कैसे काम करती हैं कैसे सरकारी योजनाएं जमीन पर उतर जाती हैं। इस अंतर को दो तस्वीरें बताएंगी।

पीएम ने झुग्गी वालों को फ्लैट की चाबी सौंपी

एक तस्वीर उस प्रोजेक्ट की है, जिसमें झुग्गी वालों को फ्लैट बनाकर बुधवार को पीएम मोदी ने उन्हें चाबी दी है। और अब झुग्गी वाले लोग यहां पर रहने लगेंगे।दूसरी तस्वीर उस प्रोजेक्ट की है, जिसे यूपीए के राज में बनाया गया था, और इस प्रोजेक्ट में भी झुग्गी वालों को फ्लैट दिए जाने थे, लेकिन आज इस प्रोजेक्ट की हालत ये है कि ये खंडहर दिखता है। खंडहर हो चुके फ्लैट्स की जो तस्वीरें आपने देखी हैं वो फ्लैट्स दिल्ली के बवाना इलाके में बने हैं। और ये भी झुग्गी वालों को पक्के मकान देने के लिए ही बनाए गए थे। ये फ्लैट्स राजीव रत्न आवास योजना के तहत 2008 में बनाए गए थे। तब दिल्ली में शीला दीक्षित की सरकार थी और केंद्र में यूपीए की सरकार थी। तब से ये फ्लैट्स ऐसे ही पड़े हैं। जिसे देखकर आपको लगेगा कि यूपीए के राज में फ्लैट्स बनाए गए थे या भूत बंगले।
  1. दिल्ली के बवाना में खंडहर फ्लैट्स
  2. राजीव रत्न योजना के तहत बने फ्लैट्स
  3. 2008 में फ्लैट्स बने, अब खंडहर
  4. गरीबों के लिए बने फ्लैट्स का ऐसा हाल
  5. करीब 4 हजार फ्लैट्स खंडहर पड़े हैं

दीवारों पर प्लास्टर उखड़ गया है

ये फ्लैट्स अंदर से पूरी तरह से टूट चुके हैं। दीवारों पर प्लास्टर उखड़ गया है। दीवारें तक गिर चुकी हैं। ये इतने जर्जर हो गए हैं कि इन फ्लैट्स के कारण यहां हादसा भी हो चुका है। इसी साल फरवरी में ये बवाना में बने कुछ फ्लैट्स भरभरा के गिर गए थे। जिस में एक बच्ची समेत 4 लोगों की मौत हो गई थी। पीएम मोदी ने ना सिर्फ झुग्गीवालों को फ्लैट्स बनवा कर दे दिए बल्कि खुद 575 ऐसे लोगों को फ्लैट की चाबी भी दे दी। जो झुग्गियों में रहते थे। अब आप सोचिए 2008 में जो फ्लैट्स झुग्गी वालों के लिए बनाए गए थे, वो आज तक झुग्गी वालों को नहीं मिले और वो खंडहर हो गए।

इसलिए फ्लैट्स खंडहर में बदल गए

मनमोहन सिंह के राज में झुग्गी वालों के लिए जो फ्लैट्स बनाए गए थे, वो फ्लैट्स खंडहर में क्यों बदल गए। इसकी वजह भी है। ये खंडहर में इसलिए बदले क्योंकि वोट वाली पॉलिटिक्स के चलते फ्लैट्स तो बना दिए गए लेकिन ऐसे प्रोजेक्ट्स के पीछे कोई सोच नहीं थी। झुग्गी वालों को पक्के मकान देने के नाम पर फ्लैट्स बना गए लेकिन ये आखिर तक ये तय नहीं हो पाया कि फ्लैट्स किसे दिए जाए। फ्लैट्स भी इतनी दूर बना दिए गए कि वहां बसना बहुत मुश्किल था।

प्रोजेक्ट का पहला चरण बुधवार को पूरा हुआ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झुग्गी वालों को जो फ्लैट्स बनवा कर दिए वो फ्लैट्स वहीं आसपास की जमीन पर बने हैं, जहां पर झुग्गी वाले रहते थे। मोदी सरकार की योजना की थीम भी यही है कि जहां झुग्गी वहीं पर घर इसलिए झुग्गी के आसपास ही फ्लैट बनाकर दिए जा रहे हैं। ऐसे तीन प्रोजेक्ट दिल्ली में चल रहे हैं। जिसमें एक प्रोजेक्ट का पहला चरण बुधवार को पूरा हो गया। कालकाजी में जो फ्लैट्स दिए गए हैं, वो झुग्गियों के करीब 2 किलोमीटर के दायरे में ही है। जबकि आप देखिए कि 2008 में जो फ्लैट्स बनाए गए थे, वो बवाना जैसे इलाके में बना दिए थे जो दिल्ली का बाहरी इलाका है। और आप ये भी सोचिए कि 2008 में तो ट्रांसपोर्ट की इतनी सुविधा भी नहीं थी, मेट्रो का जाल इतना नहीं फैला था तब बवाना पहुंचना ही अपने आप में बहुत बड़ी चुनौती थी। आज कालकाजी में फ्लैट्स दिए गए हैं, जो एक तरह से दिल्ली की प्राइम लोकेशन है। साउथ दिल्ली का इलाका है। कुल मिलाकर ऐसी जगह है, जहां बहुत आसानी से पहुंचा जा सकता है

फ्लैट्स में सभी सुविधाएं मौजूद हैं

अपना घर होना बहुत खुशी और सौभाग्य की बात होती है लेकिन ये घर किस इलाके में बना हैं...उस जगह के आसपास क्या-क्या चीजें हैं, वहां का ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम कैसा है । शहर के दूसरे इलाकों में जाने के लिए वहां से साधन मिल सकते हैं या नहीं, स्कूल- अस्पताल- बाज़ार मूलभूत चीजें कितनी दूरी पर हैं...ये सारी बातें बहुत असर डालती हैं...आपने सुना या देखा होगा कि बहुत से लोग अपने दोस्त और रिश्तेदार में सिर्फ़ इसलिए नहीं आते- जाते क्योंकि उनके घर बहुत दूर-दूर इलाकों में बने होते हैं...जहां एक बार चले जाओं तो ये चिंता रहती है कि लौटेंगे कैसे...लोग ताना मारकर ये कहते हैं कहां जंगल में मकान ले लिया है और गरीबों को लेकर जो फ्लैट बनाए जाते हैं उनमें तो ये आम बात है कि सरकारें ऐसे इलाकों में मकान बना देती हैं जहां पहुंचना बहुत मुश्किल होत है लेकिन आज झुग्गी झोपड़ी वालों को फ्लैट दिया गया है उनके लिए इन सारी बातों का ध्यान रखा गया है।

प्राइम लोकेशन पर है यह सोसायटी

'यथास्थान झुग्गी-झोपड़ी पुनर्वास परियोजना' के अंतर्गत ये फ्लैट्स कालकाजी के इलाके में बनाए गये हैं। यहां से कालकाजी मंदिर की दूरी करीब ढ़ाई किलोमीटर है , विश्वप्रसिद्ध लोटस टैंपल 3 किलोमीटर के अंदर है। देश का सबसे बड़ा कंप्यूटर मार्केट नेहरू प्लेस सिर्फ़ 2 किलोमीटर की दूरी पर है। ओखला इंडस्ट्रियल एरिया 4 किलोमीटर की दूरी पर है, मेट्रो स्टेशन से लेकर बस स्टैंड, स्कूल- अस्पताल सब आस पास हैं।

इस इलाके में फ्लैट की कीमत काफी अधिक

इस इलाके में फ्लैट की कीमत जानकर आपको हैरानी होगी। अगर किसी ठीकठाक सोसाइटी में फ्लैट लेने जाएंगे तो इस आकार के फ्लैट की कीमत कम से कम 1 करोड़ रुपये है। और किसी बिल्डर फ्लोर का फ्लैट लेने जाएंगे तो 40 से 60 लाख रुपये देने होंगे। अब पुरानी सरकारों के बनाएं हुए फ्लैट्स की लोकेशन भी आपको जानना चाहिए। खासतौर पर दिल्ली सरकार के बनाए हुए मकान जिन्हें शीला दीक्षित की सरकार ने बनाए थे। ये इलाके हैं

कांग्रेस सरकार के समय दिल्ली के बाहरी इलाकों में बने फ्लैट्स

बक्करवाला, ये पश्चिमी दिल्ली का इलाका है मुडंका के आसपास है। बुराड़ी, उत्तरी दिल्ली में है। घोघा,बवाना का इलाका है। बपरौला, ये नज़फगढ़ के आसपास का इलाका है , ये सब बाहरी दिल्ली के इलाके हैं, जहां पहुंचने में बहुत टाइम लगता है और यहां सुविधाएं भी बहुत सीमित हैं। यही वजह है कि यहां बने ज़्यादातर मकान खंडहर हो चुके हैं। खिड़की दरवाजें खोलकर चोर ले जा चुके हैं।
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