Kanjhawala Case: 31 दिसंबर की रात 2 बजे से 4.30 तक क्या क्या हुआ, पूरी जानकारी के बाद जाएंगे चौंक

क्या कंझावला कांड को रोका जा सकता था। 31 दिसंबर की रात 2 बजे से लेकर करीब 4.30 बजे के बीच क्या हुआ था उसकी जानकारी सिलसिलेवार यहां मौजूद है। आप खुद समझ सकते हैं कि कहीं न कहीं दिल्ली पुलिस की तरफ से लापरवाही हुई।

कंझावला केस (Kanjhawala case updates) की जांच जैसे जैसे आगे बढ़ रही है सनसनीखेज जानकारियां सामने आ रही है। मसलन 31 दिसंबर के दो दिन बाद जब खबर आई कि कार सवारों ने एक महिला को 13 किमी घसीट कर मार डाला तो तरह तरह के कयास लगने लगे। परिवार ने आरोप लगाया कि रेप के बाद हत्या की गई है। लेकिन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने रेप की बात को नकारा है, हालांकि रिपोर्ट के मुताबिक कार सवार संगदिल थे। उन्होंने बेरहमी से उस महिला को मार डाला था। सवाल यह है कि क्या दिल्ली पुलिस इस वारदात को रोक सकती थी। इस संबंध में वारदात के समय से लेकर मृतका के शव की बरामदगी तक की जानकारी देंगे। उस जानकारी से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अगर सदा साथ का नारा देने वाली दिल्ली पुलिस(Delhi Police) साथ दी रही होती तो मृतका को बचाया जा सकता था।

31 दिसंबर थी वारदात वाली रात

  • 13 किलोमीटर के रूट पर तैनात थीं 5 पीसीआर वैन
  • 5 -6 पीसीआर कॉल हुई
  • चश्मदीद दीपक से 20 से ज्यादा बार पुलिस अफसरों ने बात की
  • उसके बाद आरोपियों को पकड़ने के लिए कुल 9 पीसीआर वैन को लगाया गया
  • लोकल पुलिस भी खोज रही थी आरोपी
  • लेकिन फिर भी मौके से आरोपियों को नहीं पकड़ पाई दिल्ली पुलिस
  • पहली पीसीआर कॉल रात 2 :18 बजे मिली जिसमें एक शख्स ने दुर्घटना के बारे में बताया
  • दूसरी पीसीआर कॉल 2 :20 पर मिली ये भी दुर्घटना के बारे में थी
  • इसके बाद 2 पीसीआर कॉल 3:24 बजे के आसपास दीपक ने की उसने बताया कि कार में किसी शव लटका है
  • फिर 4:26 बजे और 4:27 बजे साहिल नाम के शख्स ने 2 पीसीआर कॉल कर बताया कि सड़क पर एक महिला का शव पड़ा हुआ है
  • उस रास्ते पर कुल 5 पीसीआर वैन थीं,लेकिन सीरियस कॉल को देखते हुए कुल 9 पीसीआर वैन को लगाया गया
  • लेकिन कोई भी पीसीआर कार को नहीं खोज पाई क्योंकि दावा किया जा रहा है कि रात में धुंध थी और पीसीआर के पहुंचने के पहले कार निकल जाती थी
  • जबकि पीसीआर का रिस्पॉन्स टाइम ठीक था
दिल्ली पुलिस कमिश्नर को सौंपी गई रिपोर्ट

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