मनीलॉन्ड्रिंग मामले में संजय सिंह की संलिप्तता 'वास्तविक' है, बेल पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने की बड़ी टिप्पणी
Sanjay Singh : कोर्ट ने कहा कि उसके सामने जो दस्तावेज पेश किए गए हैं उन्हें देखने से यह लगता है कि 'अपराध के इस कृत्य में संजय सिंह की संलिप्तता प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से रही है।' हालांकि, संजय सिंह के वकीलों ने कोर्ट को बताया कि उनके मुवक्किल के खिलाफ केस राजनीति से प्रेरित है।
संजय सिंह को नहीं मिली जमानत।
कोर्ट ने कहा कि उसके सामने जो दस्तावेज पेश किए गए हैं उन्हें देखने से यह लगता है कि 'अपराध के इस कृत्य में संजय सिंह की संलिप्तता प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से रही है।' हालांकि, संजय सिंह के वकीलों ने कोर्ट को बताया कि उनके मुवक्किल के खिलाफ केस राजनीति से प्रेरित है और उनके खिलाफ कोई मनी ट्रेल नहीं है। वकीलों ने पूछा कि आरोपी से सरकारी गवाह बने दिनेश अरोड़ा के बयानों पर क्या भरोसा किया जा सकता है?
2 करोड़ रुपये प्राप्त करने का आरोप
विशेष न्यायाधीश एम.के. नागपाल ने राज्यसभा सदस्य की जमानत याचिका यह देखते हुए खारिज कर दी कि वह “2 करोड़ रुपये की सीमा तक अपराध की आय” से संबद्ध हैं और उनके खिलाफ मामला “वास्तविक” था। धनशोधन रोकथाम एजेंसी ने सिंह को चार अक्टूबर को गिरफ्तार किया था। उन पर 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की उत्पाद शुल्क नीति को तैयार करने और निष्पादित करने में कथित भ्रष्टाचार से जुड़े ‘प्रेडिकेट (विधेय)’ या अनुसूचित अपराध की कथित आय से 2 करोड़ रुपये प्राप्त करने का आरोप है। इस नीति को बाद में रद्द कर दिया गया था।
विशेष न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा
उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना द्वारा शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद सीबीआई ने कथित भ्रष्टाचार को लेकर प्राथमिकी दर्ज की थी। विशेष न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा, “अब, मामले के गुण-दोष या आवेदक के खिलाफ जांच के दौरान एकत्र किए गए सबूत अदालत के सामने पेश किए जाने पर, यह पाया गया है कि उसे 2 करोड़ रुपये की सीमा तक अपराध की आय से जुड़ा हुआ दिखाया गया है...।’’
अन्य गवाहों के बयानों में विरोधाभास-सिंह के वकील
सिंह की जमानत अर्जी पर बहस के दौरान उनके वकील ने कहा था कि सिंह को रिश्वत देने के बारे में आरोपी से सरकारी गवाह बने दिनेश अरोड़ा और अन्य गवाहों के बयानों में विरोधाभास हैं। ईडी ने सिंह के आवेदन का विरोध करते हुए कहा था कि जांच अभी चल रही है और अगर उन्हें जमानत पर रिहा किया गया तो वह जांच में बाधा डाल सकते हैं, सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं और गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं।ईडी ने आरोप लगाया कि सिंह ने अब वापस ली जा चुकी आबकारी नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे कुछ शराब निर्माताओं, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं को आर्थिक लाभ हुआ। सिंह ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा है कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है।
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