अपनी दिल्ली में जन्मे इस शख्स ने घर-घर तक पहुंचा दिया Havells, पढ़ें सफलता की पूरी कहानी

कोई इलेक्ट्रिक स्विच लेना हो या पंखे, लाइट और बिजली की तार या फिर गीजर, वाटर हीटर ही क्यों न लेना हो। हैवेल्स का नाम अक्सर सुनाई देता है। हैवेल्स सुनने में भले ही विदेशी नाम लगे, लेकिन है 100 प्रतिशत शुद्ध देसी। दिल्ली की गलियों से निकलकर मल्टीनेशनल ब्रांड बनने तक हैवेल्स की सफलता के पीछे जो चेहरा है, वही आज हमारे सिटी की हस्ती हैं।

Havells Success story of Anil Rai Gupta.

हैवेल्स की अपार सफलता के पीछे है ये चेहरा

Havells आज देश की बड़ी बिजली उपकरण और होम अप्लाइंसेस कंपनियों में शुमार है। Havells India Limited नाम की यह कंपनी एक इंडियन मल्टीनेशनल इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट कंपनी है, जिसका मुख्यालय दिल्ली से सटे एनसीआर के नोएडा शहर में है। Havells होम अप्लाइंसेस, घरेलू लाइट, कॉमर्शियल और इंडस्ट्रियल एप्लीकेशन्स, LED लाइट्स, पंखे, मॉड्यूलर स्विच और वायरिंग एक्ससरीज बनाती है। इसके अलावा वाटर हीटर, इंडस्ट्रियल और डॉमेस्टिक सर्किट प्रोटेक्शन स्विचगियर, इंडस्ट्रियल और डॉमेस्टिक केबल व वायर, इंडक्शन मोटर, कैपेस्टर आदि बनाती है। आज हैवेल्स इंडिया लिमिटेड एक बड़े बरगद की तरह है, जिसके अंतर्गत हैवल्स के अलावा लॉयड, क्रैबट्री, स्टैंडर्ड इलेक्ट्रिक, रियो और प्रॉम्पटेक जैसी कंपनियां आती हैं। हैवेल्स की सफलता की कहानी बहुत ही प्रेरणादायक और रोचक है। कंपनी की इस सफलता के पीछे जो शख्स हैं आज वही अनिल राय गुप्ता हमारी सिटी की हस्ती हैं।

हैवेल्स नाम कहां से आया

हैवेल्स एक इंडियन मल्टीनेशनल कंपनी है, लेकिन जिन्हें यह नहीं पता उन्हें कंपनी के नाम की वजह से लगता है कि यह एक विदेशी कंपनी है। चलिए जानते हैं हैवेल्स नाम कब और कहां से आया और इसकी शुरुआत कैसे हुई। हैवेल्स के संस्थापक कीमत राय गुप्ता थे, जो 1958 में मलेरकोटला से पुरानी दिल्ली आ गए। यहां पर उन्होंने बिजली के उपकरणों की ट्रेडिंग की दुकान शुरू की। दरअसल हैवेल्स की शुरुआत हवेली राम गांधी नाम के शख्स ने की थी। उस समय यह कंपनी स्विचगियर बनाती थी। हवेली राम गांधी के नाम से ही इस कंपनी का नाम हैवेल्स रखा गया था। 1971 में हवेली राम गांधी ने अपनी यह कंपनी अपने एक डिस्ट्रीब्यूटर रहे कीमत राय गुप्ता को बेच दी। बाद में कंपनी ने स्विचगियर के अलावा अन्य उत्पाद बनाने भी शुरू कर दिए और कंपनी सफलता का दूसरा नाम बन गई।

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हैवेल्स आज अपने 90 फीसद प्रोडक्ट्स की इन-हाउस मैन्युफैक्चरिंग करता है। कंपनी के पास देश के आठ अलग-अलग स्थानों पर 15 स्टेट ऑफ द आर्ट मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स हैं। दुनियाभर में कंपनी के 48 ऑफिस हैं, जिनमें 6712 प्रोफेशनल्स काम करते हैं। इन 8 स्थानों पर हैं हैवेल्स के मैन्युफैक्चरिंग प्लांट -

  • अलवर (Alwar) राजस्थान
  • नीमराना (Neemrana) राजस्थान
  • गिलोथ (Ghiloth) राजस्थान
  • बद्दी (Baddi) हिमाचल प्रदेश
  • तुमकुरू (Tumakuru) कर्नाटक
  • श्री सिटी (Sri City) आंध्र प्रदेश
  • फरीदाबाद (Faridabad) हरियाणा
  • हरिद्वार (Haridwar) उत्तराखंड

हैवेल्स ने अपने उपभोक्ताओं के अनुभव को बेहतर करने के लिए देशभर में अपने एक्सक्लूसिव ब्रांड शोरूम भी कोले हैं। देशभर में 1000 से ज्यादा ऐसे स्टोर्स पर हैवेल्स ग्राहकों से सीधे संपर्क में रहता है। यहां पर आकर ग्राहक अपनी जरूरत की चीज को बेहतर तरीके से जांच और अनुभव कर सकते हैं। हैवेल्स देश की पहली FMEG कंपनी है जिसने हैवेल्स कनेक्ट (Havells Connect) के जरिए डोर स्टैप सेवा की शुरुआत की।

सफलता के पीछे चेहरा

हैवेल्स की इस सफलता के पीछे जो चेहरा है, उनका नाम है अनिल राय गुप्ता। 20 अप्रैल 1969 को जन्मे अनिल राय गुप्ता हैवेल्स इंडिया के चेयरपर्सन और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। अनिल राय गुप्ता के पिता का नाम कीमत राय गुप्ता और मां का नाम विनोद गुप्ता है। अक्टूबर 2024 में विनोद और अनिल राय गुप्ता के साथ ही उनके परिवार को फॉर्ब्स ने भारत के 100 सबसे अमीर लोगों की सूची में शामिल किया। यह परिवार देश के 100 सबसे अमीरों की लिस्ट में 27वें नंबर पर है। उस समय उनके परिवार की कुल नेटवर्थ 9.5 बिलियन डॉलर यानी 950 करोड़ डॉलर यानी 81,299 करोड़ रुपये आंकी गई थी।

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अनिल राय गुप्ता का शुरुआती जीवन

अनिल राय गुप्ता का जन्म दिल्ली में हुआ और उन्होंने दिल्ली के ही सेंट जेवियर स्कूल से पढ़ाई की। श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से उन्होंने इकोनॉमिक्स में बेचलर डिग्री ली है। बाद में वह एमबीए करने के लिए मेरिका चले गए और यहां पर नॉर्थ कैरोलाइना की वेक फॉरेस्ट यूनिवर्सिटी से एमबीए किया। अनिल गुप्ता यूनिवर्सिटी के टॉप पांच स्टूडेंट्स में से एक थे। यही नहीं, कॉलेज में उन्हें अकैडमिक, इंटीग्रिटी और लीडरशिप के मामले में बाबकॉक अवॉर्ड (Babcock Award) से भी सम्मानित किया गया। अनिल गुप्ता ने साल 1992 में नॉन एग्जक्यूटिव डायरेक्टर के तौर पर अपने पिता की कंपनी ज्वाइन की। साल 2014 में उनके पिता और हैवेल्स के संस्थापक कीमत राय गुप्ता के निधन के बाद उन्होंने चेयरपर्सन और मैनेजिंग डायरेक्टर के तौर पर कंपनी की कमान अपने हाथों में ली।

हैवेल्स को दिल्ली से दुनिया तक पहुंचाया

हैवेल्स ने साल 1983 में घाटे में चल रही दिल्ली की टावर्स एंड ट्रांसफॉर्मस लिमिटेड का अधिग्रहण किया और एक साल में ही प्रॉफिट में ले आई। अनिल ने 1992 में हैवेल्स ज्वाइन करने के बाद इस कंपनी को दुनियाभर में फैलाने में मदद की। उन्होंने कंपनी की मार्केटिंग की कमान अपने हाथों में ली और एक परिवार की कंपनी से इसे मल्टीनेशनल कंपनी बना दिया। 1992 में अनिल गुप्ता के ज्वाइन करने के बाद 1997 से 2001 के बीच कंपनी के कई अधिग्रहण किए। इसमें ईसीएस, ड्यूट आर्निक्स इलेक्ट्रॉनिक्स, स्टैंडर्ड इलेक्ट्ऱॉनिकल्स और क्रैबट्री इंडिया के नाम प्रमुख हैं। हैवेल्स और यूके की कंपनी क्रैबट्री का 50-50 फीसद का ज्वाइंट वेंचर था, जिसे बाद में हैवेल्स ने पूरी तरह से एक्वायर कर दिया।

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सिल्वेनिया का अधिग्रहण

साल 2007 में अनिल गुप्ता के नेतृत्व में ही यूरोप की लाइटिंग कंपनी सिल्वेनिया का हैवेल्स ने अधिग्रहण किया। बड़ी बात ये है कि उस समय सिल्वेनिया, हैवेल्स से 1.5 गुना ज्यादा बड़ी कंपनी थी। लेकिन इस डील के बाद हैवेल्स ने देश की सीमाओं को लांघा और दुनिया की सबसे बड़ी लाइटिंग कंपनियों में से एक बन गई। इसके बाद हैवेल्स ने एक ब्रांड के तौर पर कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। साल 2017 में हैवेल्स ने लॉयड इलेक्ट्रिकल्स का कंज्यूमर डूरेबल बिजनेस 1600 करोड़ रुपये में एक्वायर कर लिया। इस तरह हैवेल्स का कद बढ़ता गया और रेवेन्यू भी नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया। यही वजह है कि साल 2022 में उन्हें कंज्यूमर ड्यूरेबल इंडस्ट्री में बिजनेस टुडे बेस्ट CEOs अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया।

अनिल गुप्ता ने साल 2016 में अपने पिता और हैवेल्स के संस्थापक कीमत राय गुप्ता की बायोग्राफी भी लिखी। इस बायोग्राफी का नाम है हैवेल्स : द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ कीमत राय गुप्ता (Havells: The Untold Story of Qimat Rai Gupta)। अनिल गुप्ता की पत्नी का नाम संगीता राय गुप्ता है और उनके दो बच्चे भी हैं। अनिल गुप्ता देश की पहली लिबरल आर्ट यूनिवर्सिटी - अशोका यूनिवर्सिटी के संस्थापक सदस्य भी हैं। उन्हें म्यूजिक और गोल्फ खेलना पसंद है।

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Digpal Singh author

खबरों की दुनिया में लगभग 19 साल हो गए। साल 2005-2006 में माखनलाल चतुर्वेदी युनिवर्सिटी से PG डिप्लोमा करने के बाद मीडिया जगत में दस्तक दी। कई अखबार...और देखें

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