Mauni Amavasya 2023 : मौनी अमावस्या के दिन दिल्ली के समीप इन जगहों पर आप कर सकतें हैं गंगा स्नान

Mauni Amavasya 2023 : मौनी अमावस्या के दिन को तपस्या एवं भगवान से क्षमा प्रार्थना करने के लिए शुभ माना जाता है। मौनी अमावस्या का नाम ऋषि मनु के नाम पर रखा गया है। भक्तों को इस दिन मौन व्रत का पालन करने के लिए कहा जाता है।

Mauni Amavasya

मौनी अमावस्या के दिन गंगा में स्नान करना पवित्र माना जाता है।

Mauni Amavasya 2023 :मौनी अमावस्या 21 जनवरी (शुक्रवार) को है। मौनी अमावस्या के दिन गंगा में स्नान करना पवित्र माना जाता है। इस दिन बड़ी संख्या में लोग गंगा नदी में स्नान कर पुण्य कमाते हैं। चूंकि राजधानी दिल्ली में गंगा नदी नहीं बहती हैं। ऐसे में दिल्ली के नजदीक गंगा नदी पर बने घाटों पर राजधानी के लोग मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान कर सकते हैं। यहां हम आपको दिल्ली के समीप गंगा नदी पर बने घाटों के बारे में बताएंगे।

बृजघाट

दिल्ली से बृजघाट की दूरी 116 किलोमीटर है। बृजघाट दिल्‍ली मुरादाबाद राष्‍ट्रीय राजमार्ग सं-24 पर हापुड़ जिले में आता है। बृजघाट में गंगा का बेहद खूबसूरत घाट है और यह काफी प्रसिद्ध है। प्रमुख मौकों पर यहां लाखों की संख्या में लोग गंगा में डुबकी लगाते हैं।

गढ़मुक्तेश्वर

गढ़मुक्तेश्वर मेरठ से 42 किलोमीटर दूर स्थित है और गंगा नदी के दाहिने किनारे पर बसा है। यह भी हापुड़ जिले में आता है। गंगा तीर्थ नगरी के रूप में गढ़मुक्तेश्वर का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने श्री परशुराम से यहां शिव मंदिर की स्थापना करवाई थी।

शुक्रताल गंगा स्नान

दिल्ली से, यह महत्वपूर्ण पवित्र स्थान दिल्ली और हरिद्वार के बीच लगभग दो तिहाई मार्ग पर स्थित है। यह छोटा सा शहर पवित्र गंगा नदी की एक शाखा के किनारे पर बसा है। इस पवित्र स्थान पर शुकदेव जी महाराज ने अक्षय वट के नीचे बैठकर लगभग 5000 साल पहले महाराज परीक्षित को श्रीमद भागवत की कथा सुनाई थी। यहाँ पर मुज़फ्फरनगर शहर से एक घंटे में पहुंचा जा सकता है। यह दिल्ली से लगभग 150 किमी दूर है।

इसे माघी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता हैमौनी अमावस्या के दिन को तपस्या एवं भगवान से क्षमा प्रार्थना करने के लिए शुभ माना जाता है। मौनी अमावस्या का नाम ऋषि मनु के नाम पर रखा गया है। भक्तों को इस दिन मौन व्रत का पालन करने के लिए कहा जाता है। मौनी अमावस्या माघ महीने के मध्य में पड़ती है इसलिए इसे माघी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।

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आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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