एमसीडी मेयर चुनाव, संख्या बल में अधिक होते हुए भी AAP को BJP से डर, समझें पूरी गणित

एमसीडी में संख्या बल में आम आदमी पार्टी को बीजेपी पर बढ़त है। लेकिन दल बदल कानून के ना होने की वजह से आप को मेयर की कुर्सी हाथ से फिसलती नजर आ रही है।

शुक्रवार को दिल्ली नगर निगम के मेयर के लिए सभी पार्षद सिविक सेंटर में दाखिल हो चुके थे। उम्मीद थी कि 6 जनवरी को दिल्ली के लोगों को उनका मेयर मिल जाएगा। लेकिन सदन के अंदर जो कुछ हुआ वो शर्मसार करने वाला था। सदन के अंदर लात घूंसे चले, कुर्सियां फेंकी गईं, पीठासीन अधिकारा के टेबल पर पार्षद चढ़ गए। यही नहीं सदन के अंदर शराब पीकर पार्षदों के आने और ब्लेड तक चलने की खबर आई। बीजेपी ने तो उन दो पार्षदों को मीडिया के सामने पेश किया जिनके हाथ में कट के निशान थे। इन सबके बीच यह समझना जरूरी है कि 134 सीट, 3 राज्यसभा सांसद और 14 विधायकों के प्रचंड समर्थन के बाद भी आप को डर सता रहा है। वहीं बीजेपी के पास 104 पार्षद और सात लोकसभा के सांसद और 12 एल्डरमैन का समर्थन है, अगर इन आंकड़ों को देखें तो बीजेपी की पलड़ा हल्का नजर आता है। लेकिन उसे किसी करिश्मा की उम्मीद है, अब सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्या हो सकता है जिसकी वजह से बीजेपी को उम्मीद नजर आ रही है। लेकिन सबसे पहले आप की डर की बात करेंगे।

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आप को क्यों है डर

आपको याद होगा कि चंडीगढ़ की 35 पार्षद वाली निगम में आप के पास 14 और बीजेपी के पास सिर्फ 12 पार्षद थे। लेकिन संख्याबल में कम होने के बाद भी बीजेपी अपना मेयर बनवाने में कामयाब रही। आम आदमी पार्टी को डर सता रहा है कि चंडीगढ़ के प्रयोग को बीजेपी दिल्ली में दोहरा सकती है।लिहाजा आम आदमी पार्टी फूंक फूंक कर कदम रख रही है। आम आदमी पार्टी को लगता है कि बीजेपी तोड़फोड़ की मदद ले सकती है तो आखिर इसके पीछे क्या वजह है। दरअसल दिल्ली म्यूनिसिपल एक्ट में पार्षदों के खिलाफ दल बदल कानून लागू नहीं होता है। लिहाजा आप के पार्षद अगर दल बदल किए तो ज्यादा संख्या के बाद भी आप मेयर की कुर्सी को हासिल नहीं कर पाएगी।

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आम आदमी पार्टी की गणित

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