दिल्ली में 25 हजार से अधिक चालान फिर भी ट्रैफिक रूल की परवाह नहीं, नारायण मूर्ति की यह व्यथा

क्या दिल्ली शहर वास्तव में अनुशासनहीन शहर है। दरअसल इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति ने अपने अनुभव को साझा करते हुए इस तरह की बात कही।

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दिल्ली में हर रोज 25 हजार से अधिक चालान

दिल्ली में हर रोज करीब 25 से 30 हजार चालान काटे जाते हैं। लेकिन यह देखा गया है कि लोग ट्रैफिक रूल का पालन नहीं करते हैं। एक आंकड़े के मुताबिक आतंकी हमले में जितने लोगो नहीं मारे जाते हैं उससे अधिक लोग सड़क दुर्घटना का शिकार होते हैं। सड़क हादसों को रोकने के लिए तरह तरह के नियम कानून बने हुये हैं। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। इस संबंध में इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति ने अपने अुनभव को साझा किया। दिल्ली में आइमा के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि जब वो दिल्ली आते हैं तो खुद को असहज महसूस करते हैं। उन्होंने अपनी परेशानी की वजह बताते हुए कहा कि उन्हें लगता है कि यह शहर अनुशासनहीन है। लोगों को ट्रैफिक रूल्स की परवाह नहीं है। उन्होंने कहा कि लोगों को अपनी संपत्ति की चिंता उसकी हिफाजत की चिंता तो रहती है। लेकिन जब बात सार्वजनिक संपत्ति की आती है तो लोग परवाह नहीं करते।

'दिल्ली में अनुशासनहीनता सबसे अधिक'

नारायण मूर्ति ने कहा कि दिल्ली उन शहरों में से एक है कि जहां अनुशासनहीनता सबसे अधिक है। उन्होंने उदाहरण के साथ कहा कि वो सोमवार को दिल्ली आए। एक रेड लाइट पर बहुत सी कारें, मोटरबाइक और स्कूटर वाले और सबके सब परवाह किए बगैर नियमों का उल्लंघन कर रहे थे। अगर हम एक मिनट या दो मिनट इंतजार नहीं कर सकते तो क्या वो लोग इंतजार करेंगे जिनके पास पैसा है। निश्चित तौर पर वो इंतजार नहीं करेंगे। हमें अपने बच्चों को इस बारे में शिक्षित करना चाहिए। छोटे छोटे इलाके में बच्चों के इस बारे में ट्रेनिंग देनी चाहिए ताकि वो नियम कानून के प्रति समर्पित रहें उसका सम्मान करें। उसके बाद बेहतरीन नतीजों की उम्मीद कर सकते हैं।

'पब्लिक प्रॉपर्टी की हिफाजत की चिंता नहीं'

नारायण मूर्ति ने कहा कि कारपोरेट गवर्नेंस के बारे में उन्होंने पहली सीख अपने शिक्षक से हासिल की थी। आप को सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा, सुरक्षा और सम्मान अपने व्यक्तिगत संपत्ति से अधिक करनी चाहिए। सार्वजनिक जीवन या सरकारी सिस्टम में बेइमानी इसलिए आई कि हम सिद्धांतों को नहीं मानते। जब उनसे पूछा गया कि किस तरह के व्यक्तित्व वो हैं इसके जवाब में उन्होंने कहा कि बेहतरीन इंसान की जगह खुद को निष्पक्ष शख्स कहलाना पसंद करेंगे।
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ललित राय author

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