निठारी हत्याकांड: सुरेंद्र कोली को बरी किए जाने के फैसले को SC की चुनौती, इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले का होगा परीक्षण
नोएडा के निठारी हत्याकांड के मुख्य आरोपी सुरेंद्र कोली को इलाहाबाद हाईकोर्ट से दोषमुक्त कर बरी किए जाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले का परीक्षण करने के लिए सुरेंद्र कोली को नोटिस जारी किया है।
सुरेंद्र कोली सुप्रीम कोर्ट ने भेजा नोटिस
Nithari Killings : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा के निठारी कांड के दोषी सुरेंद्र कोली को दोषमुक्त कर बरी कर दिया था। लेकिन, अब सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट के इस बड़े फैसले का परीक्षण करेगा। उत्तर प्रदेश सरकार और सीबीआई की याचिका पर भेजी गई नोटिस के बाद आरोपी सुरेंद्र कोली की टेंशन बढ़ गई है। स्वत: संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्र कोली को नोटिस जारी किया है।
सीरियल किलर सुरेंद्र है कोली-तुषार मेहता
देशभर को दहला देने वाला सनसनीखेज निठारी हत्याकांड अक्सर चर्चा में रहा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से सबूतों के अभाव में 2023 में निठारी हत्याकांड के मुख्य आरोपी सीरियल किलर सुरेंद्र कोली को बरी कर दिया गया था। लेकिन, राज्य सरकार और सीबीआई की ओर से एसजी तुषार मेहता ने कहा वह एक सीरियल किलर है। वह छोटी लड़कियों को बहला-फुसला कर ले जाता था और उनकी हत्या करता था। इस जघन्य अपराध पर ट्रायल कोर्ट ने मौत की सज़ा सुनाई थी। लेकिन, हाईकोर्ट द्वारा सजा को पलटना भयावह है।
31 बच्चों की हत्या का था आरोप
दरअसल, साल 2026 में यूपी के नोएडा स्थित निठारी में 29 दिसंबर 2006 को D-5 के पीछे महिलाओं और बच्चों के कंकाल मिले थे। यह कोठी मोनिंदर सिंह पंढेर नामक शख्स की थी। इस मामले में पायल नामक लड़की की हत्या की जांच से खुलासा हुआ था। पहले 31 बच्चों की हत्या के आरोप मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली पर आरोप लगे थे। लेकिन, जांच में 19 हत्याओं, यौन शोषण और सबूत मिटाने की बात सामने आई थी। इनमें 10 लड़कियां शामिल थीं, लेकिन इनमें से कुछ के डीएनए सैंपल मैच नहीं हुए थे। लिहाजा, कुछ मामलों में आरोपी बरी कर दिए गए थे।
क्या था मामला
8 फरवरी 2007 को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली को 14 दिनों के लिए सीबीआई की कस्टडी में भेज दिया गया। 13 फरवरी 2009 को विशेष अदालत ने आरोपी कोली और पंढेर को एक लड़की से दुष्कर्म और हत्या का दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। 10 सितंबर 2029 को भी ट्रायल कोर्ट ने भी पंढेर और कोली को मौत की सजा सुनाई थी। लेकिन, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पंढेर को दोषमुक्त कर दिया और कोली की सजा को बरकरार रखा। लेकिन, 8 दिसंबर 2014 को कोर्ट ने कोली की फांसी की सजा पर रात 1 बजे रोक लगा दी। उसकी सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया। फिर, 16 अक्टूबर 2023 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में दोनों को दोषमुक्त करार दिया। दोनों दोषियों की 14 अर्जियों पर हाईकोर्ट ने सुनवाई की। इनमें से 12 मामलों में सुरेंद्र कोली और 2 में मोनिंदर सिंह पंढेर को फांसी की सजा सुनाई गई थी।
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