कैसे हुई भारत में पिन कोड की शुरुआत, दिल्ली का पिन 11 से क्यों शुरू होता है; जानें वजह

Delhi Postal Code: पिन कोड का प्रयोग आमतौर पर कोरियर, चिट्ठी और ऑनलाइन समान की डिलिवरी को आसान बनाने के लिए किया जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा पोस्ट कोड की शुरुआत कब हुई और क्यों दिल्ली के पिन कोड की शुरुआत 11 नंबर से होती है। जानें यहां

दिल्ली का पोस्टल कोड 11 से क्यों होता है शुरू

Delhi Postal Code: आज के समय में ऑनलाइन शॉपिंग बहुत आम बात हो गई है। बच्चा-बच्चा ऑनलाइन शॉपिंग के बारे में जानता है। ऑनलाइन शॉपिंग में लिया गया सारा सामान आपके घर आसानी से पहुंच जाता है। इस सामान की घर पर डिलिवरी के लिए आप जब अपना पता डालते हैं तह आपको पोस्टल कोड डालने की आवश्यकता होती है। उसके बिना आपका खरीदा सामान आपके घर पर नहीं पहुंच सकता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि ये पिन कोड बनाया कैसे गया है। पिन कोड की इसके शुरुआत कब हुई है? क्यों पिन कोड 6 अंकों का होता है? और दिल्ली के लिए क्यों 11 संख्या का प्रयोग किया गया है? आइए आपको इन सभी महत्वपूर्ण सवालों के जवाब दें...

भारत में पिन कोड की शुरुआत कब हुई

भारत में पिन कोड की शुरुआत के बारे में जानने से पहले आपको ये जानना आवश्यक है कि पिन कोड को भारतीय पोस्टल कोड कहा जाता है। इसकी शुरुआत 15 अगस्त 1972 में की गई थी। भारत में पोस्टल कोड 6 अंकों को होता है। हर राज्य की एक अलग पहचान के तौर पर पोस्टल कोड के शुरुआती की गई है। भारत में पिन कोड की शुरुआत श्रीराम भीकाजी वेलणकर द्वारा की गई थी। इस दौरान 1 से लेकर 8 तक के अंकों को क्षेत्रों के आधार पर बांटा गया है। इसमें 9 संख्या को सेना डाक सेवा के लिए रिजर्व किया गया था। अब आप सोचिए हर स्थान के लिए एक अलग पिन कोड बनाया गया है, ताकि कोई सामान, चिट्ठी, मैसेज आदि गलत पते पर न पहुंचे। उसके हिसाब से कितने पिन होंगे। जानकारी के अनुसार भारत में कुल 19,101 पोस्टल है, जो 154,725 को कवर करते हैं।

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