चर्चा तब भी चर्चा अब भी लेकिन दामन पर आरोप के छींटें, हापुड़ के हीरो मनीष सिसोदिया का सफरनामा

दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने गिरफ्तार किया है। सिसोदिया पर आरोप है कि नियमों की अनदेखी कर दिल्ली के लिए नई एक्साइज पॉलिसी बनाई और उस प्रक्रिया में करोड़ों की रिश्वत ली। यहां पर हम मनीष सिसोदिया के सफरनामा पर नजर डालेंगे।

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मनीष सिसोदिया, दिल्ली के डिप्टी सीएम

Manish Sisodia Political Journey: यूपीए दो के समय भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे के आंदोलन(Anna hajare movement) का असर यह हुआ था कि एक नई पार्टी ने भारत के राजनीतिक नक्शे पर अपनी पहचान बनाई जिसे हम सब आम आदमी पार्टी के तौर पर जानते हैं। इस पार्टी का सियासी सफर रोमांच से भरा है। दिल्ली की गद्दी पर तीन बार काबिज होना। दिल्ली के बाहर पंजाब की सत्ता को हासिल कर लेना नजीर है। आम आदमी पार्टी का जिक्र होते ही अरविंद केजरीवाल(Arvind Kejriwal) के बाद अगर कोई दूसरा, तीसरा, चौथा नाम है तो वो मनीष सिसोदिया(Manish sisodia) का आता है। अब ऐसा क्यों ना हो, एक शख्स के ऊपर 18 विभागों की जिम्मेदारी है जिनमें से आबकारी विभाग भी है। शिक्षा के क्षेत्र में अगर सिसोदिया ने नाम कमाया तो आबकारी विभाग ने उनके दामन पर दाग भी लगाया है। सिसोदिया के बारे में अरविंद केजरीवाल का विचार कुछ यूं है, ''भगवान उनके साथ है, मनीष वो शख्स हैं जिन्होंने दिल्ली की शिक्षा की तस्वीर बदल दी''। यह बात सच है कि आरोप लगने से कोई अपराधी नहीं हो जाता है। लेकिन एक सच तो यह भी है कि एक बार आरोप लगा तो वो ताउम्र पीछा नहीं छोड़ता। इन सबके बीच हम बताएंगे कि मनीष सिसोदिया कौन है।

हापुड़ के रहने वाले हैं मनीष सिसोदिया

दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश का एक जिला है हापुड़। मनीष सिसोदिया हापुड़ जिले के रहने वाले हैं। एक सामान्य परिवार में जन्में सिसोदिया के सपने बड़े थे। उस सपने को साकार करने के लिए उन्होंने डिप्लोमा के बाद उन्होंने पत्रकारिता के फील्ड में कदम रखा, ऑल इंडिया रेडियो में जीरो ऑवर प्रोग्राम को होस्ट करते थे। उसके बाद एक टीवी चैनल में भी काम किया। लेकिन मन पूरी तरह से नहीं रमा। हमेशा कुछ अलग करने की चाहत लिए जिंदगी की धार को बदलने का फैसला किया और 2006 में पब्लिक कॉज रिसर्च फाउंडेशन की शुरुआत की। इस फाउंडेशन के जरिए पहचान धीरे धीरे बनने लगी और साल 2011 उनकी जिंदगी के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे यूपीए सरकार की चूलें हिला रहे थे और अरविंद केजरीवाल के साथ मनीष सिसोदिया कंधे से कंधा मिलाकर उनका साथ दे रहे थे।

अन्ना आंदोलन से दिल्ली की गद्दी तक

अन्ना हजारे और अरविंद केजरीवाल के आंदोलन से क्या हासिल हुआ उसे लेकर आप वाद विवाद कर सकते हैं। अगर भ्रष्टाचार को ही हटाना था को आप के कई नेता ऐसे हैं जिनका सफेद कुर्ता दागदार हो चुका है। लेकिन एक बात सच है कि अन्ना के आंदोलन से अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के महत्वाकांक्षा को बल मिल चुका था और नतीजा आम आदमी पार्टी के तौर पर दिखाई भी दिया। दिल्ली की गद्दी पर विराजमान शीला दीक्षित के लिए बीजेपी से अधिक आप ने चुनौती पेश किया। पहली बार की लड़ाई में आप बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी लेकिन अकेले सरकार बनाने की स्थिति में नहीं थी। लेकिन कांग्रेस की मदद से सरकार बना ली और मनीष सिसोदिया डिप्टी सीएम बन गए। अरविंद केजरीवाल को भरोसा मनीष सिसोदिया के ऊपर कितना है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि इनके पास 18 विभागों की जिम्मेदारी है।

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ललित राय author

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