क्या होता है Zero Mile, दिल्ली का जीरो माइल कहां है, यहां पढ़ें इसकी रोचक कहानी
Delhi Zero Mile: यात्रा के दौरान शहरों में प्रवेश करते हुए आपने सड़क के किनारे माइलस्टोन जरूर देखें होंगे। लेकिन क्या आपने कभी इसपर जीरो माइल लिखा देखा है। अगर नहीं तो ये खबर आपके लिए है। आज आपको जीरो माइल और दिल्ली के जीरो माइल के बारे में बताएंगें।
कहां है दिल्ली की जीरो माइल
क्या होता है जीरो माइल
बता दें कि हर शहर में एक जीरो माइल होता है। दिल्ली के जीरो माइल के बारे में जानने से पहले आपके लिए ये जानना आवश्यक है कि जीरो माइल आखिर होता क्या है। दरअसल, जीरो माइल किसी शहर या गांव की वो जगह होती है, जहां से अन्य शहरों और गांव की दूरी मापी जाती है। ये बॉर्डर से बॉर्डर तक की दूरी नहीं होती है। हर शहर/ गांव में एक ऐसा स्थान होता है, जहां से दूसरे स्थान की दूरी मापी जाती है। बता दें कि जीरो माइल को 1907 में जीटीएस यानी ग्रेट ट्रिग्नोमेट्री सर्वे के दौरान बनाया गया था। इस सर्वे का मुख्य मकसद पूरे भारत के सब कॉन्टिनेंट को मापना था। इसके बाद अब हर शहर का एक जीरो माइल होता है, जिसकी सहायता से अन्य शहरों की दूरी मापी जाती है।
शहर में प्रवेश पर माइलस्टोन पर दूरी 8-10 किमी क्यों लिखी होती है
आपने अक्सर देखा होगा कि किसी शहर की सीमा में प्रवेश करने के बाद भी सड़क किनारे लगे माइलस्टोन पर शहर की दूरी जीरो मील या किमी नहीं बल्कि 8 से 10 किमी लिखी होता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि शहर का जीरो माइलस्टोन शहर की सीमा पर नहीं होता है। वह शहर के एक खास स्थान पर होता है, जहां से अन्य स्थानों की दूरी को मापा जाता है। आइए अब आपको भारत की राजधानी दिल्ली के जीरो माइलस्टोन के बारे में बताएं।
कहां है दिल्ली का जीरो माइलस्टोन
देश की राजधानी दिल्ली अपने समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक विरासत के लिए जानी जाती है। इस राज्य का हर कोना अपने अंदर कई कहानियां छुपाए हुए है। देश की राजधानी होने के साथ ये राजनीति का भी केंद्र है। दिल्ली देश के सबसे बड़े शहरों में से एक है। जहां लोग पढ़ने और नौकरी से लिए आते हैं। लेकिन फिर भी बहुत कम लोग है जो दिल्ली के जीरो माइल के बारे में जानते हैं। बता दें कि दिल्ली का जीरो माइलस्टोन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का समाधि स्थल 'राजघाट' है।
राजघाट से देश के अन्य शहरों और गांवों की दूरी मापी जाती है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के सेवानिवृत निदेशक जमाल अहमद ने जीरो माइल के बारे में अधिक जानकारी देते हुए बताया कि 16वीं सदी में शेहशाह सूरी ने देशभर में जमीन को मापने की एक प्रक्रिया शुरू की थी। इस प्रक्रिया के तहत जगह-जगह कोस मीनार तैयार किए गए। इसी दौरान राजघाट को दिल्ली का केंद्र बनाया गया। बता दें कि उस काल में यमुना किनारे स्थित घाट (जिसे आज राजघाट के नाम से जाना जाता है) पर पहुंचने के लिए लोग जलमार्ग से नावों से यात्रा करते थे। जानकारी के अनुसार, मुगल काल के दौरान वर्तमान राजघाट यमुना तट का मुख्य घाट शाहजहांनाबाद हुआ करता था। माना जाता है कि उसके बाद ही राजघाट में दिल्ली का जीरो माइलस्टोन स्थापित किया गया।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | दिल्ली (cities News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल
End of Article
varsha kushwaha author
वर्षा कुशवाहा टाइम्स नाऊ नवभारत में बतौर कॉपी एडिटर काम कर रही हैं। नवबंर 2023 से Timesnowhindi.c...और देखें
End Of Feed
© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited