UCC के लिए RSS से जुड़ी पत्रिका ने दिया जोर, कहा- भेदभाव अस्वीकार; पर नेता चाहते हैं राज्य के जरिए हो हासिल
RSS linked Indraprastha Samwad on Uniform Civil Code: 'इंद्रप्रस्थ संवाद' ने अपने संपादकीय में कहा है कि बुनियादी धार्मिक अधिकारों को सुनिश्चित करने में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।
तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। (फाइल)
मैग्जीन के एडिटोरियल के मुताबिक, "लोकतंत्र और कानून के नियम का मतलब है कि लॉ के सामने हर कोई समान है और वहां पर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होता है। पर सच क्या है? बदकिस्मती से (73 साल से, जब से संविधान अमल में आया है) यूसीसी अभी तक लागू नहीं किया गया है।"
आगे तर्क दिया गया कि जहां क्रिमिनल लॉ सबके लिए एक है। सिविल लॉ धर्म के हिसाब से होता है। मैग्जीन में कहा गया, "अगर आप हिंदू महिला हैं, तब आप तलाक के बाद गुजारा भत्ता पाने की हकदार हैं, पर अगर आप मुस्लिम महिला है तब आपको यह नहीं मिलेगा। नागरिक समाज में इस तरह का भेदभाव नहीं स्वीकार किया जाएगा।"
पत्रिका में यह सवाल भी उठाया गया कि आखिरकार मस्जिदों, गिरजाघरों और गुरुद्वारों को उनके मामले और वित्तीय स्थिति को मैनेज करने क्यों दिया जाता है? वहीं, सरकार मंदिरों के मामलों पर नियंत्रण रखती है।
दरअसल, संघ परिवार यूसीसी का पक्षधर रहा है। बीजेपी के कई सांसद पूर्व में इसके लिए संसद में प्राइवेट मेंबर्स बिल भी ला चुके हैं। अंग्रेजी अखबार दि इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि संघ का मानना है कि फिलहाल यूसीसी को आगे बढ़ाने का सबसे बढ़िया जरिया सर्वव्यापी केंद्रीय कानून के बजाय राज्य हैं। हालांकि, संघ इसे आगे बढ़ाने को लेकर किसी प्रकार की जल्दबाजी में नहीं है।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | दिल्ली (cities News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल
छोटे शहर से, पर सपने बड़े-बड़े. किस्सागो ऐसे जो कहने-बताने और सुनाने को बेताब. कंटेंट क्रिएशन के साथ...और देखें
© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited