दिल्ली की मेयर तो बन गईं शैली ओबेरॉय, अब AAP के सामने चुनौतियां क्या?

शैली ओबेरॉय (Shelly Oberoi) आम आदमी पार्टी की पहली मेयर हैं। माना जा रहा है कि शैली ओबेरॉय को इस पद पर बिठाने के बाद आम आदमी पार्टी के लिए महिला वोटर्स के बीच अपनी पकड़ बनाने में और सहूलियत होगी।

Shelly Oberoi

आम आदमी पार्टी की शैली ओबेरॉय बनीं दिल्ली की मेयर

आम आदमी पार्टी ने दिल्ली नगर निगम चुनाव में जीत पहले ही दर्ज कर ली थी लेकिन अब अपनी मेयर बनाकर पार्टी ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। आम आदमी पार्टी ने एमसीडी चुनाव में मेयर पद के साथ-साथ डिप्टी मेयर के पद पर भी अपना कब्जा जमा लिया है। शैली ओबेरॉय (Shelly Oberoi) जहां मेयर चुनी गई हैं वहीं आले मोहम्मद इकबाल ने डिप्टी मेयर बने हैं।

महिला वोटर्स के बीच पकड़ बनाने की होगी कोशिश

शैली ओबेरॉय को आम आदमी पार्टी की पहली मेयर हैं। माना जा रहा है कि शैली ओबेरॉय को इस पद पर बिठाने के बाद आम आदमी पार्टी शैली ओबेरॉय का नाम लेकर महिला वोटर्स के बीच अपनी पकड़ बनाने की कोशिश करेगी। वहीं दिल्ली में आप का अपना मेयर होना इस बात को साफ कर रहा है कि अरविंद केजरीवाल धीरे-धीरे ही सही लेकिन अपनी पार्टी का विस्तार कर रहे हैं। पूरी दिल्ली पर अब एक तरह से केजरीवाल का ही कब्जा जम चुका है और सालों से दिल्ली नगर पर काबिज बीजेपी का राज उन्होंने खत्म कर दिया है।

अब आसानी से इस बात का अनुमान लगाया जा सकता है जैसा कि हर चुनाव जीतने के बाद केजरीवाल दूसरे चुनाव की तैयारी में जुट जाते हैं, दिल्ली में अपना मेयर और डिप्टी मेयर मिल जाने के बाद उनकी नजर अब दूसरे राज्यों में नगर निगम के चुनावों पर होगी। जिससे कि अन्य राज्यों में भी उनकी पार्टी का कुनबा बढ़ सकता है।

केजरीवाल के लिए पेंच क्या?

हालांकि यहां केजरीवाल के लिए एक पेंच भी है। केजरीवाल ने 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले दिल्ली को कूड़े के पहाड़ से निजात दिलाने का वादा किया था। ऐसे में दिल्ली नगर निगम के दो अहम पदों को हासिल करने के बाद भी केजरीवाल दिल्ली को आप की झाड़ू से साफ नहीं कर पाते हैं तो आप की चमकदार छवि को नुकसान पहुंच सकता है। वहीं बीजेपी आसानी से इसे आम आदमी पार्टी के खिलाफ मुद्दा बना सकती है।

बीजेपी को लगता है कि दिल्ली से कूड़े के पहाड़ को हटाना पहाड़ चढ़ने जैसा है और यदि आप अपने वादे को पूरा करने में नाकामयाब होती है तो बीजेपी को इसका फायदा मिल सकता है। वहीं दूसरा खतरा यह है कि यदि विधानसभा चुनाव से पहले तक नगर निगम में आप के काम को लेकर दिल्ली की जनता संतुष्ट नहीं हुई या सत्ता विरोधी लहर चली तो इसका खामियाजा भी पार्टी को विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ सकता है।

ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस जैसी पार्टियों के लिए विधानसभा चुनाव से पहले 2024 के लोकसभा चुनाव में भी दिल्ली में आप को घेरना आसान हो जाएगा। वहीं शैली ओबेरॉय के सामने भी कम चुनौतियां नहीं है। कहा जा रहा है कि वे इस पद पर केवल 31 मार्च 2023 तक ही रह सकती हैं। क्योंकि एमसीडी एक्ट के मुताबिक 31 मार्च को वित्तीय वर्ष खत्म हो जाने पर उनका कार्यकाल भी समाप्त हो जाएगा और फिर से नए मेयर का चुनाव होगा। ऐसे में केवल एक महीने में ही उन्हें पार्टी के साथ-साथ दिल्ली की जनता की नजरों में भी खरे उतरना होगा।

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