Delhi: दिल्‍ली में शुरू हुई ‘इंद्रप्रस्थ’ की खोज, इस जगह पर खोदाई कर रहा एएसआई, बदल सकता है इतिहास

Delhi: पंडवों की राजधानी इंद्रप्रस्‍थ की खोज के लिए एएसआई ने पुराना किला में फिर से खोदाई शुरू कर दी है। यहां पर वर्ष 2017-18 में खोदाई की गई थी। उस समय यहां पर मौर्य काल तक के कई प्रमाण मिले थे। अब यहां पर उन्‍हें गड्ढों को और गहरा किया जाएगा। एएसआई अब यहां पर ईसा पूर्व 900 वर्षों से आगे का इतिहास जानने की कोशिश करेगी।

पुराने किले में गड्ढों का निरीक्षण करते एएसआई के अधिकारी

मुख्य बातें
  • पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्‍थ से जुड़े प्रमाण की होगी खोज
  • पुराने किले में मिल चुका है 3100 वर्ष तक का ऐतिहासिक प्रमाण
  • एएसआई ने यहां पर वर्ष 2017-18 में की थी खुदाई

Delhi: देश का इतिहास बदल सकता है। इंद्रप्रस्‍थ की खोज के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने पुराना किला में खोदाई करने जा रहा है। ईसा पूर्व 900 वर्षों से आगे का इतिहास जानने के लिए एएसआई ने यहां पर सोमवार से खुदाई का कार्य शुरू कर दिया गया। अब उन गड्ढों से मिट्टी हटाने का कार्य चल रहा है, जिन गड्ढों को वर्ष 2017-18 में खोदाई के बाद संरक्षित किया गया था। एएसआई अब फिर से इन्हीं गड्ढों को और गहराई तक खुदाई कर इंद्रप्रस्‍थ से जुड़े इतिहास का पता लगाने की कोशिश करेगा।

संबंधित खबरें

बता दें कि, इससे पहले एएसआई ने यहां पर वर्ष 2017-18 में खोदाई की थी। उस समय इन गड्ढो से ईसा पूर्व 900 वर्ष (3,100 वर्ष) पहले तक का इतिहास मिला था। एएसआई को इस खुदाई में मौर्य काल से पहले के कई ऐतिहासिक प्रमाण मिले थे। अब एक बार फिर से एएसआई जहां इन्‍हें गड्ढों को और गहरा करेगा, वहीं इसके आसपास नए गड्ढे भी खोदे जाएंगे। एएसआई अधिकारियों ने बताया कि, इस बार खोदाई कार्य को ज्‍यादा से ज्‍यादा विस्तार दिया जाने की योजना बनाई गई है। इसलिए किले में दूसरे जगहों पर भी गड्ढे खोदने के लिए निशानदेही की जा रही है।

संबंधित खबरें

इस बार होगी इंद्रप्रस्थ की खोजबता दें कि पुराना किला के अंदर पहले हुई खोदाई में 3,100 वर्ष तक का निरंतर निवास स्थान होने का प्रमाण मिल चुका है। इन ऐतिहासिक प्रमाणों में जहां ईसा पूर्व के चित्रित मृदभांड शामिल है। वहीं मौर्य काल से लेकर कुषाण, गुप्त और मुगल काल तक के मिट्टी के कई बर्तन भी मिले हैं। इसके अलावा यहां पर दरांती, भट्ठा-जली ईंटें, टेराकोटा के खिलौने, टेराकोटा की मूर्तियां, मनके और सील जैसी कलाकृतियों भी मिली हैं। इन सभी को पुराने किले के परिसर में बने पुरातत्व संग्रहालय में रखा गया है। एएसआई अब इससे आगे के इतिहास की तलाश में हैं। एएसआई अधिकारियों के अनुसार, इस बार की खोदाई के दौरान ऐसे प्रमाणों की खोच की जाएगी, जो पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्‍थ से संबंधित हों। इस कार्य में समय लग सकता है, लेकिन अगर इंद्रप्रस्‍थ से संबंधित कोई प्रमाण मिलता है तो देश के प्राचीन इतिहास में बड़ा बदलाव आ जाएगा। महाभारत जैसे काव्‍य भी ऐतिहासिक प्रमाण सिद्ध हो जाएंगे।

संबंधित खबरें
End Of Feed