UNESCO-P&G Whisper का प्रोग्रामः बोले स्पीकर्स- पीरियड शिक्षा पर जागरूकता की है कमी, 71% बच्चियां पीरियड्स से 'अनजान'

कार्यक्रम में भारत सरकार के विभिन्न प्रतिनिधि, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियां और नागरिक समाज संगठनों के प्रतिनिधियों सहित विभिन्न हितधारकों की भी उपस्थिति रही। बताया गया कि यह कार्यक्रम और संयुक्त प्रभावी साझेदारी एक स्वास्थ्य से संबंधित विभिन्न विषयों पर एक समग्र दृष्टिकोण अपनाती है। शिक्षा के माध्यम से मासिक धर्म, स्वास्थ्य और स्वच्छता प्रबंधन विषय पर दृढ़ता से प्रतिबद्ध है और जागरूक करती है।

Keep Girls in School

कार्यक्रम के दौरान मंच पर मेहमान। (टाइम्स नाउ ब्यूरो)

तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ ब्यूरो

नई दिल्ली में युनेस्को (UNESCO) और पीएंडजी विस्पर (P&G Whisper) के संयुक्त तत्वावधान में भारत में मासिक धर्म, स्वास्थ्य व स्वच्छता प्रबंधन विषय पर कीप गर्ल्स इन स्कूल पहल ('#KeepGirlsinSchool') के तहत पांच विषयों ( विकलांग, लिंग, शिक्षक और युवा, वयस्क व पोषण) पर कार्यशाला और विश्लेषण सत्र हुआ। कार्यक्रम में मासिक धर्म, स्वास्थ्य और स्वच्छता प्रबंधन (MHHM) पर सर्वे और बहुप्रतीक्षित विश्लेषण रिपोर्ट हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अमृता अस्पताल में पेश की गई। प्रोग्राम में विद्युत और भारी उद्योग राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर और फरीदाबाद में बडखल से विधानसभा सदस्य सीमा त्रिखा उपस्थित रहे।

कार्यक्रम में भारत सरकार के विभिन्न प्रतिनिधि, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियां और नागरिक समाज संगठनों के प्रतिनिधियों सहित विभिन्न हितधारकों की भी उपस्थिति रही। बताया गया कि यह कार्यक्रम और संयुक्त प्रभावी साझेदारी एक स्वास्थ्य से संबंधित विभिन्न विषयों पर एक समग्र दृष्टिकोण अपनाती है। शिक्षा के माध्यम से मासिक धर्म, स्वास्थ्य और स्वच्छता प्रबंधन विषय पर दृढ़ता से प्रतिबद्ध है और जागरूक करती है। मॉड्यूल्स के जारी होने से शिक्षार्थियों, शिक्षकों और समुदाय के नेताओं को मासिक धर्म के प्रबंधन में व्यापक समझ और कौशल विकास के लिए अनिवार्य संसाधन और रणनीतियां उपलब्ध होंगी, जिससे सामाजिक स्तर पर जागरूकता बढ़ेगी।

गैंबल इंडिया (Gamble India) में फेमिनिन केयर के उपाध्यक्ष और प्रतिनिधि गिरीश कल्याणरमन ने कहा- भारत में पांच में से एक लड़की मासिक धर्म की शिक्षा की कमी और सैनिटरी उत्पादों तक पहुंच नहीं होने के कारण स्कूल छोड़ देती है। पीरियड शिक्षा पर जागरूकता स्कूलों, परिवारों और समुदायों से गायब हो गई है, जिससे 71% लड़कियों को पीरियड्स के बारे में जानकारी नहीं है कि यह पहली बार कैसे और कब आरंभ होता है। लगभग तीन दशकों से हम संबंधित शिक्षा, मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में जागरूकता फैलाने और भारत भर में लड़कियों को सैनिटरी पैड वितरित करने के लिए समर्पित हैं।

त्रिखा ने अपने संबोधन में बताया, "मुझे इस अभूतपूर्व परियोजना को देखकर गर्व हो रहा है। विश्वास है कि देश भर के जिलों में इस जागरूकता कार्यशालाओं का आयोजन करके और आंगनवाड़ी या स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को शामिल करके, हम मासिक धर्म के लिए एक स्वस्थ और अधिक परिवर्तनकारी दृष्टिकोण सुनिश्चित करने में सक्षम होंगे।" यूनेस्को नई दिल्ली के बहुक्षेत्रीय कार्यालय में कार्यक्रम विशेषज्ञ और शिक्षा क्षेत्र की प्रमुख जॉयस पोन के मुताबिक, युनेस्को के शोध परिणामों से पता चलता है कि लगभग 50 प्रतिशत शहरी और 38 प्रतिशत ग्रामीण लड़कों को लड़कियों और महिलाओं की ओर से उपयोग किए जाने वाले मासिक धर्म अवशोषक के बारे में जानकारी नहीं है।

उधर, यूनेस्को नई दिल्ली में लिंग विशेषज्ञ और राष्ट्रीय कार्यक्रम अधिकारी (बहुक्षेत्रीय कार्यालय) हुमा मसूद ने बताया कि भारत सरकार मासिक धर्म से जुड़ी सहायता के लिए समावेशी और समान पहुंच को बढ़ावा दे रही है। मासिक धर्म एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। लेकिन शर्म, कलंक और इससे जुड़ी गलत धारणा आज भी प्रचलित है। इस विषय पर एक अभूतपूर्व मोड़ में यह विषय सामने आया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी अपने 2020 के स्वतंत्रता दिवस भाषण में संकेत करते हैं कि हम स्वच्छता व स्वास्थ्य में आज ऐसे प्रयास आरंभ कर रहे हैं जो पूरे भारत में गूंजेगी।

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अभिषेक गुप्ता author

छोटे शहर से, पर सपने बड़े-बड़े. किस्सागो ऐसे जो कहने-बताने और सुनाने को बेताब. कंटेंट क्रिएशन के साथ नजर से खबर पकड़ने में पारंगत और "मीडिया की मंडी" ...और देखें

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