ये है दिल्ली की दूसरी कुतुब मीनार, आधी दिल्ली को तो इसके बारे में पता तक नहीं
क्या आप जानते हैं कि दिल्ली में एक नहीं बल्कि दो कुतुब मीनार हैं। एक कुतुब मीनार को कुतुबद्दीन ऐबक ने बनवाया था, लेकिन दूसरी कुतुब मीनार दिल्ली के तख्त पर बैठे मुगल बादशाह ने बनवायी थी। चलिए जानते हैं इस दूसरी या छोटी कुतुब मीनार के बारे में, जिसके बारे में ज्यादातर लोगों को पता भी नहीं है।
दिल्ली की दूसरी कुतुब मीनार
दिल्ली सदियों से सत्ता का केंद्र रही है। दिल्ली में जिन-जिन वंशों ने भी राज किया, उन्होंने यहां अपनी निशानियां छोड़ी हैं। जैसे शाहजहां ने लालकिला बनवाया। लोदी वंश का लोदी गार्डन, हुमायूं का मकबरा, तुगलकाबाद का किला, गुलाम वंश के संस्थापक कुतुबद्दीन ऐबक ने कुतुब मीनार बनवाई। इन ऐतिहासिक धरोहरों के बारे में आप जानते होंगे। इनमें से कई जगह आप गए भी होंगे। लेकिन क्या आप दिल्ली के छोटा कुतुब मीनार को देखने गए हैं? कई लोगों को दशकों से दिल्ली में रहने के बावजूद इसके बारे में पता भी नहीं है। चलिए जानते हैं छोटा कुतुब मीनार के बारे में। इसका असली नाम क्या है? इसके कब, किसने और क्यों बनवाया?
छोटा कुतुब मीनार का असली नाम
छोटा कुतुबब मीनार का असली नाम हस्तसाल की लाट है। इसे छोटी मीनार और कौशल की मीनार के नाम से भी जाना जाता है।
किसने बनायी यह मीनार
साल 1650 में मुगल बादशाह शाहजहां ने इस मीनार को बनवाया था। तीन मंजिला और 55 फुट (17 मीटर) ऊंची यह लाट का शाहजहां शिकार के बाद आराम करने के लिए इस्तेमाल करता था। यहां पास में ही उनका एक लॉज भी था। जब इसे बनाया गया था, तब यह पांच मंजिला इमारत थी, लेकिन अब तीन ही मंजिल बची हैं। इसे एक अष्टकोणीय प्लेटफॉर्म पर बनाया गया है। इस मीनार को मिट्टी और ईंट के साथ लाल पत्थर से बनाया गया है। हस्तसाल की लाट का स्ट्रक्चर और डिजाइन कुतुब मीनार से मिलता-जुलता है और इसे कुतुब मीनार से प्रेरणा लेकर ही बनाया गया था।
कहां है हस्तसाल की लाट और कैसे पहुंचें
जैसा कि इसके नाम से ही विदित है, यह छोटा कुतुब मीनार दिल्ली में उत्तम नगर के पास हस्तसाल गांव में मौजूद है। यहां पहुंचने के लिए नजदीकी मेट्रो स्टेशन उत्तम नगर ईस्ट स्टेशन ही है। मेट्रो स्टेशन से लाट की दूरी सिर्फ 2.4 किमी है। यहां से रिक्शा या ऑटो की मदद से आप लाट तक जा सकते हैं। उत्तर नगर तक दिल्ली के लगभग हर कोने से डीटीसी बस सेवा भी उपलब्ध है।
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हस्तसाल की लाट एक आर्किटेक्चरल मार्बल है। लेकिन यह दिल्ली की भीड़-भाड़ के बीच अपने आंगन में सुकून के कुछ पल गुजारने का अवसर भी देता है। यहां पर मौजूद गार्डन को बढ़िया से मैनटेन करके रखा गया है।
इस पांच मंजिला इमारत में कुतुब मीनार की ही तरह अंदर से सीढ़ियां हैं, जो कभी इसकी छत तक जाती थीं। लेकिन ऊपर की दो मंजिल गिर जाने की वजह से अब यह तीन मंजिल तक ही हैं। शिकार के दौरान थक जाने पर शाहजहां इसके ऊपरी मंजिल पर आराम करते थे।
टनल की कहानी
स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां लाट से रॉयल हंटिंग लॉज तक एक गुफा भी थी। लाट और हंटिंग लॉज एक-दूसरे से कुछ सौ मीटर की दूरी पर हैं। इस लॉट का डोम वाला छत्री पवेलियन और ऊपरी दो मंजिलें 18वीं सदी में गिर गईं। कुछ समय पहले तक यहां के स्थानीय बच्चे लाट की अंदर की सीढ़ियों का इस्तेमाल करके इस मीनार के अंदर खेलते थे, जिसे अब बंद कर दिया गया है।
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