दिल्ली के 30 हजारी इलाके का नाम कैसे पड़ा, जानें गर्व से सीना चौड़ा कर देने वाली ये रोचक कहानी

Tis Hazari Name History: तीस हजारी कोर्ट और तीस हजारी मेट्रो स्टेशन के अलावा आप यहां के बारे में क्या कुछ जानते हैं? दिल्ली के बहुत से लोगों के साथ अगर आप तीस हजारी नाम का इतिहास नहीं जानते तो, इस आर्टिकल को पढ़ें, आपका सीना भी गर्व से चौड़ा हो जाएगा।

Tis Hazari court.

तीस हजारी नाम का इतिहास

Tis Hazari Name History: तीस हजारी क्या है? इस प्रश्न का ज्यादातर लोग के पास एक ही जवाब होगा और वह है कोर्ट (जिला अदालत)। जी हां, ज्यादातर दिल्ली वाले भी तीस हजारी के नाम पर उत्तरी दिल्ली में मौजूद कोर्ट परिसर का ही नाम लेते हैं। जब आप उन्हीं लोगों से पूछेंगे कि इस जगह का नाम तीस हजारी क्यों पड़ा तो ज्यादातर लोग इधर-उधर झांकने लगते हैं। क्योंकि ज्यादातर लोगों को वह समृद्ध इतिहास पता ही नहीं है, जिसके कारण इस जगह का नाम तीस हजारी पड़ा। कुछ लोग तुक्का लगाते हुए कुछ कहानियां बयां करते हैं, लेकिन ज्यादातर लोग इस नाम के पीछे की सही वजह नहीं बता पाते हैं। लोग यहां की कोर्ट के बारे में ही ज्यादा जानते हैं तो बता दें कि तीस हजारी कोर्ट की वेबसाइट के अनुसार यहां पर एशिया की सबसे बड़ी जिला अदालत है, जिसमें 400 कोर्ट रूम हैं। इसका निर्माण 1953 में शुरू हुआ था और 1958 से यहां पर जिला अदालत में सुनवाई शुरू हुई। अब जानते हैं तीस हजारी नाम के पीछे की कहानी -

सिखों और मुगलों का इतिहास जुड़ा है यहां से

जी हां, इस जगह से सिखों और मुगलों का इतिहास जुड़ा है। कहानी 1783 की है। इतिहास में इसे दिल्ली की जंग के नाम से भी जाना जाता है। उस समय देश में मुगलों का आतंक था। दिल्ली सल्तनत पर शाह आलम द्वितीय का राज था। मुगलों के अत्याचारों से लोगों को बचाने और हिंद की रक्षा करने के लिए सिखों ने कमर कसी। पंजाब से बाबा बघेल सिंह, जस्सा सिंह अहलूवालिया और जस्सा सिंह रामगढ़िया के नेतृत्व में 40 हजार घुड़सवार सिख सैनिक की टोली निकली, ताकि दिल्ली सल्तनत को धूल चटाकर देश को मुगलों के आतंक से मुक्ति दिला सकें।

ऐसे पड़ा तीस हजारी नाम

मुगल बादशाह शाह आलम को जब पता चला कि सिखों की बड़ी टोली दिल्ली पर हमला करने के लिए आ रही है तो उसने दिल्ली के सभी दरवाजों को बंद करवा दिया। सभी दरवाजे बंद होने से सिख सेना अब लालकिले पर हमला नहीं कर सकती थी। दिल्ली पहुंचकर सिख सेना तीन हिस्सों में बंट गई। 5000 सैनिकों के साथ एक टुकड़ी ने मजनूं का टीला पर डेरा डाल दिया, दूसरी 5000 सैनिकों की टोली अजमेरी गेट के पास जमा हो गई। बाबा बघेल सिंह के नेतृत्व में 30 हजार सैनिकों की एक टोली जिस जगह जमा हुई, उसे ही आज तीस हजारी के नाम से जाना जाता है। यहां पर 30 हजार सैनिकों के जमावड़े के कारण ही इस जगह का नाम तीस हजारी पड़ा।

मोरी गेट की कहानी

कहा जाता है कि दरवाजे बंद होने की वजह से सिख दिल्ली की दीवारों को पार नहीं कर पा रहे थे। वह अपने प्रयास में सफल नहीं हो पा रहे थे। इसी दौरान किसी तरह उन्हें एक जगह का पता चला, जहां से दिल्ली की दीवार को तोड़कर किले के अंदर जा सकते थे। सिखों ने जहां पर से दीवार में छेद करके दरवाजा बनाया उस जगह को आज मोरी गेट कहा जाता है। पंजाबी में खिड़की या दीवार के छेद को मोरी कहा जाता है। हिंदी में भी कई जगह खिड़की को मोहरी कहते हैं। इसी से मोरी शब्द निकला है।

ऐसे पड़ा पुल मिठाई नाम

मोरी गेट से सिख सेनाएं दिल्ली में घुस गईं और मुगलों को हराकर दिल्ली सल्तनत पर कब्जा कर लिया। कहते हैं कि इसके बाद सिखों और मुगलों के बीच एक संधि हुई, जिसके तहत सिखों को तीन लाख रुपये दिए गए और खूब सारी मिठाई भी दी गई। दिल्ली सल्तनत पर जीत के जश्न के रूप में इस मिठाई को दिल्लीवासियों में बंटवा दिया गया। जिस जगह यह मिठाई दिल्लीवालों में बीच बांटी गई, उसे आज पुल मिठाई के नाम से जाना जाता है।

अब बात 3 लाख रुपये की

मुगलों के साथ सेटलमेंट के तौर पर सिखों को 3 लाख रुपये भी मिले थे। इसके साथ सिख सेना के कमांडर बाबा बघेल सिंह दिल्ली में ही रुक गए। उनके साथ 4000 सैनिक भी यहीं रुके रहे और उन्होंने इस पैसे से दिल्ली में ऐतिसाहिक गुरुद्वारों का निर्माण कराया। जस्सा सिंह रामगढ़िया ने लाल किले में मौजूद औरंगजेब के तख्त को उखाड़ दिया और उसे हाथियों पर लादकर अमृतसर लेकर गए। आज भी वह तख्त स्वर्ण मंदिर के रामगढ़िया बुंगा मिनार में मौजूद है। क्योंकि माना जाता है कि इसी तख्त पर बैठकर औरंगजेब ने 9वें सिख गुरु - गुरु तेग बहादुर की हत्या का आदेश दिया था।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | दिल्ली (cities News) और बजट 2024 (Union Budget 2024) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |

लेटेस्ट न्यूज

Digpal Singh author

खबरों की दुनिया में लगभग 19 साल हो गए। साल 2005-2006 में माखनलाल चतुर्वेदी युनिवर्सिटी से PG डिप्लोमा करने के बाद मीडिया जगत में दस्तक दी। कई अखबार...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited