BR Ambedkar पर ड्रॉप कर दें कोर्स- DU पैनल का प्रस्ताव, फिलॉसफी डिपार्टमेंट ने जताया विरोध
इस बीच, स्टैंडिंग के चेयरपर्सन और डीन ऑफ कॉलेजेज़ बलराम पानी ने बताया- यह हटाया नहीं गया है और यह सुझाव कमेटी की ओर से नहीं दिया गया था। सुझाव यह था कि नए और पुराने कोर्सों को मिला दिया जाना चाहिए। इन्हें इस तरह डिजाइन किया जाना चाहिए कि ये स्टूडेंट्स को आकर्षित लगें। साथ ही वे अधिक कॉलेजों में लागू किए जा सकें।
तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। (फाइल)
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में फिलॉसफी डिपार्टमेंट ने अकादमिक मसलों पर यूनिवर्सिटी की स्टैंडिंग कमेटी की ओर से आए उस सुझाव पर कड़ा विरोध जताया है, जिसमें सुझाव दिया गया था कि भारत रत्न डॉ.भीमराव अंबेडकर की फिलॉसफी को अंडरग्रैजुएट प्रोग्राम में से इलेक्टिव कोर्स के तौर पर हटा दिया जाए। विभाग ने इसके साथ ही वाइस चांसलर (कुलपति) योगेश सिंह से पाठ्यक्रम को बनाए रखने का अनुरोध किया है। यह जानकारी देते हुए अंग्रेजी अखबार दि इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से आगे बताया गया कि आठ मई, 2023 को यह सुझाव (बीए प्रोग्राम -फिलॉसफी- कोर्स से इसे हटाने के संदर्भ में) सबसे पहले सामने आया था, जबकि डिपार्टमेंट के पीजी और यूजी करिकुलम कमेटी की ओर से इस पर 12 मई को चर्चा की गई थी।
डिपार्टमेंट के करिकुलम ने कोर्स से अंबेडकर की विचारधारा को हटाने के प्रस्ताव पर कड़ी आपत्ति जताई और इसके पीछे यह आधार बताया, "अंबेडकर देश के बहुसंख्यक लोगों की सामाजिक आकांक्षाओं के एक स्वदेशी विचारक प्रतिनिधि हैं" और उन पर रिसर्च (शोध) बढ़ रहा है। दरअसल, स्टैंडिंग कमेटी का यह सुझाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आधार पर की जा रही पाठ्यक्रम समीक्षा के हिस्से के रूप में आया है।
हालांकि, स्टैंडिंग कमेटी के एक सदस्य की ओर से अंग्रेजी अखबार को बताया गया कि फिलहाल किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया गया है। अंतिम निर्णय अकैडमिक काउंसिल की ओर से किया जाएगा, जो कि अकादमिक मसलों पर फैसला लेने वाली सबसे बड़ी संस्था है।
इस बीच, स्टैंडिंग के चेयरपर्सन और डीन ऑफ कॉलेजेज़ बलराम पानी ने बताया- यह हटाया नहीं गया है और यह सुझाव कमेटी की ओर से नहीं दिया गया था। सुझाव यह था कि नए और पुराने कोर्सों को मिला दिया जाना चाहिए। इन्हें इस तरह डिजाइन किया जाना चाहिए कि ये स्टूडेंट्स को आकर्षित लगें। साथ ही वे अधिक कॉलेजों में लागू किए जा सकें। हमारा सुझाव था कि सभी पृष्ठभूमियों के विचारकों की फिलॉसफी को पाठ्यक्रम में जोड़ा जाए।
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