DU के इस कोर्स में गांधी को हटा पेपर में लाए गए सावरकर- टीचर्स का दावा, कहा- यह 'शिक्षा का भगवाकरण'

Delhi Latest News in Hindi: वहीं, कार्यकारी परिषद के पूर्व सदस्य राजेश झा ने इस कदम का विरोध करते हुए कहा कि छात्रों को शुरुआती सेमेस्टर में गांधी के बारे में बताना चाहिए ताकि उनमें आलोचनात्मक सोच विकसित हो सके।

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तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। (फाइल)

तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ ब्यूरो
Delhi Latest News in Hindi: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में पॉलिटिकल साइंस (राजनीति विज्ञान) के स्तानक पाठ्यक्रम में छात्र-छात्राओं को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जगह अब हिंदू विचारक वीडी सावरकर के बारे में पढ़ना होगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि विवि के टीचर्स ने शनिवार (27 मई, 2023) को दावा किया कि डीयू ने बीए (ऑनर्स) राजनीति विज्ञान पाठ्यक्रम के पांचवें सेमेस्टर में गांधी की जगह एक ‘पेपर’ में सावरकर को शामिल कर लिया है। उन्होंने इस बारे में समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा को बताया कि गांधी पर अध्याय अब सेमेस्टर सात में पढ़ाया जाएगा। यानी चार साल के प्रोग्राम के बजाय तीन साल के स्नातक पाठ्यक्रम का चयन करने वाले छात्र गांधी का अध्ययन नहीं करेंगे। जानकारी के मुताबिक, एक रोज पहले यानी शुक्रवार (26 मई, 2023) को शैक्षणिक परिषद की मीटिंग में इस बाबत प्रस्ताव पारित हुआ है।
बैठक में शैक्षणिक परिषद के सदस्य आलोक पांडे ने न्यूज एजेंसी को बताया, ‘‘सेमेस्टर पांच में गांधी पर पहले एक पेपर हुआ करता था। सेमेस्टर छह में भीम राव अंबेडकर पर एक पेपर होता था। अब उन्होंने सावरकर पर एक पेपर शामिल किया है। हमें इससे कोई समस्या नहीं है, पर उन्होंने इसे गांधी को हटाकर किया है। उन्होंने गांधी पर पेपर को सेमेस्टर पांच से सात में स्थानांतरित कर दिया है।’’
बकौल पांडे, ‘‘ऐसा लगता है कि वे गांधी पर पेपर को पाठ्यक्रम से हटाने की योजना बना रहे हैं, क्योंकि जो छात्र तीन साल के कार्यक्रम का विकल्प चुनेंगे, वे इस पेपर का अध्ययन नहीं करेंगे।’’ वहीं, कार्यकारी परिषद के पूर्व सदस्य राजेश झा ने इस कदम का विरोध करते हुए कहा कि छात्रों को शुरुआती सेमेस्टर में गांधी के बारे में बताना चाहिए ताकि उनमें आलोचनात्मक सोच विकसित हो सके।
टीचर्स के एक वर्ग ने इस कदम की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने इसे शिक्षा का भगवाकरण और गांधी और सावरकर की तुलना करने का प्रयास बताया है। हालांकि, आखिरी निर्णय कार्यकारी परिषद की ओर से लिया जाएगा, जो डीयू की फैसला लेने वाली टॉप संस्था है। विवि के कुलपति योगेश सिंह से जब इस मसले पर पीटीआई-भाषा ने संपर्क साधने की कोशिश की तो उधर से कोई जवाब नहीं दिया गया।
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अभिषेक गुप्ता author

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