क्या है ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी, जिससे अपने बच्चों के बचाने के लिए आंदोलन को मजबूर हुए माता-पिता

Duchenne Muscular Dystrophy: ज्यादातर लोगों में एक जीन में गड़बड़ी की वजह से होने वाली इस दुर्लभ जेनेटिक बीमारी के बारे में तभी पता चलता है, जब उनके परिवार या किसी करीबी का बेटा इसकी चपेट में आता है। बीमारी होती तो जन्म से है। लेकिन इसका पता करीब 5-7 साल की उम्र में लगता है।

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‘ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी’ के शिकार बच्चों को बचाने के लिए आंदोलन (प्रतीकात्मक फोटो- pixabay)

तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ डिजिटल

Duchenne Muscular Dystrophy: ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी एक बहुत ही गंभीर बीमारी है। इससे बच्चों की मांसपेशी विकृत हो जाती है। यह बीमारी जेनेटिक होती है और इसका इलाज नहीं है। इसे सिर्फ आगे बढ़ने से रोका जा सकता है। इस बीमारी से शिकार बच्चों के माता-पिता अब इलाज के लिए सड़कों पर उतर चुके हैं।

लड़कों को बनाता है शिकार

ज्यादातर लोगों में एक जीन में गड़बड़ी की वजह से होने वाली इस दुर्लभ जेनेटिक बीमारी के बारे में तभी पता चलता है जब उनके परिवार, या किसी करीबी का बेटा इसकी चपेट में आ जाता है। बीमारी होती तो जन्म से है, लेकिन इसका पता करीब 5-7 साल की उम्र में लगता है। जब शुरूआती लक्षण सामने आने लगते हैं। हालांकि यह बीमारी इतनी भी दुर्लभ नहीं है। मेडिकल आंकडों के मुताबिक भारत में पैदा होने वाले प्रत्येक 3500 पुरुषों में से एक लडका इस बीमारी के साथ पैदा होता है। लड़कियों में यह बीमारी लगभग न के बराबर होती है।

क्या है लक्षण

इस बीमारी में बच्चों की मांसपेशियां कमजोर होने लगती है। शुरुआत में पांव की मांसपेशियां कमजोर होती हैं, जिससे बच्चों को चलने में दिक्कत होने लगती है। इसके बाद ये ह्रदय और फेफड़ों सहति शरीर की हर मांसपेशी को अपनी चपेट में ले लेता है। नतीजा बच्चे व्हीलचेयर पर पहुंच जाते हैं।

क्यों कर रहे प्रदर्शन

प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि इस बीमारी का इलाज देश में अभी नहीं है। विदेशों में कुछ हद तक सफलता मिली है। वहां इसका इलाज हो रहा है। जो काफी महंगा है, देश के अस्पताल भी इसे लेकर रिसर्च कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों पीएम मोदी और सरकार से अपील कर रहे हैं, कि वो इसके इलाज में मदद करें। इस पर हो रहे रिसर्च को तेजी से आगे बढ़ाए, विदेशों में जो टेक्नोलॉजी और विकास हुआ है, उसे भारत में भी जल्द लेकर आए, ताकि बच्चों का इलाज हो सके।

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