GNCTD: दिल्ली में अधिकारियों पर किसका होगा अधिकार, किसकी होगी पावर, समझें सारा गणित

GNCTD अमेंडमेंट बिल में जो सबसे बड़ी बात होगी वो ये कि ये दिल्ली में अधिकारियों पर अधिकार को लेकर ऑडिनेंस से थोड़ा अलग है। यानि की सारी शक्तियाँ LG और केंद्र के पास नहीं होंगी । कुछ शक्तियों दिल्ली की चुनी हुई सरकार को भी दी गयीं हैं ।

KEJRIWAL _LG Saxena

सारी शक्तियाँ LG और केंद्र के पास नहीं होंगी

पुलकित नागर की रिपोर्ट
GNCTD amendment bill update: आपको बताने जा रहा है की इससे लेकर जो ड्राफ्ट तैयार किया गया है उसमें किसको कितनी ताक़त मिली है। हमारे पास ड्राफ्ट की एक्सक्लूसिव जानकारी मौजूद है ...हम आपको बताते हैं की किसे क्या क्या शक्तियाँ मिलने जा रहीं हैं ।
GNCTD अमेंडमेंट बिल में क्या क्या होगा-
- दिल्ली में IAS और DANICS अधिकारियों के ट्रांसफ़र , पोस्टिंग के लिए एक अथॉरिटी होगी
- इसका नाम होगा National capital civil service authority यानि NCCSA
- इसमें CM , CS और principal home secretary होंगे
- मुख्यमंत्री इस अथॉरिटी के Chairperson होंगे
- अथॉरिटी के फ़ैसले majority of votes से होंगे
यही बात दिल्ली के लिए लाए गये ऑडिनेंस में भी कही गई थी । लेकिन जो GNCTD अमेंडमेंट बिल होगा उसमें दिल्ली सरकार को थोड़ी पॉवर भी दी गई है ऑडिनेंस की तुलना में । IAS और DANICS अधिकारियों के अलावा दिल्ली सरकार में मौजूद वाकि अधिकारियों पर फ़ैसला दिल्ली की चुनी हुई सरकार लेगी । हालाँकि केंद्र सरकार के पास ये शक्तियाँ होंगी की वो इस अभी लिए गये इस फ़ैसले में आगे जाकर बदलाव कर दे ।
- NCCSA अथॉरिटी ही से ही विजिलेंस को मामले रेफर किए जाएँगे
- NCCSA अथॉरिटी LG को सुझाव देगी
- अगर अथॉरिटी के बीच किसी फ़ैसले पर मतभेद हुए तो आख़िरी फ़ैसला LG लेंगे
- मंत्रालय के आदेशों की फ़ाइलें LG और CM को भेजी जाएँगी
साफ़ है की केजरीवाल सरकार एतराज सर्विसी और LG को फाइल भेजने को लेकर थी जिसके संदर्भ से SC कोर्ट से केजरीवाल सरकार को राहत मिली थी लेकिन केंद्र सरकार के ऑडिनेंस के बाद ये राहत ख़त्म हो गई ।
अब ये भी जान लीजिए कि अरविंद केजरीवाल राज्यसभा में कितना समर्थन जुटा पाए हैं । दिल्ली के जिस अध्यादेश को कानून बनने से रोकने के लिए अरविंद केजरीवाल पिछले कुछ दिनों से अलग-अलग पार्टी के नेताओं से मुलाक़ात कर चुके हैं । अब आम आदमी पार्टी अब इस परीक्षा की दहलीज पर है दिल्ली का बॉस कौन? वैसे इस सवाल का फ़ैसला सुप्रीम कोर्ट कर चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फ़ैसले में साफ़ कहा था कि दिल्ली में ज़मीन, क़ानून व्यवस्था और पुलिस को छोड़कर सभी चीजों पर दिल्ली की चुनी हुई सरकार का ही अधिकार होगा लेकिन केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर इस फ़ैसले को पलट दिया।
अब समझिए की जब GNCTD अमेंडमेंट को केंद्र सरकार राज्यसभा में पेश करेगी उसे रोकने के लिए अरविंद केजरीवाल कितना समर्थन जुटा पाए हैं लेकिन उससे पहले ये भी समझ लिए की दूसरी पार्टियों से समर्थन माँग रही AAP ख़ुद राज्यसभा में अपना एक वोट कम कर चुकी है ।एक एक वोट जुटाने में लगी AAP को सबसे बड़ा झटका संजय सिंह के वोट ना कर पाने के कारण लग सकता है वजह राज्यसभा में AAP के नेता संजय सिंह को पूरे सत्र के लिए सस्पेंड किया जा चुका है ।
राज्यसभा में GNCTD अमेंडमेंट बिल जब पेश होगा विपक्ष के लिए इससे गिराना आसान नहीं होगा। राज्यसभा के मौजूदा सदस्यों से जुड़े आंकड़ों पर नज़र डालें तो 238 सदस्य है। इनमें से 5 नॉमिनेटेड है यानी 233 ही सदस्य वोट कर पाएंगे।
ऐसे में जिसके पास राज्यसभा में 117 वोट होंगे वो बाजी मार लेगाl अब आपको बताते है की सत्ता पक्ष और विपक्ष के पास कितने वोट है।
अब इस गणित को भी समझिये कि फ़िलहाल किसके पास कितने नंबर है-
बीजेपी के समर्थन में—
BJP- 93
AIADMK- 4
NCP (अजीत गुट) - 1
AGP- 1
MNF- 1
UPPL- 1
NPEP-1
PMK-1
RPI आठवले-1
TMC (M) -1
IND -1
यानि बिल के समर्थन में 106 वोट सरकार के पास हैं वही YSR Congress जिसके पर राज्यसभा में 9 संसद हैं उसने भी सरकार को अपना समर्थन दिया है यानि अभी जो आँकड़ा दिख रहा है उसके मुताबिक़ 115 वोट हैं ।
AAP के समर्थन में-
आम आदमी पार्टी-10 लेकिन संजय सिंह के न होने से ये संख्या 9 रह जाती है ।
कांग्रेस -- 30
तृणमूल कांग्रेस- 13
DMK 10
BRS- 9
RJD- 6
CPM- 5
JDU- 5
NCP (शरदगुट) - 3
SP- 3
शिवसेना (उद्धव गुट) - 3
CPI- 2
JMM- 2
RLD- 1
GFX OUT—
इसके अलावा बाक़ी जो पार्टियां हैं उन्होने फ़िलहाल इस पर कोई फ़ैसला नहीं लिया है कि आख़िर इस बिल के समर्थन में या फिर इसके विपक्ष में राज्यसभा में वोट करना है या नही. ऐसे में जो आंकड़ा आम आदमी पार्टी के समर्थन में इस वक्त नज़र आ रहा है वो बिल को रोकने के लिए नाकाफी है. अब आम आदमी पार्टी के साथ खड़ी कांग्रेस का यह मानना है की बिल रोकने में वह कामयाब हो ही जाएंगे।
वाईएसआर कांग्रेस के केंद्र सरकार की तरफ जाने के बाद अब कहानी एनडीए के लिए और ज्यादा मजबूत हो गई है। वाईएसआर के पास राज्यसभा में 9 सांसद हैं जो कि अब दिल्ली अध्यादेश बेल पर केंद्र सरकार का समर्थन करेंगे जिसके बाद विपक्ष के 98 सांसदों के मुकाबले में बीजेपी का पलड़ा 115 सांसदों के होने से काफी भारी हो गया है। हालाकि बिल के विरोध में आम आदमी पार्टी के साथ खड़ी आरजेडी इस मामले में वाईएसआर को नैतिकता का पाठ पढ़ा रही है
ये बिल पहला मौका होगा जब विपक्षी की एकता का एक तरीके से लिटमस टेस्ट होना है। सांसद संजय सिंह के धरने में INDIA एक साथ नजर आया है पर क्या ये समर्थन नंबर गेम्स के जरिए सरकार के खेल को बिगाड़ पाएगा इस सवाल के जवाब का इंतजार संसद में जल्द ही ख़त्म हो जाएगा ।
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