रजाई, कंबल, गर्म कपड़े रखें तैयार, कड़ाके की ठंड करेगी हालत खराब; डब्ल्यूएमओ ने किया अलर्ट
Winter Season 2024: भारत में इस साल अक्टूबर माह तक बारिश का अंदेशा जताया गया है। अगर, गर्मी और बारिश की अवधि को देखें तो यह काफी लंबे समय तक खिंचा है। लिहाजा, डब्ल्यूएमओ ने देश में इस साल कड़ाके की ठंड के आसार जताए हैं।
(प्रतिकात्मक फोटो)
Winter Season 2024: इस साल के अंत तक 60 प्रतिशत संभावना है कि ला नीना स्थितियां और मजबूत हो जाएगी, जिससे देश के उत्तरी भागों में सामान्य से अधिक ठंडी पड़ सकती है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) के दीर्घावधि पूर्वानुमानों के वैश्विक वेधशालाओं की ओर से बुधवार को जारी नवीनतम पूर्वानुमान से संकेत मिलता है कि सितंबर-नवंबर 2024 के दौरान वर्तमान तटस्थ स्थितियों (न तो अल नीनो और न ही ला नीना) से ला नीना स्थितियों में परिवर्तित होने की 55 प्रतिशत संभावना है।
2025 तक ला नीना का प्रभाव
डब्ल्यूएमओ ने कहा कि अक्टूबर 2024 से फरवरी 2025 तक यह संभावना है की ला नीना की प्रबलता 60 प्रतिशत तक बढ़ जाए तथा इस दौरान अल नीनो के पुनः मजबूत होने की संभावना शून्य है। ला नीना का तात्पर्य मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह के तापमान में बड़े पैमाने पर होने वाली गिरावट से है, जो उष्णकटिबंधीय वायुमंडलीय परिसंचरण, जैसे हवा, दबाव और वर्षा में परिवर्तन से जुड़ा हुआ है।
विपरीत जलवायु प्रभाव
यह आमतौर पर भारत में मानसून के मौसम के दौरान तीव्र और लंबे समय तक होने वाली बारिश और विशेष रूप से उत्तरी भारत में सामान्य से अधिक सर्दियों से संबंधित है। हालांकि, भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने अभी तक इसकी पुष्टि नहीं की है कि ला नीना की स्थिति के कारण इस बार सामान्य से अधिक सर्दी पड़ेगी या नहीं। प्रत्येक ला नीना घटना के प्रभाव इसकी तीव्रता, अवधि, वर्ष के समय और अन्य जलवायु कारकों के आधार पर अलग-अलग होते हैं। आम तौर पर, ला नीना एल नीनो के विपरीत जलवायु प्रभाव पैदा करता है, खासकर उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में।
डब्ल्यूएमओ ने हालांकि,कहा कि ला नीना और एल नीनो जैसी प्राकृतिक रूप से घटित होने वाली जलवायु घटनाओं पर मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन का व्यापक असर हो रहा है। उसने कहा कि मानवीय गतिविधियों से वैश्विक तापमान में वृद्धि हो रही है, चरम मौसम और जलवायु में वृद्धि हो रही है, तथा मौसमी वर्षा और तापमान की प्रवृत्ति पर असर हो रहा है।
कैसे काम काम करती ला नीना?
डब्ल्यूएमओ के महासचिव सेलेस्टे साउलो ने कहा कि जून 2023 से, हमने असाधारण वैश्विक स्थल और समुद्री सतह के तापमान में वृद्धि की परिपाटी देखी है। भले ही ला नीना अल्पकालिक रूप से ठंडा करने की घटना हो लेकिन यह वायुमंडल में उष्मा सोखने वाली ग्रीनहाउस गैसों के कारण बढ़ते वैश्विक तापमान के दीर्घकालिक असर को कम नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि 2020 से 2023 के प्रारम्भ तक बहुवर्षीय ला नीना के समुद्री सतह को ठंडा करने के प्रभाव के बावजूद पिछले नौ वर्ष अब तक के सबसे गर्म वर्ष रहे हैं। पिछले तीन महीनों से तटस्थ स्थितियां बनी हुई हैं इसका अभिप्राय है कि न तो अल नीनो और न ही ला नीना ने प्रभुत्व स्थापित किया है।
(इनपुट-भाषा)
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Pushpendra kumar author
पुष्पेंद्र यादव यूपी के फतेहुपुर जिले से ताल्लुक रखते हैं। बचपन एक छोटे से गांव में बीता और शिक्ष...और देखें
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