गंगा के मायके में : एक नदी, जिसे लोग गंगा समझने की भूल कर जाते हैं, नाम जानते हैं आप?

गंगा की इस यात्रा में आज हम बात उस नदी की कर रहे हैं, जिसे अक्सर लोग गंगा मान बैठते हैं। ऐसा क्यों होता है? इसके पीछे कारण क्या है? ये सब तो हम जानेंगे ही, साथ ही जानेंगे गंगा बनने से पहले इस नदी का सबसे बड़ा संगम कहां पर है -

Ganga Ki yatra - Bhagirathi.

इस नदी को अक्सर गंगा मान लेते हैं लोग

गंगा के मायके की यात्रा लगातार जारी है। पंच प्रयाग में से हम अब तक चार प्रयाग (Vishnuprayag, Nandprayag, Karnprayag, Rudraprayag) का सफर कर चुके हैं। पांचवे केदार का सफर करने से पहले एक बार गंगा की यात्रा (Ganga ki Yatra) में उस नदी की ओर चलते हैं, जिसे लोग गंगा (Ganga) समझने की भूल कर देते हैं। आध्यात्मिक तौर पर तो लोग इसी नदी को गंगा मानते हैं, लेकिन असल में इसका नाम गंगा नहीं है। बल्कि इस नदी का नाम भागीरथी (Bhagirathi) है और यही भागीरथी आगे चलकर गंगा नदी को बनाने वाली दो प्रमुख नदियों में से एक है। आज हम बात करेंगे भागरथी नदी की, उसकी सहायक नदियों की और गंगा बनने से पहले इसके सबसे बड़े संगम की।

गंगा कहां से निकलती है?

ये प्रश्न आपने भी सुना होगा और आमतौर पर लोग इसका जवाब देते हैं गौमुख से। असल में गंगोत्री ग्लेशियर (Gangotri Glacier) के गौमुख (Gomukh) से गंगा नहीं, बल्कि भागीरथी नदी निकलती है। यही कारण है कि लोग भागीरथी नदी को गंगा समझने की गलती कर देते हैं। इसमें कोई शक नहीं कि गंगा नदी को बनाने में भागीरथी की अहम भूमिका है, लेकिन यह स्वयं गंगा नहीं है। गौमुख से निकलने के बाद भागीरथी नदी गंगोत्री नाम की जगह पर पहुंचती है, यहां पर भागरथी को अपनी पहली सहयोगी नदी मिलती है, जिसका नाम केदार गंगा (Kedar Ganga) है।
गंगोत्री से आगे बढ़कर भागीरथी नदी भैरोंघाटी पहुंचती है, यहां आकर जड़ गंगा (Jad Ganga) नाम की नदी भागीरथी में समा जाती है। यहां से आगे हरसिल (Harsil) के पास ककोरा गाड़ (Kakora Gad) और जलंधारी गाड़ (Jalandhari Gad) इसमें मिलती हैं। झाला नाम की जगह के पास सियान गाड़ (Siyan Gad) भी भागीरथी में मिल जाती है। भागरथी अपने रास्ते में आगे बढ़ते हुए उत्तरकाशी (Uttarkashi) पहुंचती है, जहां असी गंगा (Asi Ganga) भी अपना जल भागीरथी नदी में उड़ेल देती है।

भागीरथी नदी का पहला बड़ा संगम

गंगा के मायके में सफर करते हुए एक जगह ऐसी भी आती है, जहां पर कहा जाता है कि त्रिहरी का वास है। जिस जगह त्रिहरी वास है, उसे टिहरी (Tehri) कहा जाता है। टिहरी में ही भागीरथी नदी का पहला बड़ा संगम है। यहां पर भीलंगना (Bhilangna) और भागीरथी, जिन्हें दो बहनें भी कहा जाता है का संगम होता है। बात करें भीलंगना की तो इसमें भी कई छोटी-छोटी धाराएं आकर मिलती हैं। बूढ़ा केदार (Budha Kedar) आकर धरम गंगा नदी (Dharam Ganga), बाल गंगा (Bal Ganga) में समा जाती है। इसके बाद घनस्याली में बाल गंगा भीलंगना में मिलती है और टिहरी में भीलंगना और भागीरथी का संगम होता है। इन्हीं दो नदियों के संगम पर आज टिहरी बांध बना है।

क्यों होता है कंफ्यूजन

भागीरथी नदी को ज्यादातर लोग गंगा मानने की भूल करते हैं। आखिर यह कंफ्यूजन क्यों होता है? यह कंफ्यूजन इसलिए क्योंकि धर्मग्रंथों के अनुसार गंगा गौमुख से निकली है, और भागीरथी का उद्गम ही गौमुख है। इसके अलावा भागीरथी नदी में जगह-जगह पर केदार गंगा, जड़ गंगा, असी गंगा और भीलंगना जैसी गंगा से मिलते-जुलते नाम की नदियां मिलती हैं। यही नहीं, जिन सूर्यवंशी राजा भगीरथ के बारे में माना जाता है कि वह गंगा को धरती पर लेकर आए, उन्हीं के नाम पर भागीरथी नदी का नामकरण हुआ है। इसलिए भी माना जाता है कि भागीरथी नदी ही असली गंगा है। गंगा की यात्रा आज टिहरी तक पहुंची है। जब इससे आगे बढ़ेंगे तो जानेंगे गंगा अपना असली स्वरूप कहां लेती है और पतित पावनी गंगा कहलाती है।

टिहरी में कहां जाएं

गंगा के मायके में सफर करते हुए टिहरी पहुंच ही गए हैं तो चलिए यहां आसपास कहां जा सकते हैं, इसके बारे में भी जान लेते हैं। टिहरी में सबसे बड़ा आकर्षण तो वही टिहरी झील है, जिसके नीचे पुराना टिहरी शहर और आसपास के कई गांव डूबे हुए हैं। यहां आप वाटरस्पोर्ट्स का लुत्फ ले सकते हैं और फ्लोटिंग हट में रात बिता सकते हैं। इसके अलावा आसपास देवी कुंजापुरी मंदिर (Kunjapuri Mandir), चंद्रबदनी देवी, श्री आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर, महासर ताल, सुरकंडा देवी मंदिर (Surkanda Devi Mandir), कनातल (Kanatal), सेहस्त्र ताल और कटलिंग ग्लेशियर भी जा सकते हैं। टिहरी झील के ऊपर बना डोबरा-चांटी ब्रिज, झील के दोनों ओर बसे दो गांव डोबरा और चांटी को जोड़ता है। यह भारत का सबसे लंबा सिंगल लेन सस्पेंशन ब्रिज है, जिस पर गाड़ियां चलती हैं। डोबरा से चांटी तक इसकी कुल लंबाई 440 मीटर है। यहां आने वाले लोग चंबा (Chamba) और नरेंद्र नगर (Narendra Nagar) भी जाना पसंद करते हैं।

कैसे पहुंचे टिहरी

नई टिहरी राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) 34 से जुड़ा है। यह देहरादून और ऋषिकेश जैसे उत्तराखंड के प्रमुख शहरों के सड़कमार्ग से जुड़ा है। देहरादून से टिहरी की दूरी 99 किमी और ऋषिकेश से 75 किमी है। अगर आप ट्रेन से आ रहे हैं तो नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है और यहां से बस या टैक्सी से आप टिहरी पहुंच सकते हैं। नजदीकी एयरपोर्ट देहरादून है। देवप्रयाग से टिहरी की दूरी करीब 80 किमी, रुद्रप्रयाग से करीब 115 किमी और श्रीनगर से करीब 85 किमी है।
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Digpal Singh author

खबरों की दुनिया में लगभग 19 साल हो गए। साल 2005-2006 में माखनलाल चतुर्वेदी युनिवर्सिटी से PG डिप्लोमा करने के बाद मीडिया जगत में दस्तक दी। कई अखबार...और देखें

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