Navratri 2023: वेश्याओं के आंगन की मिट्टी से बनती है मां दुर्गा की मूर्ति, वजह जान रह जाएंगे हैरान

Navratri Durga puja 2023: आपको जानकर हैरानी होगी कि दुर्गा पूजा में मां दुर्गा की मूर्ति बनाने के लिए वेश्याओं के आंगन की मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है। कहते हैं इसके बिना मूर्ति पूर्ण नहीं मानी जाती है। इसका वास्तविक कारण क्या है आइए जानते हैं...

Navratri Durga puja 2023

मां दुर्गा मूर्ति

कोलकाता: नवरात्रि पर्व को लेकर देशभर में तैयारियां जोरों से चल रही हैं। दुर्गा पूजा शुरू होने के कई महीने पूर्व ही मूर्ति निर्माण कार्य शुरू हो जाता है। मूर्तिकार मूर्तियों को अंतिम स्वरूप देने का काम लगभग पूरा कर चुके हैं। पूरे नवरात्रि में मां दुर्गा समेत 9 देवियों की पूजा-अर्चना कर लोग व्रत रहते हैं। इस साल नवरात्रि 15 अक्टूबर 2023 से शुरू हो रहे हैं। नवरात्रि में दुर्गा पूजा में इस्तेमाल की जाने वाली मूर्तियों के बारे एक ऐसा रहस्य बताएंगे, जिसे जानकर आपको हैरानी होगी। जी, हां मां दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति के निर्माण के लिए वेश्याओं के आंगन की मिट्टी का प्रयोग किया जाता है। आइये विस्तार से जानते हैं क्या है असली कारण।
सोनागाछी की मिट्टी का इस्तेमाल
मूर्तिकारों का कहना है कि सोनागाछी की इस मिट्टी को जब तक मूर्ति में इस्तेमाल नहीं किया जाता तब तक वह पूर्ण नहीं मानी जाती। सेक्स वर्कर के घर के बाहर की मिट्टी इस्तेमाल करने की मान्यता के बारे में कहना है कि जब कोई व्यक्ति ऐसी जगह पर जाता है तो उसकी सारी अच्छाइयां बाहर रह जाती हैं और उसी बाहर की मिट्टी को मूर्ति में लगाया जाता है। वहीं, एक अन्य मान्यता है कि नारी 'शक्ति'अगर वह कहीं गलत है तो उसके पीछे समाज और वक्त की खामियां रही होंगी। इसलिए, उन्हें सम्मान देने के लिए उनके घर के बाहर की मिट्टी का मूर्तियों के बनाने में इस्तेमाल किया जाता है।
मां दुर्गा भक्त से हुईं खुश
इस संदर्भ में एक और मान्यता सामने निकल कर आती है कि दुर्गा मां ने अपनी भक्त वेश्या को वरदान दिया था कि तुम्हारे हाथ से दी हुई गंगा की चिकनी मिट्टी से ही प्रतिमा तैयार होगी। कहते हैं कि उन्होंने, उस भक्त को सामाजिक तिरस्कार से बचाने के लिए ऐसा कहा था। इसलिए कारीगर या फिर मूर्ति बनवाने वाले वैश्याओं के घरों से भिखारी बनकर मिट्टी मांग कर लाते हैं। हालांकि, अब मूर्तियों के अधिक डिमांड के कारण वहां पर मिट्टी का व्यापक तौर पर कारोबार होने लगा है।
शिव ने वेश्याओं को दिया वरदान
वेश्यालय के मिट्टी से मां दुर्गा की प्रतिमा बनाने को लेकर एक और पौराणिक मान्यता है। कहते हैं एक बार कुछ वेश्याएं गंगा स्नान के वास्ते जा रही थीं। तभी, उन्होंने घाट के नजदीक एक कुष्ठ रोगी को बैठे देखा। वह लोगों से गंगा स्नान करवाने के लिए गुहार लगा रहा था, लेकिन किसी ने भी उसकी मदद नहीं की, लेकिन वेश्याओं ने उस रोगी को गंगा स्नान करवाया। कहते हैं वह कुष्ठ रोगी और कोई नहीं बल्कि, स्वयं भगवान शिव थे। शिवजी वेश्याओं से बेहद प्रसन्न हुए और उन्हें वरदान मांगने को कहा। तब वेश्याओं ने मांगा कि, उनके आंगन की मिट्टी के बिना दुर्गा प्रतिमा पूर्ण न मानी जाए। कैलाशपति ने वेश्याओं को यही वरदान दिया और तब से लेकर अबतक यह परंपरा निरंतर चली आ रही है.
वैसे दुर्गापूजा मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल में मनाया जाता था, लेकिन अब यह पूरे देश के कोने कोने में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। हर जगह मूर्तियों में सोनागाछी की मिट्टी का इस्तेमाल होता है।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | शहर (cities News) और चुनाव के समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |

लेटेस्ट न्यूज

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited