दिल्ली से जयपुर 30 मिनट और बेंगलुरू से चेन्नई सिर्फ 15 मिनट में, बुलेट ट्रेन से तीन गुना तेज ये सपना नहीं, Make in India भविष्य है

देश में एक ऐसे सिस्टम का टेस्ट किया गया है, जिसके आगे बुलेट ट्रेन भी बैलगाड़ी जैसी लगेगी। जी हां, Make in India इस सिस्टम की स्पीम 1000 किमी प्रति घंटा होगी, यानी दिल्ली से प्रयागराज सिर्फ 30 मिनट में पहुंच जाएंगे। IIT मद्रास ने ये कारनामा कर दिखाया है, जो भविष्य में परिवहन का चेहरा होगा।

Hyperloop-bullet train

इसके आगे बुलेट ट्रेन की स्पीड भी कुछ नहीं

देश में अभी सबसे तेज ट्रेन वंदे भारत ही है, जिसकी अधिकतम स्पीड 180 किमी प्रति घंटा है। इसके बाद अहमदाबाद और मुंबई के बीच बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पर अभी काम चल रहा है। जिस पर बुलेट ट्रेन की स्पीड अधिकतम 360 किमी प्रति घंटे तक जाएगी। इस रूट पर जापान की मदद से काम चल रहा है और 2033 से पहले बुलेट ट्रेन नहीं चलेगी। लेकिन भारत अब तेजी से आगे बढ़ रहा है और आधुनिक टेक्नोलॉजी के मामले में हमारा देश दुनिया को टक्कर दे रहा है। देश मे एक ऐसी तकनीक पर काम चल रहा है जो आपको दिल्ली से जयपुर सिर्फ 30 मिनट में और बेंगलुरू से चेन्नई मात्र 15 मिनट में पहुंचा देगी। अच्छी बात यह है कि यह टेक्नोलॉजी पूरी तरह से Make in India होगी। तो चलिए जानते हैं, इस बारे में विस्तार से।

IIT मद्रास ने किया टेस्ट

देश के अग्रणी टेक्नोलॉजी संस्थानों में से एक द इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) मद्रास ने 422 मीटर का देश का पहला हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक तैयार किया है। रेलवे मंत्रालय के समर्थन से IIT Madras ने इस स्टेट ऑफ द आर्ट फैसिलिटी को तैयार किया है। इसका मकसद देश को हाई-स्पीड यातायात के अगले दौर में लेकर जाना है।

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दिल्ली से प्रयागराज 30 मिनट में

हाइपरलूप सिस्टम की कल्पना इस तरह से की गई है कि यह कम दबाव वाली नलियों के जरिए यात्रियों को 1000 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से यात्रा करवा सकती है। हाइपरलूप सिस्टम की नलियों के अंदर यात्रियों को 25-30 की संख्या में एक पॉड में बिठाया जाएगा और उन्हें 1000 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से एक जगह से दूसरी जगह तक पहुंचाया जाएगा। अगर यह टेस्ट सफल रहा तो दिल्ली से जयपुर पहुंचने में सिर्फ 30 मिनट का समय लगेगा। मुंबई से नागपुर भी लगभग 45 मिनट में पहुंच जाएंगे और दिल्ली से कुंभ नगरी प्रयागराज की दूरी भी मात्र 30 मिनट रह जाएगी।

इनकी मदद से हुआ टेस्ट

422 मीटर के इस हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक को तैयार करने में IIT मद्रास की मदद इंडस्ट्री के कुछ बड़े नामों ने भी की है। जैसे लार्सन एंड टर्बो (L&T) कंस्ट्रक्शन, आर्सेलर मित्तल (ArcelorMittal) और हिंडाल्को इंडस्ट्रीज ने प्रोजेक्ट को बनाने और टेस्ट ट्रैक के विकास में अहम भूमिका निभाई है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाइपरलूप की इस उपलब्धि पर स्वयं सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया है। रेलमंत्री ने प्रोजेक्ट को ग्रांट देने की भी घोषणा की है।

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इस प्रोजेक्ट की सफलता पर निर्भर करता है कि इसे देश के किस-किस कोने में अमल में लाया जाएगा। अगर सब कुछ ठीक रहा तो माना जा रहा है कि देश का पहला हाइपरलूप कॉरोर चेन्नई और भारत की सिलिकॉन सिटी कहे जाने वाले बेंगलुरू के बीच बनाया जा सकता है। माना जा रहा है कि दोनों शहरों के बीच 350 किमी की इस दूरी को हाइपरलूप के जरिए मजह 15 मिनट में पूरा कर लिया जाएगा।

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सबसे आगे होंगे हम

यह तो मानना ही पड़ेगा कि अगर हाइपरलूट टेक्नोलॉजी को सही से आत्मसात किया गया तो यह भारत में ट्रांसपोर्टेशन के क्षेत्र को पंख लगा देगा। इससे सफर अल्ट्राफास्ट होगा, एफिशियंट होगा और यह सस्टेनेबल ट्रैवल विकल्प के रूप में उभरेगा। इससे न सिर्फ देश के बड़े शहरों को आपस में बेहतर तरीके से जोड़ने में मदद मिलेगी, बल्कि यह बारत को इनोवेटिव ट्रांस्पोर्टेशन सॉल्यूशन के मामले में वैश्विक मंच पर सबसे आगे भी खड़ा कर देगा।

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Digpal Singh author

खबरों की दुनिया में लगभग 19 साल हो गए। साल 2005-2006 में माखनलाल चतुर्वेदी युनिवर्सिटी से PG डिप्लोमा करने के बाद मीडिया जगत में दस्तक दी। कई अखबार...और देखें

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